बेलसोनिका में हड़ताल ख़त्म, निलंबित 10 मज़दूरों की बहाली पर हुआ समझौता
पिछले एक महीने से मानेसर में बेलसोनिका कंपनी के बाहर चल रहा वर्करों का अनशन एक जून को एक समझौते के साथ ख़त्म हो गया।
30 मई को सभी मज़दूरों ने हड़ताल कर दी थी, जो मज़दूर कंपनी में थे उन्होंने टूल डाउन कर दिया जबकि बाहर निलंबित वर्कर और यूनियन के प्रतिनिधिमंडल अनशन पर थे।
यूनियन की ओर से अनशन और भूख हड़ताल के आह्वान पर वर्करों के परिजन भी धरने में शामिल होने पहुंचे। तीन दिनों तक चली लंबी समझौता वार्ताओं के बाद आखिरकार प्रबंधन ने 10 निलंबित मज़दूरों को वापस लेने पर रज़ामंदी दिखाई हालांकि यूनियन के अगुवा तीन मज़दूर नेताओं के वापस लेने पर कोई सहमति नहीं बनी।
लेकिन समझौते में ये साफ़ किया गया कि यूनियन और मैनेजमेंट के बीच वार्ताओं में यूनियन के सभी प्रतिनिधि शामिल होंगे।
समझौते के मुताबिक 30 मई से हड़ताल के कारण प्लांट बंद हुआ था उस पर प्रबंधन बदले की भावना से कार्रवाई नहीं करेंगे।
ये भी पढ़ेंः बेलसोनिका कम्पनी में हड़ताल, बर्खास्त और निलंबित वर्करों के परिवारों के क्या हैं हालात?
समझौता
जिन दस मज़दूरों को वापस लेने का फैसला हुआ है उन्हें 30 मार्च 2023 को निलंबित कर दिया गया था।
इनमें तीन वर्करों को 2 जून 2023 को पेंडिंग इंक्वायरी के साथ वापस ले लिया जाएगा। इसके बाद 7 दिन बाद तीन वर्करों को पेंडिंग इंक्वायरी के साथ वापस लिया जाएगा और उसके 7 दिन बाद चार अन्य बचे हुए मज़दूरों को पेंडिंग इंक्वायरी के साथ वापस कंपनी में ले लिया जाएगा।
इन सभी 10 वर्करों की पेंडिंग इंक्वायरी जल्द खत्म कर रिपोर्ट इंक्वायरी कमेटी को दे दी जाएगी।
दोनों पक्षों में यह भी सहमति बनी है तीन निलंबित यूनियन पदाधिकारी महेंद्र कपूर (प्रधान), अजीत सिंह (महासचिव) और सुनील कुमार (संगठन सचिव) इनको कंपनी में अभी वापस नहीं लिया जाएगा परंतु इनकी इंक्वायरी रिपोर्ट पर जल्द फैसला लिया जाएगा।
इंक्वायरी कमेटी के मेंबर एएलसी और डीएलसी, एक प्रबंधन प्रतिनिधि और एक यूनियन प्रतिनिधि होंगे जो सभी दस्तावेजों और इंक्वायरी रिपोर्ट पर फैसला लेंगे।
17 टर्मिनेटेड वर्कर हैं जिनमें से 14 परमानेंट वर्कर व तीन ठेका वर्कर हैं। उनके रोजगार के संबंध में प्रबंधन तथा यूनियन पक्ष आपस में मिलकर मानवीय आधार पर सकारात्मक रूप से बातचीत करके एक माह के अंदर सावधान करने का प्रयास करेंगे।
दोनों पक्ष अपना व्यवहार सकारात्मक रखेंगे और अपना कार्य करेंगे, इस बात पर राजी हैं।
जो मामले औद्योगिक विवाद क़ानून की धारा 2(K) के तहत लंबित हैं, उन पर दोनों पक्ष एक माह के अंदर समाधान करने का प्रयास करेंगे।
यह भी तय हुआ कि समझौता वार्ता में सभी यूनियन पदाधिकारी शामिल होंगे।
ये भी पढ़ेंः-
- वन गुर्जरों के घरों के बाहर खाई खोदे जाने से आक्रोश, वन विभाग कार्यालय पर प्रदर्शन की चेतावनी
- भारत में सुपर अमीरों की संख्या बढ़ी, 1.44 करोड़ रुपये वाले भी 1% अमीरों के क्लब में
- मानेसर प्रोटेरिअल वर्कर कंपनी में धरने पर बैठे, गेट के बाहर दो शिफ़्ट के वर्कर
- नागपुर: मोराराजी टेक्सटाइल्स के वर्कर पानी की टंकी पर चढ़े, चार महीने से बकाया है सैलरी
- बेलसोनिका: ठेका मज़दूर को यूनियन सदस्य बनाने का मामला इतना तूल क्यों पकड़ा?
वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें