छत्तीसगढ़ के हसदेव में पेड़ों की कटाई पर बवाल, पुलिस और आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प
छत्तीसगढ़ के हसदेव में पेड़ों की कटाई पर बवाल, पुलिस और आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प
छत्तीसगढ़ के हसदेव क्षेत्र में परसा कोल ब्लॉक के लिए पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे आदिवासियों पर पुलिस बल द्वारा लाठीचार्ज का आरोप लगा है।
आदिवासी ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने जंगलों की रक्षा के लिए एकत्रित हुए थे, जबकि पुलिस ने उन पर हमला किया।
दूसरी ओर, पुलिस का दावा है कि ग्रामीणों ने पहले उन पर हमला किया, जिसके जवाब में पुलिस ने बल प्रयोग किया।
विरोध का कारण और घटनाक्रम
स्थानीय आदिवासी नेता रामलाल ने बताया कि, ‘पांच गांवों साल्ही, फतेहपुर, घाटबर्रा से लगभग 300 ग्रामीण परसा कोल ब्लॉक में हो रही पेड़ों की कटाई का विरोध करने के लिए इकट्ठे हुए थे। हमारा मकसद केवल जंगलों को बचाना था, लेकिन पुलिस ने हमें धरना स्थल पर ही रोक दिया। जब हमने कटाई स्थल पर पहुंचने की कोशिश की, तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे दर्जनों लोग घायल हो गए।’
वही आंदोलन में शामिल एक और व्यक्ति मुनेश्वर सिंह पोर्ते, ने आरोप लगाया कि सरकार और पुलिस अवैध रूप से कोयला खदान के लिए लाखों पेड़ काटने पर आमादा हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘ हम लोग ग्राम फतेहपुर, साल्ही और हरिहरपुर के ग्राम सभाओं की अनुमति के बगैर खोली जा रही परसा खदान के खिलाफ धरना दे रहे हैं. आज सुबह पुलिस ने हमारे साथ ज्यादती की और हम लोगों को दौड़ा कर मारा’।
रामलाल ने बताया, ‘ सरकार एक पेड़ माँ के नाम जैसी योजना चलाती है ,जिसका खूब जोर-शोर से प्रचार किया जाता है और जब आदिवासी अपने जंगल को बचाने के लिए जमा होते हैं तो उनपर जानलेवा हमला किया जाता हैं’।
‘आदिवासी समुदाय के जल, जंगल और जमीन पर कॉरपोरेट कब्जा जमाने के लिए संविधान की 5वीं अनुसूची, पेसा कानून और वन अधिकार कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। फर्जी ग्रामसभा का इस्तेमाल हथियार की तरह किया जा रहा है, जो कि आदिवासी समुदाय के अधिकारों का हनन हैं।’
वही सरगुजा पुलिस अधीक्षक योगेश पटेल ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि कटाई कार्य में रुकावट डालने के कारण पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
उन्होंने बताया, ‘ ग्रामीणों ने सुबह पुलिस पर लाठी, कुल्हाड़ी और गुलेल जैसे खतरनाक हथियारों से हमला किया, जिसमें 8 पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद पुलिस ने आत्मरक्षा में बल प्रयोग किया।
उधर ग्रामीणों का कहना है कि, ‘ इस झड़प में लगभग 25 ग्रामीण घायल हुए हैं, जिन्हें विभिन्न प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में उपचार के लिए भेजा गया है’।
पुलिस ने कहा कि फिलहाल कोई कानूनी मामला दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन स्थिति पर नजर रखी जा रही है और घटना की जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
वही छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने इस घटना पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि, ‘ छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का खून, अडानी के रसूख और पैसों के सामने सस्ता हो गया है। कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में संकल्प लेकर तय किया था की हसदेव अरण्य के अंतर्गत जिन क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई हो चुकी है, उन्हें छोड़कर बाकी क्षेत्र में पेड़ों की कटाई नहीं की जाएगी। इस संकल्प में परसा कोल ब्लॉक भी शामिल था ‘।
आगे उन्होंने बताया, ‘ आज साय सरकार के निर्देश पर भारी मात्रा में पुलिस बल परसा ग्राम के जंगलों में पेड़ों की कटाई के लिए जंगल खाली करवाने पहुँची है। अपने जंगलों को बचाने पहुंचे आदिवासियों पर बड़ी ही बेदर्दी से लाठी चार्ज किया जा रहा है।’
लेकिन इसी बीच प्रदेश की पिछली भूपेश बघेल सरकार के समय के बयान चर्चा में हैं जब कांग्रेस पार्टी खुद इन जंगलों के कटाई के पक्ष में कड़ी थी और मौजूदा बीजेपी सरकार इसके विरोध में थी जो अब इस कटाई के पक्ष में कड़ी है।
( बीबीसी की खबर से इनपुट के साथ )
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