लेबर कोड के पारित होने के एक साल पूरा होने पर यूनियनों ने मनाया काला दिवस
मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के आह्वान पर मज़दूर विरोधी लेबर कोड्स पारित होने के एक साल पूरा होने पर हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड समेत देश के कई हिस्से में काला दिवस मनाया गया।
गु़ड़गांव लघु सचिवालय पर इंकलाबी मज़दूर केंद्र, मज़दूर सहयोग केंद्र और मारुति सुज़ुकी मज़दूर संघ के तत्वाधान में राष्ट्रपति के नाम पर एक ज्ञापन ड्यूटी मजिस्ट्रेट सुशील कुमार तहसीलदार गुडगांव डिस्ट्रिक्ट को सौंपा गया l
इस प्रदर्शन में मारुति की प्रमुख यूनियनें शामिल रहीं, मारुति कार प्लांट से कामरेड अमरेंद्र शर्मा और एमपीटी प्लांट से महासचिव राकेश दक्ष व उनके साथी बेलसोनिका कंपनी से महेंद्र कपूर, इंकलाबी मज़दूर केंद्र से कामरेड श्यामवीर तथा मजदूर सहयोग केंद्र से कामरेड रामनिवास आदि सदस्यों ने भाग लियाl
सभा को संबोधित करते हुए मारुति सुजुकी मजदूर संघ के प्रधान राजेश कुमार ने कहा कि हमें चारों काले श्रम कानूनों को पहले अपने आप से समझना चाहिए और अपने मजदूर साथियों को भी इसके प्रति जागरूक करना चाहिए, ताकि आने वाले समय में एक बड़ी मुहिम, इन सभी काले कानूनों के खिलाफ उठाई जा सके और जो श्रम कानून हमारे पुरखों ने सैकड़ों वर्षो के संघर्ष के बाद हासिल किए थे, उन सभी को बचाने में हम कामयाब हो सकें।
इस सभा में आने वाले समय में एक बड़ी मुहिम काले श्रम कानूनों के खिलाफ शुरू करने का संकल्प लिया गया।
उधर गाजीपुर बॉर्डर पर लगे किसान मोर्चे पर भी लेबर कोड के ख़िलाफ़ काला दिवस मनाया गया। गाजीपुर बॉर्डर मंच द्वारा मजदूरों के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए काली पट्टी बाँधकर और चारों लेबर कोड्स की प्रतियों को जलाया गया और इन्हें तत्काल रद्द करने की मांग की गई।
भोजनमाता संगठन उत्तराखंड नैनीताल ने भी बुद्ध पार्क तिकोनिया में 44 श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिता में बदल दिए जाने के विरोध में सभा की और काला दिवस मनाया।
रुद्रपुर के औद्योगिक इलाके सिडकुल में यूनियनों के नेतृत्व में मज़दूरों ने रैली की और प्रदर्शन के साथ राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। इसमें मांग की गई कि मज़दूर विरोधी लेबर कोड, काले कृषि क़ानून को रद्द करने, निजीकरण, दमन व फर्जी मुक़दमें-गिरफ्तारी पर लगाम लगाई जाए।
फैक्ट्रियों में मज़दूरों ने काले फीते बांधकर व लेबर कोड के विरोध में बैज लगाकर काम किया।
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