संतोष गंगवार का इस्तीफ़ा, भूपेंद्र यादव बने नए श्रम मंत्री

संतोष गंगवार का इस्तीफ़ा, भूपेंद्र यादव बने नए श्रम मंत्री

केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल से पहले ही श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद संभालने वाले गंगवार ने कल सुबह अपने पद से इस्तीफा दिया।

श्रम मंत्री संतोष गंगवार को कैबिनेट से हटाकर उनकी जगह भूपेंद्र यादव को कैबिनेट में सीट दी गई है।

गंगवार ने पीटीआई को इस्तीफे की जानकारी तो देते हुए कहा कि  उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सरकार में उनकी नई भूमिका क्या होगी।

मई 2019 में दूसरे कार्यकाल के लिए पदभार संभालने के बाद से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंत्रिपरिषद में यह पहला फेरबदल होगा।

गौरतलब है कि गंगवार के समय ही 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 लेबर कोड लाए गए। इन लेबर कोड्स को लागू करने की कई तारीखें टालने से पीएमओ नाखुश थे।

अनुमान लगाया जा रहा है कि मोदी संतोष गंगवार से इसलिए भी नाराज चल रहे थे कि वो सभी राज्यों को लेबर कोड एक साथ लागू करने के लिए तैयार करने में नाकाम रहे, जिसकी वजह से बार बार तारीख बदलनी पड़ी।

गंगवार ट्रेड यूनियनों के हमेशा निशाने पर भी रहे हैं और उन पर आरोप है कि वे बिना ट्रेड यूनियनों सलाह पर श्रम कानूनों में बदलाव को अंजाम देते रहे हैं।

आरएसएस से जुड़ी यूनियन भारतीय मजदूर संघ की भी उन पर नाराजगी समय समय पर आती रही है।

केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार द्वारा बुलाई गई बैठक में 12 में से दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने शामिल होने से मना कर दिया।

गौरतलब है कि चारों लेबर कोड को लेकर पूर्व श्रम मंत्री और ट्रेड यूनियन आमने सामने रहे हैं। लेबर कोड पर गंगवार की बुलाई गई मीटिंग का भी ट्रेड यूनियनों ने बहिष्कार किया था।

यूनियोनों ने कड़े शब्दों में कहा था कि आपको अच्छी तरह पता है कि हम इस जंबरदस्ती के कोडिफ़िकेशन को तुरंत रोक देने की मांग कर रहे हैं, जबतक कि ट्रेड यूनियनों से, लेबर स्टैंडिंग कमेटी में, राज्य सरकारों से और संसद के अंदर विधिवत बातचीत नहीं कर ली जाती।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने 22 दिसम्बर को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को चिट्ठी लिख कर चारों लेबर कोड में हरेक के नियम निर्धारित करने के लिए मीटिंग बुलाने की मांग की है और उसमें सभी को सशरीर उपस्थित होने की शर्त रखी है।

चिट्ठी के माध्यम से यूनियनों ने कहा था, “हमारा दृढ़ मत है कि संसद में लेबर कोड को जबरदस्ती पास कराया गया था और उस समय विपक्ष भी मौजूद नहीं था और इसपर कोई बहस भी नहीं हुई। ये सरकार के रवैये को दर्शाता है कि उसका मजदूरों और कर्मचारियों के इस गंभीर मसले पर क्या रुख है।”

पत्र में आगे लिखा था, आपकी सरकार हर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दरकिनार कर रही है और ये मामला बहुत गंभीर है क्योंकि इससे देश के 50 करोड़ कर्मचारियों और मजदूरों के काम के हालात, वेतन, सुरक्षा, सामूहिक वेतन समझौते और भविष्य की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।

संयुक्त मंच का कहना था कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सिर्फ एक दिन में सभी हिस्सेदारों से बातचीत नहीं हो सकती और इस तरह की कोशिश सिर्फ दिखावा है।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

Amit Singh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.