उत्तराखंडः वन गूजरों के घरों पर रोक के बावजूद बुलडोजर लेकर चढ़े, भारी विरोध के बाद लौटना पड़ा वापस
उत्तराखंड में रामनगर के पास वन गूजरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए बुलडोज़र समेत पहुंचे वन कर्मियों को भारी विरोध के बाद वापस लौटना पड़ा।
शुक्रवार को तराई पश्चिमी वन प्रभाग के अधिकारियों ने जेसीबी व फोर्स ले जाकर कुमगडार खत्ते में खाई खोदकर वन गूजरों के डेरों में तोड़-फोड़ शुरू कर दी थी।
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी मुख्य वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर ने वन भूमि पर बसे गोट खत्ते, वन ग्राम एवं टोंगिया ग्राम आदि से बिना उचित आदेश के किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
मौके पर भारी संख्या में पहुंचे वनग्राम वासियों व सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं के कारण वन विभाग की टीम को अपनी ग़ैरक़ानूनी कार्रवाई रोकनी पड़ी।
समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने सरकार से अतिक्रमण हटाने को लेकर स्थिति साफ करने की मांग करते हुए कहा कि एक दिन पहले भाजपा के नेता प्रेस में फोटो खिंचाकर कह रहे थे कि अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही रोक दी गयी है।
उन्होंने कहा कि अगले दिन ही आदेश के उलट कार्यवाही शुरु कर दी गयी। यहां तक की कार्य वाही से पूर्व वन गूजरों को प्रभागीय वन अधिकारी द्वारा मुख्य वन संरक्षक के आदेशानुसार वन अधिनियम की धारा 61 क व ख के तहत नोटिस भी नहीं दिया गया।
मुनीष कुमार ने कहा कि वन गूजर वनाधिकार कानून, 2006 के दायरे में आते हैं और सुप्रीम कोर्ट ने वनाश्रित समुदाय को जंगलों से हटाए जाने पर रोक लगायी हुई है।
उनके अनुसार, तराई पश्चिमी वन विभाग के अधिकारी न तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश मान रहे हैं और न ही मुख्य वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते का।
किसान नेता ललित उप्रेती ने कहा कि वन प्रशासन की इस तानाशाही के ख़िलाफ़ 30 मई को तिलाड़ी के शहीदी दिवस पर वन परिसर, रामनगर में प्रतिरोध सभा आयोजित की जाएगी जिसमें अतिक्रमण के नाम पर बेदखल किए जा रहे लोग बड़ी संख्या में भागीदारी करेंगे।
सामाजिक कार्यकर्ता संजय, सरस्वती जोशी, सूरज मेहरा, मानु, गामा समेत बड़ी संख्या में लोगों ने वन गूजरों के बीच पहुंचकर सरकार की नीति को लेकर आक्रोश व्यक्त किया।
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