महिला खिलाड़ियों पर पुलिस के हमले के ख़िलाफ़ गुड़गांव में मज़दूरों किसानों का प्रदर्शन

महिला खिलाड़ियों पर पुलिस के हमले के ख़िलाफ़ गुड़गांव में मज़दूरों किसानों का प्रदर्शन

जंतर मंतर पर बैठीं महिला पहलवानों पर कथित पुलिसिया हमले के ख़िलाफ़ आज गुड़गांव के मिनी सचिवालय पर विभिन्न ट्रेड यूनियनों के सदस्यों, किसान संगठनों के लोगों, स्वतंत्र नागरिक, छात्र और वकीलों ने प्रदर्शन किया।

मारुति आंदोलन के अगुवा नेता रहे खुशीराम ने बताया कि बुधवार की रात बजे महिला पहलवानों पर पुलिस ने हमला बोलकर दो लोगों का सिर फोड़ दिया। ठीक राजधानी में महिला पहलवानों के साथ ये बदसलूकी दिखाती है कि उनके साथ मोदी सरकार क्या कुछ करना चाहती है।

उन्होंने कहा कि जिस बीजेपी बाहुबली नेता बृज भूषण शरण सिंह पर नाबालिग खिलाड़ी तक ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं और जिस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एफ़आईआर दर्ज की गई है उसे अभी तक गिरफ़्तार नहीं किया गया है।

प्रदर्शन में मुंजाल शोवा यूनियन के प्रतिनिधि, एटक के अनिल पवार, मज़दूर सहयोग  केंद्र के ख़ुशीराम, सीटू से संबद्ध आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता आदि लोग पहुंचे थे।

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महिला पहलवान क्यों कर रही हैं प्रदर्शन?

ग़ौतलब है कि बीते एक हफ़्ते से बीजेपी नेता और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ उत्पीड़न की शिकायत को लेकर ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली महिला खिलाड़ी से लेकर राष्ट्रीय अंतरराषट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का नाम कमाने वाली महिला पहलवान जंतर मंतर पर बैठी हैं।

उनके समर्थन में सैकड़ों लोग पूरे देश से पहुंच रहे हैं। मंगलवार से ही दिल्ली भारी बारिश हो रही थी जिससे धरना स्थल पर गद्दे भीग गए थे। मंगलवार को किसी तरह उन्होंने रात गुजारी लेकिन बुधवार की रात उन्होंने फ़ोल्डिंग चारपाई मंगाई जिसे पुलिस वाले आने नहीं देना चाह रहे थे।

धरने पर बैठे लोगों ने जब किसी तरह चारपाई लाने की कोशिश की तो उन पर पुलिस ने हमला बोल दिया, जिसमें दो लोगों को सिर पर चोट आई है।

रात को कवर करने गए एक पत्रकार ने बताया कि जहां धरना चल रहा है वहां इतनी कड़ी बैरिकेडिंग है कि रात में कवर करने गए पत्रकार भी बड़ी मुश्किल से ही पहुंच पाए।

वैसे भी जंतर मंतर पर पहले से ही इतनी भारी बैरीकेडिंग है, ऊपर से जहां पहलवान बैठे हैं उनके क़रीब से सटकर बैरिकेडिंग लगा दी गई है। बुधवार को इन चंद महिला पहलवानों और उनके समर्थकों के अलावा कोई भीड़ नहीं थी लेकिन पुलिस कर्मियों की संख्या देख कर हैरत हो रही थी।

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Workers Unity Team

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