मारुति के बर्खास्त मज़दूरों की बहाली की मांग क्यों हो रही है?

मारुति के बर्खास्त मज़दूरों की बहाली की मांग क्यों हो रही है?

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनियों में से एक मारुति सुजुकी के मानेसर स्थित प्लांट के बर्खास्त मज़दूर बीते 10 सालों से बहाली की मांग कर रहे हैं। लगातार हो रहे धरना प्रदर्शनों के बाद भी प्रबंधन मज़दूरों की बहाली के मुद्दे पर कोई बात नहीं कर रहा है।

बीते 15 फ़रवरी को मारुति के बर्खास्त मज़दूरों ने गुड़गांव डीसी कार्यालय तक जुलूस निकाल कर धरना प्रदर्शन किया था।

इसमें मानेसर स्थित मारुति प्लांट के लगभग 100 स्थाई मज़दूर, 150 बर्खास्त मज़दूर और लगभग 20 ऐसे मज़दूरों ने हिस्सा लिया, जो 2012 की घटना के बाद निकाल दिए गए और उन्हें जेल भी भुगतना पड़ा था.

गौरतलब है कि 2012 में मारुति में हिंसक घटना के बाद कंपनी ने 546 स्थायी मज़दूरों और 1,800 ठेका मज़दूरों को बिना किसी जांच पड़ताल के, ‘लॉस ऑफ़ कांफिडेंस’ का हवाला दे कर बर्खास्त कर दिया था।

तबसे इन परमानेंट और ठेका मजदूरों की ओर से बहाली की मांग उठती रही है। अब जबकि 13 मजदूर समेत बाकी को भी बरी कर दिया गया है, यह मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है।

ये भी पढ़ें-

 

मज़दूर विरोधी प्रबंधन और प्रशासन

मारुति आंदोलन के अगुवा नेता और प्रोविज़नल कमेटी के सदस्य खुशीराम लगातार मज़दूरों को बहाल करने की मांग करते रहे हैं।

खुशीराम ने वर्कर्स यूनिटी से कहा कि बीते 10 सालों से बर्खास्त मज़दूर अपना पुरजोर लगा कर बहाली की मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रबंधन और प्रशासन का रवैया जस का तस है।

उन्होंने कहा कि अगर बर्खास्त मज़दूरों की लड़ाई को आगे बढ़ाना है, तो सबसे पहले बिखरे हुए मज़दूरों को एक जुट करने की जरुरत है। इसको लेकर पहले के मुकाबले काफी सुधार हुआ है।

खुशीराम ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर में आयोजित दो दिवसीय भूख हड़ताल में इसके मुकाबले कम मज़दूरों ने हिस्सा लिया था।

उनका कहना है कि यह बर्खास्त मज़दूरों के आंदोलन के लिए जीत की बात भी है।

ख़ुशीराम ने कहा कि सब पहले हम बिखरे हुए मज़दूरों को एकत्र करने की योजना पर काम करेंगे। जब यह तैयारी पूरी हो जाएगी तो एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया जायेगा।

ये भी पढ़ें-

जुलूस-प्रदर्शन

गौरतलब है कि मारूति सुजुकी मज़दूर संघ (MSMS) के आह्वान पर बीते 15 फ़रवरी को आयोजित जुलूस प्रदर्शन में 2012 में बर्ख़ास्त मारूति मज़दूरों, प्लांट में कार्यरत मज़दूरों, हिताची और सनबीम के संघर्षरत ठेका मज़दूरों और मारूति की वेंडर प्लांट बेलसोनिका के मज़दूरों के मज़दूरों ने हिस्सा लिया।

साथ ही मारूति के अन्य प्लांटों व हीरो की यूनियन व विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने भी प्रदर्शन में मौजूदगी दर्ज कराई।

मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के विभिन्न घटक संगठनों के प्रतिनिधियों ने देश भर में टर्मिनेटेड मज़दूरों के संघर्ष को मिल रहे समर्थन को दर्ज कराया, इनमें जन संघर्ष मंच हरियाणा, मज़दूर सहयोग केंद्र, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, इफ्टू (सर्वहारा), ग्रामीण मज़दूर यूनियन बिहार शामिल रहे। साथ ही श्रमिक संग्राम समिति, केएनएस व मारुति से 2000 के आंदोलन में बर्ख़ास्त मज़दूर जैसे विभिन्न संघर्ष में लगे मज़ूदर अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया।

इस दौरान मानेसर मारुति कार प्लांट के प्रधान पवन, पॉवरट्रेन से प्रधान मनोज और मारुति गुड़गाँव प्लांट से राजेश ने सभी प्लांटों के बीच तालमेल से बर्ख़ास्त मज़दूरों को पूरा समर्थन देने का वादा किया।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

WU Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.