नीमराना औद्योगिक क्षेत्र: जापानी जोन में डायडो इंडिया के मजदूरों ने यूनियन की डाली नींव
जापानी जोन स्थित डायडो इन्डिया प्राइवेट लिमिटेड नीमराना के श्रमिकों ने अपनी यूनियन बनाने और रजिस्ट्रेशन नंबर हासिल करने में सफलता प्राप्त की है। जापानी जोन में टोयोडा, डाईकिन, निसिन ब्रेक के बाद डायडो इंडिया में यूनियन बनी है।
डायडो एक मल्टीनेशनल जापानी कम्पनी है भारत, इंडोनेशिया, थाईलैंड, ताईवान सहित अन्य देशों में इसके प्लांट हैं। डायडो इन्डिया टाइमिंग चैन, चैन सेट इत्यादि ऑटोमोबाइल पार्ट्स बनाती है और मारुति, यामाहा, होंडा इत्यादि की वेंडर है।
पिछले 10 साल से नीमराना स्थित डायडो प्लांट में कार्यरत श्रमिक प्रबंधन के शोषण का शिकार थे। शोषण इतना है कि 10 साल से कार्यरत श्रमिकों को दस हज़ार रुपए मासिक वेतन मिलता है, वेतन में सिर्फ़ बेसिक और एचआरए दिया जाता है, महंगाई भत्ता, नाईट शिफ्ट एलाउंस, प्रॉडक्शन इन्सेंटिव इत्यादि कुछ भी नहीं मिलता है।
प्लांट में सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने, दस्तानें, जुते, जैसे सेफ़्टी उपकरण ना दिए जाने, अति आवश्यक टूल्स की कमी, पीने की पानी की समस्या इत्यादि से श्रमिकों के अंदर रोष व्याप्त था।
प्लांट के अंदर श्रमिकों को ओवरटाइम पर जबरदस्ती रोकना, रविवार और राष्ट्रीय छुट्टी के दिन ओवरटाइम पर रोकना लगातार जारी है।तबीयत ख़राब होने पर श्रमिकों द्वारा ओवरटाइम पर रुकने से मना करने पर प्रबंधन द्वारा गेट बंद कर देने की धमकी दी जाती है। कई ठेका मजदूरों का इसी तरह गेट बंद कर दिया गया।
प्लांट के अंदर दमन शोषण की ऐसी स्थितियों के बीच डायडो के श्रमिक पिछले 2-3 साल से यूनियन बनाने और रजिस्ट्रेशन कराने के लिए प्रयासरत थे। नीमराना औद्योगिक क्षेत्र में डाईकिन, निसिन ब्रेक, टॉयोडा के श्रमिकों के संघर्ष से सीख लेते हुए आखिरकार डायडो के मज़दूरों ने इस साल अप्रैल के बाद पंजीकरण की फ़ाइल ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार जयपुर के समक्ष प्रस्तुत कर दी। जहां से उन्हें नियमनुसार रजिस्ट्रेशन नंबर मिल गया।
रजिस्ट्रेशन नंबर मिलने के बाद यूनियन का मांग पत्र प्रबंधन को सौंप दिया गया है। श्रम विभाग और स्थानीय प्रशासन को मांग पत्र पर वार्ता जारी करवाने के लिए ज्ञापन सौंपा गया है।
जापानी जोन में इस वक्त दमन शोषण इतना ज्यादा है कि ठेका श्रमिकों और ट्रेनी वर्कर को राजस्थान में मिलने वाली न्यूनतम मजदूरी दी जा रही है। राजस्थान सरकार की अधिसूचना के अनुसार न्यूनतम मजदूरी जुलाई 2020 से बढ़ाई गई है मगर श्रमिकों को यह बढ़ा हुआ वेतन एरियर के रूप में किसी भी प्लांट में नियोक्ता द्वारा नहीं दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त प्रोडक्शन टारगेट अचीव करने के बावजूद प्रोडक्शन इन्सेंटिव का भुगतान नहीं किया जा रहा है। पांच साल काम करने के बावजूद मज़दूरों को छंटनी के वक्त ग्रेच्यूटी का भुगतान नहीं किया जाता और पीएफ, ईएसआई अंशदान में भारी गड़बड़ी की जाती है। यहां श्रम विभाग और स्थानीय प्रशासन के संरक्षण में यह कंपनियां और ठेकेदार श्रमिकों का शोषण कर रहे हैं।
अक्टूबर माह में नए लेबर कोड लागू लागू होने है इसके बाद मालिकों और श्रम विभाग को खुली छूट मिला जाएगी और श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी और मौजूदा श्रम कानूनों के अन्तर्गत मिलने वाले अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त करने के लिए संघर्ष कराना होगा। यूनियन बनाना और स्थाई नौकरी बचाना मुश्किल होगा। वैसे भी नीमराना औद्योगिक क्षेत्र में नीम ट्रेनी की भर्ती चालू है।
ऐसे में डायडो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के श्रमिकों द्वारा यूनियन बनाने के लिए आगे आना महत्वपूर्ण है। इस औद्यौगिक इलाके में अन्य कंपनियों के मज़दूर भी यूनियन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहतें है मगर नीमराना इलाके में मज़दूर दमन और टोयोडॉ मिंडा गोसाई, डाइकिन एयर कंडीशनिंग के मज़दूरों के संघर्ष और प्रशासनिक दमन का हौव्वा खड़ा कर उन्हें हतोत्साहित किया जा रहा है। डायडो के मज़दूरों ने इस भय से आगे आकर यह पहलकदमी की है। अब जरूरत है इलाके के मज़दूरों के संगठन को मजबूत करने और मजदूरों की इलाकाई एकता कायम करते हुए पूंजीपतियों को चुनौती देने की।
(साभार-मेहनतकश)
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