भगत सिंह के शहादत दिवस पर मज़दूरों ने लाल फीता बांध किया लेबर कोड का विरोध
भगत सिंह के 90वें शहादत दिवस को मज़दूर यूनियनों ने कारपोरेट लूट के ख़िलाफ़ संकल्प दिवस के रूप में मनाया।
23 मार्च को भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव और पंजाबी के क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाश की शहादत दिवस पर बेलसोनिका के मजदूरों ने लाल फीता बांध कर मजदूर विरोधी 4 श्रम सहिंताओं और कृषि से सम्बंधित 3 काले कानूनों का विरोध किया व शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
एक बयान जारी कर यूनियन के प्रधान अतुल कुमार ने कहा कि पूंजीपति वर्ग मजदूर वर्ग पर चौतरफा हमला कर रहा है। श्रम कानूनों से लेकर सार्वजनिक उद्यमों को निजी हाथों में बेचा जा रहा है। जनता के पैसे से खड़ा किया गया रेलवे जैसा सबसे बड़ा उद्यम भी मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के सुपुर्द कर दिया।
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उन्होंने कहा कि अब किसानों खासकर छोटे व मंझौले किसानों को उनकी जमीनों से बेदखल करने जैसे 3 काले खेती कानून एक बहुत बड़ी सामाजिक त्रासदी को जन्म देगा।
यूनियन ने अपने बयान में कहा है कि मजदूर मेहनतकश जनता पर एक के बाद एक लगातार बढ़ते हमले फासीवाद की ओर खास इशारा कर रहे हैं। 100 दिनों से अधिक समय से संघर्षरत किसानों ने मोदी सरकार के फासीवादी रथ को कुछ समय के लिए भले ही रोक दिया हो लेकिन बिना मजदूर वर्ग के जुझारू संघर्ष के फासीवाद को परास्त नहीं किया जा सकता।
यूनियन के उप प्रधान अजीत सिंह ने कहा कि धार्मिक उन्माद, अंधराष्ट्रवाद, ऊंच-नीच आदि तमाम विभेदों से ऊपर उठकर हम मजदूरों को अपनी वर्गीय राजनीति को जान समझकर व उसे अपने व्यवहार में लागू कर इस खूनी व्यवस्था को खत्म करना होगा और एक शोषण विहीन व्यवस्था की नींव रखनी होगी। भगतसिंह व उनके साथियों को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम लगातार संघर्ष करते रहे व अपने विचारों का विस्तार करते रहे।
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