न्यूनतम मज़दूरी 25,000 रु. की मांग को लेकर 3 मार्च को संसद तक मार्च करेंगे हज़ारों मज़दूर
ट्रेड यूनियन संगठनों ने संगठित और असंगठित क्षेत्र में न्यूनतम मज़दूरी 25,000 रुपये करने की मांग की है।
22-23 दिसंबर को अहमदाबाद में मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (MASA) की राष्ट्रीय कार्यशाला में ये मांग रखी गई।
क़रीब 15 राज्यों में सक्रिय डेढ़ दर्जन ट्रेड यूनियनों ने मज़दूरों की 17 सूत्रीय मांग प्रस्तावित किया है।
इन मांगों को लेकर तीन मार्च, 2019 को रामलीला मैदान से संसद तक हज़ारों मज़दूर पैदल मार्च करेंगे।
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न्यूनतम मज़दूरी 25,000 रुपये करने की मांग
गौरतलब है कि विभिन्न ट्रेड यूनियन और फ़ेडरेशनों ने 8-9 जनवरी, 2019 की आम हड़ताल का भी आह्वान किया है।
इसमें भी न्यूनतम मज़दूरी और ठेकेदारी प्रथा के मुद्दे शामिल किए गए हैं।
मासा की कार्यशाला में केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा मजदूर वर्ग पर किए जा रहे हमलों कड़ी निंदा की गई।
टीयूसीआई के नेता अरविंद नायर ने कहा कि सम्मानजनक जीवन जीने के लिए न्यूनतम मज़दूरी 25,000 रुपये प्रति माह होनी चाहिए।
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श्रम कानूनों को खत्म कर रही है सरकारः अमरीश पटेल
ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट और हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट अमरीश पटेल ने कहा कि सरकार तेजी से श्रम कानूनों को हटा रही है।
उन्होंने कहा कि ठेकेदारी प्रथा से आगे जाकर सरकार फिक्स टर्म एम्प्लायमेंट की स्कीम लागू कर रही है।
उनके अनुसार, “ठेकेदारी प्रथा में मज़दूर को परमानेंट होने का अधिकार था, लेकिन एफ़टीई में तो मज़दूर के पास कोई अधिकार नहीं होगा।”
कार्यशाला में तीन प्रमुख मांगें रखी गईं, पहला, श्रम कानून में मज़दूर विरोधी बदलाव को वापस लेनना दूसरा, न्यूनतम मजदूरी 25,000 करना और तीसरा ठेकाप्रथा व असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना।
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15 राज्यों की डेढ़ दर्जन यूनियनों का आह्वान
इसमें TUCI से अमरीश पटेल , IFTU से रासुद्दीन, ग्रामीण मजदूर यूनियन बिहार से अशोक कुमार, जन संघर्ष मंच हरियाणा से सुदेश कुमारी, मजदूर सहयोग केंद्र रुद्रपुर से मुकुल, कर्नाटक श्रमिक शक्ति से वासु, इंकलाबी मजदूर केंद्र से कामरेड खीमानन्द, वेस्ट बंगाल स्ट्रगलिंग वर्कर्स कॉर्डिनेशन कमेटी से आभास मुंशी, मज़दूर सहयोग केंद्र गुड़गांव से अमित ने 3 मार्च की रैली को सफल बनाने का आह्वान किया।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र, तेलेंगाना, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िसा, केरल, गुजरात, दादर नागर हवेली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली समेत 15 राज्यों से 100 से ज्यादा मज़दूर कार्यकर्ता व ट्रेड यूनियन प्रतिनिधि मौजूद थे।
मज़दूर संगठनों- गुजरात मजदूर सभा, जनहित कामगार संघ, D.H.C., DHL मज़दूर यूनियन दिल्ली, हिंदुस्तान लीवर एंप्लॉई फेडरेशन, मारुति, डाइकिन, वोल्टास इम्पलाइज यूनियन, महिंद्रा एंड महिंद्रा, नेस्ले कर्मचारी संगठन, टाटा मार्कोपोलो (TMKKU), ऋचा, जन हित कामगार संघ सिलवासा, गुजरात फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (GFTU) ने हिस्सेदारी की।
कार्यशाला का संचालन संतोष और अमित ने किया।
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