माइक्रोमैक्स कंपनी में ढाई सौ लड़के लड़कियां फैक्ट्री में ही धरने पर बैठे
उत्तराखंड के रुद्रपुर सिडकुल में वर्करों ने भूखे रहकर काम करने का आंदोलन शुरू किया है।
पिछले नौ महीने से अपने माँगपत्र को लेकर संघर्ष कर रहे माइक्रोमैक्स (भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड) के वर्करों का संघर्ष के नए चरण में पहुंच गया है।
मैनेजमेंट की ओर से कोई उत्तर न मिलने पर वर्करों ने भूखे रह कर विरोध जताने का फैसला लिया।
इस बीच पता चला है कि शुक्रवार को भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड (माइक्रोमैक्स) में 72 घंटे से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में बैठीं श्रमिक प्रतिनिधि प्रियंका चन्देल की तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सुनिए महिला वर्कर क्या कह रही हैं-
अभी 9 श्रमिक प्रतिनिधियो ने भूखे रहकर काम करने का आंदोलन शुरू किया है, जिसमे महिला वर्कर प्रतिनिधि भी शामिल हैं। समर्थन में प्लांट के अन्य महिला-पुरुष श्रमिक भी धरनारत हैं।
प्राप्त सूचना के अनुसार, अनिश्चितकालीन इस भूखे रहकर काम करने के आंदोलन से खफा प्रबंधन ने सभी श्रमिको को प्लांट के बाहर बैठा दिया है और सबके फोन जब्त कर लिए हैं।
प्रबंधन ने मशीनों की शिफ्टिंग भी शुरू कर दी थी।
गुरुवार को एसडीएम और सीओ पुलिस की मध्यस्थता में देर शाम हुई बैठक का कोई हल नहीं निकला। उधर प्रशासन ने मज़दूरों को धमकियां दीं और पानी, शौचालय जैसी मूल भूत सुविधाएं भी बंद कर दी हैं।
हड़ताल में कुछ महिला वर्करों का स्वास्थ्य बिगड़ने के बावजूद प्रबंधन ने एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराया। फिर भी वर्कर कंपनी में डटे हुए हैं।
गुरुवार को कंपनी ने अचानक गेट पर छुट्टी का नोटिस लगा दिया और शौचालय और कैंटीन बंद कर दिया।
यूनियन प्रतिनिधियों ने बताया कि ’29 अगस्त 2018 से भगवती प्रोडक्ट लिमिटेड के समस्त श्रमिक प्रतिनिधि भूख हड़ताल पर हैं पर श्रमिक संयुक्त मोर्चा के किसी भी पदाधिकारी द्वारा अभी तक न हीं हमारा कोई हालचाल पूछा गया है और ना ही कोई एक्शन लि लिया गया है आज हमारी एक श्रमिक प्रतिनिधि अत्यधिक बीमार होने के कारण उन्हें एंबुलेंस (108)के द्वारा हॉस्पिटल में भेजा गया।’
इसके विरोध में ढाई सौ मज़दूर कंपनी के अंदर ही बैठ गए। जबकि रात आठ बजे की पाली में आए मज़दूर गेट के बाहर ही इकट्ठा हो गए।
भूख हड़ताल कर रही एक लड़की रात में अचानक बेहोश हो गई, जिसे अस्पताल पहुंचाने के लिए कंपनी ने अपनी एंबुलेंस तक नहीं दी। गेट के बाहर भूख हड़ताल कर रही एक और लड़की की तबियत खराब हो गई। वर्करों ने इंतजाम कर दोनों को जिला अस्पताल पहुंचाया।
यहां बीटेक, डिप्लोमा होल्डर व आईटीआई किए हुए लड़के लड़कियां नौकरी कर रहे हैं और उनकी औसत तनख्वाह 14,000 रुपये मासिक है।
वेतन सुधार, भत्ते और काम के हालात को लेकर उनमें लंबे समय से असंतोष पनप रहा था।
श्रमायुक्त को कर्मचारी प्रतिनिधियों की चिट्ठी-
प्रति
श्रीमान उप-श्रमायुक्त
उधम सिंह नगर।
विषय आपके पत्र दिनांक के संबंध में
महोदय
जैसा की आपको विदित है कि हम श्रमिकों के मांग पत्र दिनांक 7 11 2017 पर विवाद लंबे समय से जारी है। प्रबंधन ने दिनांक की वार्ता में श्रीमान सहायक श्रम आयुक्त महोदय की उपस्थिति में प्रस्ताव दिया, हमने औद्योगिक शांति की दृष्टि से उसे स्वीकार किया। प्रबंधन ने मिठाइयां भी खिलाई, लेकिन उसके बाद अपने ही वायदे से वह मुकर गया।
तब से लेकर अब तक प्रबंधन द्वारा जिस तरीके से पूरे मामले को उलझाया गया और लंबी लंबी तारीखें ली गई तथा पिछली वार्ता दिनांक 25 08 2018 को अनुपस्थित हो गया, ऐसे में हमारे सामने संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है।
आप को यह भी ज्ञात होगा श्रम अधिकारियों के सुझाव पर ही हमने अपने पूर्ववर्ती जनतांत्रिक आंदोलनों को वापस लिया था। जब हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचा तब भी हमने अपने आप को कष्ट देते हुए भूखे रहकर काम करने की सूचना दी।
हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि श्रमिक पक्ष उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 6ई और संबंधित नियमावली 4 का कोई उल्लंघन नहीं कर रहा है, क्योकि-
1- श्रमिक पक्ष फिलहाल किसी उत्पादन को क्षति नहीं पहुंचा रहा है बल्कि सारे प्रतिनिधि भूखे रहकर काम करने का आंदोलन शुरू कर रहे हैं जो कि शांतिपूर्ण वैधानिक आंदोलन है। फिर भी कोई अन्य विकल्प न होने की स्थिति में हमने दिनांक 12 9 2018 से टूल डाउन/ हड़ताल की सूचना वैधानिक तौर पर दी है।
2- हम यह भी अवगत कराना चाहते हैं कि नियमानुसार संराधन कार्रवाई चलते 60 दिनों से अधिक की समय-सीमा को काफी पहले पार कर चुका है। इसलिए भी वैधानिक आंदोलन करने का अधिकार हमें हासिल होता है।
3- प्रबंधन द्वारा संसाधन वार्ता के दौरान कई बार धारा 6ई व रूल4 का उल्लंघन किया गया। श्रमिकों की अवैध गेट बंदी, अवैध रूप से ले-ऑफ कार्यवाहियां, राज्य से बाहर मशीनों की शिफ्टिंग आदि मनमानी कार्यवाहियां प्रबंधन कि चलती रही, लेकिन हमारे अनुरोधों के बावजूद कभी भी रूल 4 का नोटिस जारी नहीं हुआ, लेकिन हम श्रमिकों ने लगभग 10 माह के संघर्षों और प्रतीक्षा आश्वासनों के बाद जब यह वैधानिक कदम उठाया तो हमें नोटिस दिया जा रहा है।
महोदय, हम लोग कदापि आंदोलन नहीं करना चाहते लेकिन जब प्रबंधन की मनमानी ही सर्वोपरि है तो हमारे पास और रास्ता क्या बचता है।
अतः आपसे अनुरोध है कि शांतिपूर्ण वार्ता द्वारा हमारी समस्याओं का समाधान करें ताकि हम आंदोलन की मजबूरी से बच सकें और शांतिपूर्ण ढंग से कंपनी में कार्य कर सकें।
सधन्यवाद