श्रम संहिताओं को रद्द करने की मांग, दिल्ली में मजदूर संगठनों का एल-जी कार्यालय पर हल्लाबोल

श्रम संहिताओं को रद्द करने की मांग, दिल्ली में मजदूर संगठनों का एल-जी कार्यालय पर हल्लाबोल

बीते शनिवार को दिल्ली में सैकड़ों औद्योगिक मजदूर, निर्माण मज़दूर , आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार की “मजदूर-विरोधी” श्रम संहिताओं के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए, भारतीय ट्रेड यूनियनों के केंद्र (CITU) के बैनर तले उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के कार्यालय तक एक मार्च निकालकर विरोध जताया।

इन मज़दूरों की मांगें थी कि श्रम संहिता को तुरंत रद्द किया जाये और मजदूरों के हक के लिए आवश्यक सुधारों को जल्द से जल्द लागू किया जाये।

CITU (दिल्ली) के महासचिव अनुराग सक्सेना ने इस मौके पर कहा कि, ” यदि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार श्रम संहिताओं को लागू करने की दिशा में कदम उठाती है, तो इसका जवाब दिल्ली में हड़ताल के माध्यम से दिया जाएगा।”

प्रदर्शनकारियों की मांगें

प्रदर्शनकारियों ने उपराज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें निम्नलिखित मुख्य मांगें थीं:

संविदा मजदूरों की स्थायी नियुक्ति: प्रदर्शनकारियों ने उन सभी संविदा श्रमिकों को स्थायी करने की मांग की जो लगातार काम से जुड़े हैं।

न्यूनतम वेतन ₹26,000: उन्होंने ₹26,000 प्रति माह की न्यूनतम मजदूरी की मांग की ताकि मजदूरों का जीवन स्तर बेहतर हो सके।

बस मार्शलों की बहाली: दिल्ली परिवहन निगम (DTC) में काम करने वाले 10,000 बस मार्शलों की नौकरियों को पुनः बहाल करने की भी मांग की गई।

सामाजिक सुरक्षा और वेतन: आंगनवाड़ी, आशा, मिड-डे मील और अन्य योजनाओं के तहत काम करने वाले मज़दूरों को कर्मचारी का दर्जा देकर वैधानिक वेतन, सामाजिक सुरक्षा और सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी देने की मांग की गई।

इसके साथ ही ज्ञापन में यह भी कहा गया कि निर्माण मज़दूरों के पंजीकरण, नवीनीकरण और लाभों में आ रही सभी बाधाओं को दूर किया जाये , सभी स्ट्रीट वेंडर्स को विक्रय स्थान मुहैया कराने और नगर निगम तथा पुलिस द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न को रोका जाये ।

प्रदर्शनकारियों ने असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को भी, जो ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत हैं, मज़दूर का दर्जा देने की मांग उठाई।

महंगाई के मुद्दे पर चिंता

अनुराग सक्सेना ने कहा, “आज जब पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, प्याज-टमाटर और सब्जियों जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, तो मजदूरों की मजदूरी में वृद्धि के बजाय यह लगातार घटती जा रही है।”

उन्होंने महंगाई और मज़दूरों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि यह अस्वीकार्य है कि मजदूरी, महंगाई के अनुपात में नहीं बढ़ रही है।

आंदोलन की दिशा

इस मार्च ने एक बार फिर से मज़दूर आंदोलन की मजबूती को दर्शाया और यह संदेश दिया कि यदि सरकार श्रम संहिताओं को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ती है, तो मजदूर संगठन इसे चुपचाप सहन नहीं करेंगे। वे इसके खिलाफ अपनी आवाज और बुलंद करेंगे और हड़ताल जैसे सख्त कदम उठाएंगे।

( द हिन्दू की खबर से साभार )

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Abhinav Kumar

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