उत्तर प्रदेश : “अंबेडकर मूर्ति को प्रशासन द्वारा किया गया ध्वस्त”, जाति उन्मूलन आंदोलन ने तीव्र निंदा की
जाति उन्मूलन आंदोलन ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली के साहूकारा में डॉक्टर अंबेडकर की मूर्ति को फासिस्ट भगवा शासन द्वारा ध्वस्त किए जाने की तीव्र निंदा की है।
आंदोलन ने कहा है कि यह कृत्य मनुवादी फासिस्ट योगी सरकार द्वारा भारतीय संविधान के रूपकार और शोषितों के नेता डॉक्टर बीआर अम्बेडकर के मूतियों को सुनियोजित तरीके से विकृत व ध्वस्त करने की परियोजना की निरंतरता में है।
साथ ही यह फासिस्ट योगी आदित्यनाथ सरकार के खुले और गुप्त संरक्षण में जातिवादी दबंगों द्वारा दलित उत्पीड़ितों के खिलाफ तेज होते उत्पीड़नों के जुड़ा है।
जाति उन्मूलन आंदोलन द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि जहां जिला प्रशासन इसे पुलिस द्वारा “सम्मानजनक रूप से” ,”हल्का बल प्रयोग करते हुए” ,”गैरकानूनी मूर्ति” को हटाने की बात कह रहा है।
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“बुलडोजर के जरिए मूर्ति को किया गया ध्वस्त “
आंदोलन का आरोप है कि प्रशासन ने दलित समुदाय पर निर्मम तरीके से बल प्रयोग करते हुए पांच पुलिस थानों के पुलिसकर्मियों का इस्तेमाल कर बुलडोजर के जरिए मूर्ति को ध्वस्त किया है।
यह कोई अलग घटना नहीं है। बल्कि जहां दलित ,मनुवादी हिंदुत्व के खिलाफ अपनी स्वाभाविक राजनैतिक चेतना के चलते विरोध के प्रतीक के रूप में अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करते हैं, तब उच्च वर्ण के ब्राम्हणवादी वर्चस्व वालों द्वारा पुलिस प्रशासन की मदद से इन मूर्तियों पर कालिख पोतने से लेकर ध्वस्त किया जाना आज उत्तर प्रदेश में आम बात है।
मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा सरकार के खुले संरक्षण में दलितों के खिलाफ चुन चुन कर किए जा रहे फासीवादी हमलों की जाति उन्मूलन आंदोलन ने तीव्र निंदा की है।
आंदोलन के सदस्यों का कहना है कि जब मनुवादी हिंदुत्व के लिए समर्पित और ब्रिटिश साम्राज्य के आगे नतमस्तक उच्च वर्णों के शिखर पुरुषों की मूर्तियों/चित्रों/जीवन गाथाओं को सरकारी संरक्षण में स्थापित/महिमामंडित किया जा रहा है इसे समय में दलितों नेता आंबेडकर की मूर्ति को ध्वस्त करने वाला कृत्य घोर निंदनीय है।
जाति उन्मूलन आंदोलन ने तमाम जनवादी प्रगतिशील ताकतों से आह्वान किया है वह मनुवादी हिंदुत्व फासिस्ट ताकतों के इस घृणित आक्रमण के खिलाफ आवाज बुलंद करें।
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2018 में तोड़ी गयी थी 36 मूर्तियां
उत्तर प्रदेश में आंबेडकर की मूर्ति दौड़ने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले 15 मार्च 2018 के बाद से सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही आंबेडकर समेत पिछड़ों-दमितों की आवाज उठाने वाले महापुरुषों की 36 मूर्तियां ढहाई जा चुकी हैं।
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक इस दौरान यू पी के अलग अलग जिलों में डॉ. भीमराव आंबेडकर, पेरियार, लेनिन की मूर्तियां तोड़ी गयी थी। जबकि शासन-प्रशासन की तरफ से मात्र 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 4 लोगों ने मूर्ति तोड़ने का आरोप स्वीकारते हुए अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
एक मामला जिसमें आंबेडकर और संत रविदास दोनों की मूर्तियां तोड़ी की गई थीं, में एक ही रिपोर्ट दर्ज की गई है।
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