“हम मर जायेंगे लेकिन वेदांता को अपनी 1 इंच भी जमीन खनन के लिए नहीं देंगे” – ओडिशा बॉक्साइट खनन

“हम मर जायेंगे लेकिन वेदांता को अपनी 1 इंच भी जमीन खनन के लिए नहीं देंगे” –  ओडिशा बॉक्साइट खनन

ओडिशा के दक्षिणी हिस्से में आदिवासियों और दलितों के खनन विरोधी प्रतिरोध को आकार देने में पिछले तीन-साढ़े तीन महीने बेहद उथल-पुथल और निर्णायक रहे हैं .

उच्च न्यायालय ने अंततः 13 अगस्त 2023 के बाद से अलग-अलग दिनों में गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को 10 नवंबर को जमानत दे दी.  पूरा आदिवासी समुदाय इस जमानत आदेश का बेसब्री से इंतजार कर रहा था, जो एक सप्ताह बाद 17 नवंबर की देर रात ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया था. हालाँकि उसके तीन दिन बाद तक जमानत नहीं मिली क्योंकि जमानत की भौतिक प्रमाणित प्रति 20 नवंबर को प्राप्त हुई, जिसके बाद उसे 21 नवंबर को काशीपुर जेएमएफसी अदालत में जमा की गई. जेएमएफसी, काशीपुर द्वारा लगाई गई जमानत की शर्तें मुख्य रूप से प्रत्येक व्यक्ति के लिए दो जमानतदार और 20000 रुपये का जमानत बांड जमा करना था.

अपनी ज़मीन और आजीविका बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए यह एक कठोर स्थिति है. जब उच्च न्यायालय द्वारा कोई शर्त नहीं दी गई थी तो जेएमएफसी द्वारा ऐसी शर्त लगाना न्याय से इनकार करने के समान है.

बुधवार, 22 नवंबर को जेल में बंद लोगों ने  बाहर कदम रखा . सात कार्यकर्ताओं को बिस्समकटक उप-जेल से और सोलह को रायगड़ा उप-जेल से रिहा किया गया. सैकड़ों ग्रामीणों ने जश्न के बीच उनका स्वागत किया. जेल में अभी भी दो कार्यकर्ता हैं जिनकी जमानत की प्रक्रिया बाकी है.

15 नवंबर को शहीद बिरसा मुंडा दिवस मनाने के लिए 2000 से अधिक लोगों की एक विशाल सभा हुई . क्रांतिकारी नायक बिरसा मुंडा का साहस और जज्बा देश भर में, खासकर पूर्वी भारत में आदिवासी लोगों के संघर्षों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. सामूहिक बैठक ने तिजमाली, कुट्रुमाली, खंडुआलमाली, माजिंगमाली, नियमगिरि और सासुबाहुमाली में बॉक्साइट खनन के खिलाफ चल रहे प्रतिरोध को मजबूत करने और आगे बढ़ाने के लिए उनकी निडर साहसी भावना को जागृत किया. साथ ही, अपनी भूमि की रक्षा के लिए चल रहे संघर्षों को आदिवासियों के प्रतिरोध के इतिहास से जोड़ते हुए एक परचा भी उपस्थित सभी लोगों के बीच वितरित किया गया.

बैठक को प्रसिद्ध पर्यावरणविद् प्रफुल्ल सामंतरा, समाजवादी दलित नेता और नियमगिरि सुरख्य समिति के सलाहकार लिंगराज आजाद, खंडुआलमालिस्थयी सुरख्य समिति के अध्यक्ष कार्तिक माझी सहित कई अन्य लोगों ने संबोधित किया. 29 अगस्त को रायगडा के स्थानीय पुलिस कर्मियों द्वारा कथित तौर पर अपहरण के बाद प्रफुल्ल सामंतारा पहली बार सामने आए.

हमेशा की तरह, वहाँ महिलाओं की भारी उपस्थिति थी, जिन्होंने एकजुट होकर गूँजते नारों के माध्यम से अपनी पवित्र भूमि और पहाड़ों को बचाने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया. मझिगांव से जीवन देई माझी, कांटामल से मुन्नी देई माझी और सरपंच नीला देई माझी सहित लगभग 10 महिला नेताओं ने सभा को संबोधित किया और असंख्य तरीकों से जंगलों और पहाड़ों के प्रति अपनी घनिष्ठता और उन पर अपनी निर्भरता को दोहराया.

बैठक काशीपुर और थुआमुल रामपुर के लोगों द्वारा ओडिशा सरकार से की गई मांगों को पढ़ने के साथ समाप्त हुई. मांगों में शामिल हैं:-

– वेदांता को दिए गए खनन पट्टे को रद्द करना
– क्षेत्र में एफआरए के तहत अधिकारों की अविरल और पूर्ण मान्यता
– नेताओं पर लगे सभी झूठे मुकदमे वापस लिये जायें
– पर्यावरणीय जन सुनवाई से पहले के दिनों में पुलिस द्वारा लिए गए आभूषणों, अन्य क़ीमती सामानों और मोटरसाइकिलों की वापसी

माजिंगमाली में महिलाएं तीन सप्ताह से निगरानी में हैं. तालामपदार सार्वजनिक बैठक को बमुश्किल कुछ ही दिन बीते थे कि ओडिशा सरकार ने 4 नवंबर को तिजमाली से सटे पहाड़ों पर बॉक्साइट खनन के लिए अपना पूर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया.

सुबह लगभग 10 बजे पुलिस की दो प्लाटून, दो जेसीबी वाहन ओडिशा खनन निगम (ओएमसी) के कर्मचारियों के साथ कालागांव गांव (कलागांव स्कूल के सामने) के पास गडेलझोला सड़क मोड़ पर पहुंचे. यह सड़क तिजमालियांड गोदामाली के निकट माजिंगमाली की ओर जाती है. जैसे ही इसकी खबर गांवों में फैली, आसपास के चार गांवों – कालागांव, कडेझोला, रुगापदार और माजिंगमाली की महिलाएं, जिनमें से लगभग 150-170 महिलाएं मौके पर पहुंचीं और ओएमसी अधिकारियों के पहाड़ की चोटी पर जाने का विरोध करते हुए सड़क को अवरुद्ध कर दिया.

वे पहाड़ की चोटी तक जाने वाली सड़क पर पुलिस वाहनों और जेसीबी के सामने बैठ गए. जाहिर है, ओएमसी अधिकारी वहां मिट्टी परीक्षण करने और बॉक्साइट के लिए संभावित सर्वेक्षण करने आए थे. कई घंटों के बाद, दो जेसीबी को ओएमसी अधिकारियों के साथ वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा.

पहले दो दिनों के लिए, सभी 200 महिलाएँ माजिंगमाली के प्रवेश द्वार की रखवाली करते हुए पूरे दिन और रात स्थल पर डेरा डाले रहीं. अब उन्हें ग्रामवार रोटेशन के आधार पर बैठने की व्यवस्था की गई है क्योंकि एसपी, रायगढ़ के आदेश पर 10 पुलिसकर्मी वहां तैनात रहेंगे. अलग-अलग गांवों की ये महिलाएं ओएमसी या पुलिस द्वारा माजिंगमाली में प्रवेश करने के किसी भी प्रयास का विरोध करते हुए, हर समय सतर्क और सतर्क रहकर धरना प्रदर्शन कर रही हैं.

माजिंगमाली की तलहटी में स्थित लाक्रिस गांव के हिंदा माझी ने कहा, “तिजमाली को वेदांता को पट्टे पर देने के बाद, अब ओडिशा सरकार हमारे माजिंगमाली को निशाना बना रही है. हम किसी भी मालिस का एक इंच भी नहीं देंगे. सभी मालियों की तरह जो पड़ोसी हैं, हम लोग भी विभिन्न मालियों के रिश्तेदार हैं. हम मर जायेंगे लेकिन किसी भी माली को नष्ट नहीं होने देंगे.”

(ग्राउंड जीरो की खबर से साभार)

Do read also:-

https://i0.wp.com/www.workersunity.com/wp-content/uploads/2023/04/Line.jpg?resize=735%2C5&ssl=1

Subscribe to support Workers Unity – Click Here

(Workers can follow Unity’s FacebookTwitter and YouTube. Click here to subscribe to the Telegram channel. Download the app for easy and direct reading on mobile.)

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Abhinav Kumar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.