उत्तराखंड: जायडस कंपनी के मज़दूरों ने कार्यबहाली की मांग को लेकर निकाली रैली
उत्तराखंड के सितारगंज औद्योगिक इलाके में स्थित जायडस कंपनी के मज़दूर संगठन जायडस वैलनेस इम्पलाइज यूनियन सम्बद्ध AICCTU और हज़ारों मज़दूरों ने मंगलवार को विशाल रैली का आयोजन किया।
सभी मज़दूरों ने नकुलिया चौराहे (पर्वतीय सभा) से उपजिलाधिकारी कार्यालय तक पैदल मार्च कर उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड सरकार को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।
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जायडस वैलनेस इम्पलाइज यूनियन सम्बद्ध AICCTU की मांग है कि कंपनी द्वारा घोषत बंदी को तत्काल अवैद्य और गैरक़ानूनी घोषित किया जाये और बेरोज़गार हुए 1200 मज़दूरों को कार्यबहाल किया जाये। रैली में महिला मज़दूरों ने भी हिस्सा लिया।
सभी मज़दूरों ने जायडस की बंदी को अवैध घोषित करने के साथ अन्य 11 मांगों का ज्ञापन उपजिलाधिकारी तुषार सैनी को सौंपा। इस दौरान जायडस के बर्खास्त मज़दूर, AICCTU के प्रदेश महामंत्री के के बोरा, जायडस वैलनेस इम्पलाइज यूनियन के महामंत्री उमेश गोला, अध्यक्ष विकास सती, धर्मेंद्र सिंह, रंजना राणा, भावना पंत, दीपक नयाल, देशवीर, मोहित, बच्ची सिंह, अनीता अन्ना, ज्योती चंद आदि मज़दूर उपस्थित रहे।
क्या है मामला
ज्ञात हो कि कॉम्पलेन और ग्लूकोन-डी बनाने वाली जायडस कंपनी में अचानक क्लोज़र के खिलाफ जायडस वैलनेस इम्पलाइज यूनियन सम्बद्ध AICCTU और मज़दूरों का अनिश्चितकाल धरने आज भी जारी है।
मज़दूरों ने अपनी मांगों को लेकर बीते सप्ताह हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजन किया था। जिसमें भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया था। साथ ही प्रशासन से तत्काल मज़दूरों की मांगों को पूरा करने की मांग की थी।
इतना ही नहीं मज़दूरों ने अपनी मांगों का एक पत्र श्रम विभाग को सौंपा था, लेकिन जब मज़दूरों के पक्ष में कोई कारवाही नहीं हुई तो मज़दूरों ने अपनी मांगों का एक सामूहिक मांग पत्र नेनीताल हाई कोर्ट में लगाया। जिसकी सुनवाई बीते 9 सितम्बर को हुई थी। जिसमें कोर्ट ने साफ तौर पर इस क्लोज़र को गैरकानूनी ठहराया था, और श्रम सचिव को 30 दिन के भीतर अवैध घोषित कर तत्काल मज़दूरों को कार्यबहाल करने का निर्देश दिया था। लेकिन अभी तक प्रबंधन और प्रशासन की कोई कार्रवाही नहीं की गयी है।
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गौरतलब है कि जायडस वैलनेस कंपनी में बीते 17 जून को बिना किसी पूर्व सूचना के बंदी का नोटिस फैक्ट्री गेट पर चस्पा किया गया था। जिसके बाद से मज़दूर लगातार धरना दे रहे हैं।
धरने पर बैठे मज़दूरों का कहना है कि इस गैरकानूनी बंदी के कारण परिवार का पालनपोषण करने में काफी दिक्कतों का सामान करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि हमारे पास आजीविका का और कोई माध्यम नहीं है। यही कारण है जो मज़दूर लगातार फैक्ट्री गेट से सामने धरना दे रहे हैं।
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अवैध बंदी के खिलाफ हड़ताल, मजदूरों में रोष है, प्रबंधन को अपने रवैये से बाहर आना होगा, मजदूरों को काम बहाल करना होगा, बंद वापस लेना होगा.अवैध बंदियों को वापस लेना होगा.मजदूरों का शोषण बंद करो.
श्रम सचिव होश में आओ अवैध बंदी घोषित करो 1200 मजदूरों की कार्य बहाली करनी होगी मजदूरों को न्याय दो
उत्तराखंड सरकार ध्यान दो ! कब तक सोते रहोगे क्या आपको किसी का भी दर्द नजर नहीं आता ? Zydus वेलनेस के मजदूर को १५० दिन होने जा रहे है रोड पर हैं आपकी वजह से अगर अपने ध्यान दिया होता तो ये जेडस का चोर मैनेजमेंट ऐसी हरकत नहीं करता पर आप तो तब भी से रहे थे और अभी तक सो ही रहे हो क्या सच में आपको कुछ भी नजर नहीं आ रहा है क्या इसी दिन के लिए युवा मुख्यमंत्री बनाया था हमने की युवाओं को ही नजर अंदाज करें आप!
ऐसा भी क्या घमंड आ गया है कि आपको सत्ता के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है
हमें न्याय चहिए……राज्य का बेरोजगार युवा