विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के निजीकरण के ख़िलाफ़ बोकारो में प्रदर्शन
विखाशापत्तनम के वाइज़ाग इस्पात संयंत्र के निजीकरण के ख़िलाफ़ आंदोलनरत मज़दूरों के समर्थन में बोकारो इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।
शनिवार को ऐक्टू से सम्बद्ध सेन्टर ऑफ स्टील वर्कर्स ने शहर के बिरसा मुंडा चौक पर किया सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ रोष ज़ाहिर किया।
बोकारो स्टील प्लांट में सक्रिय सेन्टर ऑफ स्टील वर्कर्स (ऐक्टू) से जुड़े कर्मचारियों ने आज के प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
मज़दूरों ने वाइज़ाग स्टील प्लांट के निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त की और सरकार को तुरंत इस फैसले को वापस लेने की बात कही।
ऐक्टू नेता देवदीप सिंह दिवाकर ने कहा कि आज बोकारो के मजदूरो को वाइजाग के मजदूरो के पक्ष मे खड़ा होना चाहिए। बोकारो स्टील प्लांट समेत ‘स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड’ के तमाम कारखानों को ‘आउट-सोर्सिंग’ व अन्य तरीकों से तेज़ी से निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर आज बोकारो समेत अन्य इस्पात संयंत्रों के मज़दूर आवाज़ नही उठाएंगे तो निश्चित तौर पर मोदी सरकार सब कुछ बेच देगी।
प्रदर्शन में मौजूद कर्मचारियों ने ‘एन.जे.सी.एस- नेशनल जॉइंट कमिटी फ़ॉर स्टील इंडस्ट्री’ के घटक यूनियनो द्वारा कॉमन डिमांड बनाने मे हो रही देरी और निजीकरण के खिलाफ आवाज़ नही उठाने को लेकर काफी चिंता प्रकट की।
गौरतलब है कि SAIL प्रबंधन ‘एन.जे.सी.एस- नेशनल जॉइंट कमिटी फ़ॉर स्टील इंडस्ट्री’ के घटक यूनियनों से बातचीत कर मज़दूरों की समस्याओं को हल करने में अभी तक असफल दिख रहा है।
ऐसे में इस्पात उद्योग के मज़दूरों के सामने निर्णायक संघर्ष खड़ा करने की चुनौती को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नही है।
सेन्टर ऑफ स्टील वर्कर्स (ऐक्टू) के उपाध्यक्ष जे एन सिंह ने कहा कि वाइजग स्टील प्लांट की बिक्री का केन्द्र सरकार का फैसला कोई अलग-थलग नही है। मोदी सरकार एक तरफ तो मज़दूरों को बांट रही है और दूसरी तरफ रेलवे, बैंकिग, बीमा, समेत सभी सरकारी/सार्वजनिक संस्थानों को पूंजीपतियों को बेच रही है।
इस्पात मजदूरों को विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के मजदूरो के संघर्ष का समर्थन करते हुए निजीकरण के खिलाफ आंदोलन को तेज करने की ज़रूरत है।
गौरतलब है कि ऐक्टू की एक टीम आंदोलनरत मज़दूरों के समर्थन में विशाखापट्टनम भी जा चुकी है।
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