क्या गुड़गांव इंडस्ट्रियल बेल्ट का चक्का जाम चाहती है सरकार ?
छह सितम्बर को गुड़गांव में सभी इलाकाई ट्रेड यूनियनों का विशाल प्रदर्शन
व्यापक छंटनी और तालाबंदी से त्रस्त गुड़गांव, मानेसर, धारूहेड़ा, बावल और रेवाड़ी की ट्रेड यूनियनों ने सरकार से ये सवाल किया है।
ट्रेड यूनियनों ने एक साझा कार्यक्रम के तहत छह सितम्बर को गुड़गांव में जनाक्रोश रैली और धरना प्रदर्शन का निर्णय लिया है।
मंगलवार को गुंड़गांव में ट्रेड यूनियनों के संयुक्त संगठन ट्रेड यूनियन काउंसिल (टीयूसी) की बैठक में दर्जनों कंपनियों में छंटनी और तालाबंदी को लेकर आक्रोष व्यक्त किया गया।
टीयूसी के नेता सतवीर, राजकुमार, अनिल एवं अन्य सदस्यों ने कहा कि मैनेजमेंट, लेबर डिपार्टमेंट और सरकार की मनमानी से हज़ारों वर्करों की नौकरी ख़तरे में पड़ गई है।
सतवीर ने कहा कि कहां तो सरकार मेक इन इंडिया लेकर आई थी लेकिन इन चार सालों में गुड़गांव, मानेसर, धारूहेड़ा, बावल, रेवाड़ी में एक भी नई कंपनी नहीं खुली, जबकि मोदी सरकार की नीतियों के बल पर मालिकों ने मनमानी छंटनी की शुरुआत कर दी है।
एटक के नेता अनिल ने कहा कि इस पूरे इलाके में क़रीब दो दर्जन ऐसी कंपनियां हैं जो या तो बंद हो चुकी हैं, या आंशिक छंटनी कर चुकी हैं या कर रही हैं या लॉकआउट की नोटिस जारी कर दी है। इन सबमें क़रीब साढ़े चार हज़ार वर्करों की रोजी रोटी ख़तरे में पड़ गई है।
रिको के वर्कर यूनियन के अध्यक्ष राजकुमार ने कहा कि जबतक एक होकर वर्कर सड़क पर नहीं उतरेंगे सबका नंबर बारी बारी से आता रहेगा।
उन्होंने छह सितम्बर को भारी संख्या में लेबर कमिश्नर के दफ्तर के सामने प्रदर्शन करने की अपील की।
श्रमिक नेताओं ने कहा कि एक तरफ जब नौकरियों और विकास दर में इजाफ़े के वादे पर वादे हो रहे हों, हरियाणा के इंडस्ट्रियल बेल्ट में हज़ारों मज़दूरों की नौकरियों के संकट में आने पर ट्रेड यूनियनें चुप नहीं बैठी रह सकतीं।
उन्होंने कहा कि वैसे तो कोई भी सरकार मज़दूरों के पक्ष में नहीं रही है लेकिन जबसे मोदी सरकार केंद्र में आई है, मज़दूरों के लिए हालात बद से बदतर हो गए हैं। हालात ये है कि यहीं गुड़गांव में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर आते हैं और पूंजीपतियों से मुलाकात कर वापस चले जाते हैं जबकि यहां हज़ारों मज़दूर सड़क पर आ गए हैं और लेबर डिपार्टमेंट से लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं लेकिन उनके पास इतना समय नहीं है कि वो मज़दूरों से मिलकर उनकी बात तक सुन लें।
बैठक में फैसला किया गया कि गुड़गांव, मानेसर, धारूहेड़ा, बावल, रेवाड़ी इंडस्ट्रियल बेल्ट की सभी ट्रेड यूनियनों के सदस्य तीन बजे से श्रम विभाग कार्यालय के सामने इकट्ठा होकर अगली कार्यवाही का ऐलान करेंगे।
टीयूसी ने व्यापक हस्ताक्षर अभियान चलाया था और बैठक में फैसला लिया गया कि लाखों की संख्या में कराए गए इन हस्ताक्षर को लेबर कमिश्नर के मार्फत सरकार को सौंपा जाएगा।
ट्रेड यूनियन नेताओं ने इस पूरे इंडस्ट्रियल बेल्ट का चक्का जाम करने की भी चेतावनी दी।