किसान मज़दूर एकता दिवस के तौर पर मनाया जाएगा मई दिवस, संयुक्त किसान मोर्चा और ट्रेड यूनियनों में सहमति
सयुंक्त किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ऑनलाइन मीटिंग में तय किया गया कि मई दिवस (1 मई मजदूर दिवस) को सयुंक्त रूप से मजदूर किसान एकता दिवस के रूप में देशभर में धरनास्थलों, टोल प्लाजा व अन्य जगहों पर मनाया जाएगा।
दोनों ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर कहा कि मजदूरों-किसानों व आम नागरिकों से अपील है कि कोविड लोकडाउन के जरूरी नियमों का पालन करते हुए लोगो को जागरूक करते हुए मई दिवस मनाएं।
महाराष्ट्र में कोविड संक्रमण के कारण धारा 144 और संचार बंदी लागू है। इसी बीच संयुक्त किसान मोर्चा और जन आंदोलनो से जुड़े साथी 3 कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली किसान आंदोलन का समर्थन करते हुये बजाज चौक, वर्धा, महाराष्ट्र में बुधवार को 135 वें दिन भी धरने पर रहे।
कोविड नियमों का पालन और समाज की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुये चल रहे किसान सत्याग्रह कर रहे हैं। धरने को रोकने के लिए प्रशासन ने निरंतर प्रयास किये। किसान विरोधी कानूनो के विरोध में चल रहे आंदोलन के आयोजक साथियों पर FIR दाखिल किये गये फिर भी साथी लगातार डटे रहे।
आखिर में आंदोलन के 132वें दिन पुलिस और प्रशासन द्वारा आंदोलन स्थल का पण्डाल जबरन हटाया गया। फिर भी कोविड के समय मे प्रशासन का सहयोग करते हुये सत्याग्रह में किसानों ने कड़ी धूप में आज 135 वें दिन फुटपाथ पर बैठकर कृषि कानूनों का विरोध जारी रखा है।
महाराष्ट्र के किसानों का कहना है कि MSP का न मिलना और तीन नए कानून किसी भी महामारी से ज्यादा खतरनाक है। दिल्ली की सीमाओं पर जब तक आंदोलन जारी रहेगा तब तक वे भी अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
आज सयुंक्त किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने शहीद भगत सिंह युथ ब्रिगेड व खालसा ऐड के सहयोग से राजा हरिश्चंद्र हॉस्पिटल दिल्ली में 16 स्ट्रेचर उपलब्ध करवाए। साथ ही कार्यकर्ताओ द्वारा भोजन व पानी की सेवा भी दी रही है.
सयुंक्त किसान मोर्चो ने देशभर के सभी किसानों से अपील की है कि वे अफवाहों से बचकर रहें। किसान आंदोलन देश पर आए संकट की घड़ी मे भी मजबूत स्थिति में है। बीजेपी आईटी सेल की तरफ से मनगढंत झूठ फैलाये जा रहे हैं।
किसानों की एकता को तोड़ने के भी प्रयास किये जा रहे हैं। किसानों का यह आंदोलन सोशल मीडिया पर की जा रही लड़ाई से कहीं आगे है। किसान आंदोलन के बारे में आ रही खबरों पर पुष्टि करके ही अपना मत रखें। किसानों की एकता व आत्मविश्वास से ही इस आंदोलन की जीत निश्चित तौर पर होगी।
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