वायनाड भूस्खलन: सैकड़ों बागान मजदूरों के लापता होने की आशंका
केरल के वायनाड के मुंडक्कई क्षेत्र में हाल ही में हुए भूस्खलन के बाद चाय, कॉफी और इलायची के विशाल बागानों में काम करने वाले सैकड़ों प्रवासी मजदूरों के लापता होने की गंभीर आशंका व्यक्त की जा रही है।
इन लापता मज़दूरों में ज्यादातार पश्चिम बंगाल और असम के मज़दूर शामिल हैं।
भूस्खलन के कारण क्षेत्र की सड़कों और पुलों का बड़ा हिस्सा बह गया है, जिससे जिला अधिकारी और बागान कंपनी के अधिकारी अब तक प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने में असफल रहे हैं।
हैरिसन्स मलयालम प्लांटेशन लिमिटेड (एचएमएल) के महाप्रबंधक बेनिल जॉन ने जानकारी दी है कि “उनकी कंपनी ने मुंडक्कई में चाय बागानों में काम करने के लिए 600 प्रवासी मजदूरों को नियुक्त किया था। लेकिन, अब तक इन मजदूरों से संपर्क नहीं हो पाया है, क्योंकि मोबाइल फोन नेटवर्क पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है”।
वही स्थानीय निवासियों का कहना है कि आपदा में 65 परिवारों के चार घर पूरी तरह से बह गए हैं।
बचाव दल ने अब तक कंपनी के पांच कर्मचारियों के शव बरामद कर लिए हैं।
एचएमएल के महाप्रबंधक (पर्यटन और संबद्ध व्यावसायिक गतिविधियाँ) सुनील जॉन ने बताया कि, “कंपनी के फील्ड ऑफिसर गिरीश और उनके परिवार के सदस्यों समेत तीन अन्य कर्मचारियों के शव भी बरामद किए गए हैं”।
उन्होंने पुष्टि की कि एचएमएल के सेंटिनल रॉक एस्टेट के नौ कर्मचारियों के क्वार्टर भी भूस्खलन में बह गए हैं।
गिरीश का बेटा जिष्णु और अन्य परिवार के सदस्य अब भी लापता हैं। सुनील जॉन ने यह भी बताया कि ‘पैंतीस अन्य कर्मचारी और उनके परिवार भी लापता हैं’।
इसी प्रकार, 2019 में पुथुमाला में भी एचएमएल के सेंटिनल रॉक एस्टेट का एक हिस्सा भूस्खलन में बह गया था।
स्थानीय निवासी शाजी के अनुसार, “नदी के किनारों पर जमा कीचड़ में अब भी कई लोग फंसे हुए हैं। भूस्खलन से पहले ये केवल 8 मीटर चौड़ी धारा थी, जो अब एक बड़े क्षेत्र से होकर गुजर रही है।”
चेतावनी की अनदेखी का नतीज़ा
स्थानीय मीडिया से बातचीत के दौरान कई लोगों ने बताया कि, “मौसम की चेतावनियों को नजरअंदाज करने वाले लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। जो लोग समय पर शिविरों में चले गए, वे सुरक्षित रहे”।
जिला प्रशासन और स्थानीय निकायों ने पहले ही आसन्न आपदा के बारे में चेतावनी जारी कर दी थी, लेकिन अधिकांश लोगों ने, खासकर गांवों में रहने वालों ने, इन चेतावनियों को अनदेखा कर दिया।
मेप्पाडी पंचायत के अध्यक्ष के बाबू के अनुसार, ‘जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले कई परिवारों को एक दिन पहले ही बचाव शिविरों में भेज दिया गया था, लेकिन पक्के कंक्रीट के घर वाले लोगों ने वहां से जाने से इनकार कर दिया’।
“लेकिन किसी ने भी नहीं सोचा था कि पूरा इलाका भूस्खलन में बह जाएगा। हताहतों की वास्तविक संख्या तभी सामने आएगी जब हम मुंडक्कई में बचे हुए लोगों को बचाकर वहां पहुंचेंगे “।
बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे एक अधिकारी ने बताया कि ‘बहुत बड़ा क्षेत्र बह गया है और कई परिवार लापता हैं’।
उन्होंने कहा, “बचाव दल का पहला जत्था दोपहर तक मौके पर पहुंच चुका था। बचे हुए लोगों को हवाई मार्ग से सुल्तान बाथरी के सेंट मैरी कॉलेज के अस्थायी स्वास्थ्य शिविर में ले जाया जाएगा, जहां से उन्हें अस्पतालों में भेजा जाएगा।”
ख़बरों की माने तो भारी बारिश के बाद केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड के बाद करीब 4 गांव की 22 हज़ार से ज्यादा आबादी सिर्फ 4 घंटे में तबाह हो गई।
आशंका जताई जा रही है कि मरने वालों की संख्या अब तक 156 तक पहुँच गई है. जबकि सैकड़ों लोग अब भी लापता हैं।
(ऑन मनोरमा की ख़बर से साभार)
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