नौ महीनों से संघर्षरत ITC के 1200 मज़दूरों को प्रशासन ने कंपनी से दूर धकेला

नौ महीनों से संघर्षरत ITC के 1200 मज़दूरों को प्रशासन ने कंपनी से दूर धकेला

हरिद्वार में ITC कंपनी के 3 प्लांटों में 14 सितंबर से धरने पर बैठे मज़दूरों को सोमवार को पुलिस-प्रशासन ने न केवल प्लांटों से बाहर धकेल दिया, बल्कि कंपनी से 400 मीटर दूर तक धरना-प्रदर्शन करने से रोक दिया।

अपनी मांगों को लेकर ITC के तीनों प्लांट के मज़दूर संयुक्त मोर्चा के बैनर तले संघर्ष कर रहे हैं।

बीते 14 सितंबर से हड़ताल के साथ प्लांटों में शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। लेकिन, उधर कोर्ट ने 400 मीटर का स्टे दिया, इधर प्रशासन ने कार्यवाही कर दी।

यूनियन नेताओं का कहना है कि मज़दूरों को न्याय देने की जगह श्रम विभाग से लेकर प्रशासन तक दमन पर उतारू है।

तीनों कंपनियों में कुल 1200 मज़दूर काम करते हैं।

गौरतलब है कि अपने माँग पत्र को लेकर ITC हरिद्वार के तीन प्लांटों के मज़दूरों ने हड़ताल का आह्वान किया था। मांगें न माने जाने पर वर्कर अपने-अपने प्लांट में मज़दूर धरने पर बैठ गए।

विश्वकर्मा दिवस पर मज़दूरों ने प्रबंधन के कार्यक्रम का बहिष्कार करके अपना स्वतंत्र कार्यक्रम किया।

इस बीच प्रशासन के साथ वार्ता चली लेकिन मज़दूरों का आरोप है कि वार्ताओं के दौरान दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।

जहाँ प्रशासन, पुलिस व प्रबंधन कैम्पस खाली कराने की कोशिश में है, वहीं DLC द्वारा फाइल कोर्ट भेजने का दबाव पहले से बनाया जा रहा था।

इससे पहले माँगपत्र के समाधान की जगह मज़दूरों के वेतन से कटौती, एक श्रमिक के निलंबन और DLC द्वारा माँगपत्र को कोर्ट भेजने की धमकी के बाद वर्करों में आक्रोश और बढ़ा और तीनो प्लांटों के मज़दूर भीतर ही धरने पर बैठ गए थे।

असल में कम्पनी के तीनों प्लांटों में संयुक्त संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में माँग पत्र पर 1200 श्रमिकों का संघर्ष 9 माह से चल रहा है।

वर्कर प्रतिनिधियों का कहना है कि मैनजमेंट मांगों पर सार्थक हल निकालने के बजाय हठधर्मिता पर अड़ा रहा। 13 सितम्बर को देर रात्रि तक चली वार्ता में कोई हल न निकलने के बाद सुबह तीनों प्लांटों में हड़ताल हो गई। 

गौरतलब है कि मोर्चा के नेतृत्व में इसी साल 12 जनवरी को मजदूरों ने माँगपत्र सौंपा। कोई समाधान न निकलने से 29 अगस्त को मोर्चा ने हड़ताल की नोटिस दी थी।

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Workers Unity Team

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