केरल बाढ़ः मदद में आगे आईं ट्रेड यूनियनें

दिल्ली एम्स की नर्स यूनियन ने बड़े पैमाने पर राहत सामग्री इकट्ठा कर केरल भेजने और नर्सों का एक ग्रुप भेजने का फैसला किया है।
जबकि महाराष्ट्र बीएसएनएल एम्प्लाईज़ यूनियन ने मुख्यमंत्री राहत कोष में चेक से फंड जमा कराए हैं।
एम्स नर्सेस यूनियन, दिल्ली के जनरल सेक्रेटरी विपिन कृष्णन ने एक बयान जारी कर बाढ़ राहत कार्यों के बारे में यूनियन की पहलकदमी की जानकारी दी है।
कृष्णन के मुताबिक यूनियन ने दिल्ली के सातों ज़िलों में कलेक्शन सेंटर बनाया है और सामानों की लिस्ट जारी की है जिसे लोग इन केंद्रों पर पहुंचा सकते हैं।
बयान में कहा गया है कि 18 अगस्त की रात 12 बजे इन सामानों और एम्स के नर्स के एक ग्रुप को नेवी का विमान लेकर केरल पहुंचेगा।
महाराष्ट्र बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन ने एक लाख रुपये की राहत राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में चेक के मार्फत जमा कराई है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स यूनियन (डूटा) भी बाढ़ राहत कोष में मदद के लिए आगे आई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचार्यों ने सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से राहत कोष में मदद की है।
एक प्रोफेसर ने बताया कि कॉलेज के स्तर पर फंड इकट्ठा कर मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

केरल के नर्स देश और विदेशों में बड़े पैमाने पर काम करती हैं। खाड़ी में केरल की एक बहुत बड़ी मेहनतकश आबादी काम करती है।
इनके संगठन भी बाढ़ राहत में सक्रिय हो गए हैं और पड़े पैमाने पर राहत कोष में मदद की पहल ली जा रही है।
खाड़ी देशों में केरल के वर्करों की एक अच्छी खासी संख्या की वजह से वहां की सरकारें भी मदद के लिए आगे आई हैं।
कुवैत, बहरीन, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों की सरकारों ने भी अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।
एक अनुमान के अनुसार, केंद्र सरकार ने जितनी मदद की घोषणा की है उससे अधिक राशि इन खाड़ी देशों ने केरल को देने का वादा किया है।
केरल के ट्रेड यूनियनों ने बाढ़ राहत कार्यों में जी जान से जुटने के लिए पहलकदमी ली है।
मछुआरा संघ तो शुरू से ही वहां राहत और बचाव कार्य में जुट गया है।
सरकारी मदद आने से पहले मछुआरों ने अपनी नावों को राहत एवं बचाव कार्य के लिए समर्पित कर दिया.
एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश के मछुआरों ने क़रीब एक लाख से अधिक लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।
किसी विपदा के समय मज़दूर वर्ग मदद कभी पीछे नहीं रहा है, भले ही राजनीतिक पार्टियां और सरकारें ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने से बाज न आती हों।
मज़दूर वर्ग केरल की आपदा में भी जिस त्तपरता से सामने आया है वो मिसाल है।
इंडियन एक्स्प्रेस की ख़बर के अनुसार, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केंद्र से 2600 करोड़ रुपये मदद मांगी है।
विजयन ने कहा है कि संयुक्त अरब अमीरात ने 700 करोड़ रुपये की मदद का आश्वासन दिया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अबतक कुल 600 करोड़ रुपये की मदद की घोषणा की है।