वाराणसी में हजारों रेलवे कर्मचारियों ने एनपीएस व निजीकरण के खिलाफ निकाला मशाल जुलूस
बीते गुरुवार, 13 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ और ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग को लेकर एक विशाल जुलूस निकाला गया।
कर्मचारियों ने पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी डीआरएम ऑफिस, लहरतारा से लोकतांत्रिक तरीके से वाराणसी कैन्ट रेलवे स्टेशन तक मशाल जुलूस निकाला।
इस दौरान प्रदर्शन में हज़ारों रेलवे कर्मचारियों ने ‘पुरानी पेंशन बहाल करो’, ‘जो पुरानी पेंशन बहाल करेगा- वही देश मे राज करेगा’ नारे लगाए।
फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे/एनएमओपीएस के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र पाल ने कहा कि एनपीएस व निजीकरण/निगमीकरण के खिलाफ जारी संघर्ष पुरानी पेंशन बहाली व जनता की सवारी भारतीय रेलवे के निजीकरण/निगमीकरण का पूरी तरह से खात्मे तक जारी रहेगा।
एक अक्टूबर को दिल्ली में महा जुटान
उन्होंने कहा कि नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय आह्वान पर 1 अक्टूबर 2023 को रामलीला मैदान, नई दिल्ली में होने वाली पेंशन शंखनाद रैली में वाराणसी से पूर्वोत्तर रेलवे, उत्तर रेलवे और बनारस रेल कारखाने से हजारों रेलवे कर्मचारी भागीदारी करेंगे।
पाल ने कहा कि मशाल जुलूस में रेलवे में कार्यरत सभी कैटेगरी के एसोसिएशनों से जुड़े हजारों रेलवे कर्मचारियों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि कर्मचारियों में कितना असंतोष है।
नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे के राष्ट्रीय प्रचार सचिव व ‘एनपीएस-निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा’ के सहयात्री डॉ. कमल उसरी ने बताया कि एनपीएस व निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा एक जून 2023 को बिहार में चम्पारण के भितरहवा गाँधी आश्रम से शुरू होकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, नई दिल्ली, राजघाट पर 18 हजार किलोमीटर की यात्रा तय करते हुए 28 जून 2023 को पहला चरण पूरा कर चुकी है।
उसरी ने कहा कि इस यात्रा को देश भर में मिले अपार जनसमर्थन ने ओपीएस को खत्म करने के गुनहगार, एनपीएस के ट्रस्टी रेलवे में मान्यता प्राप्त यूनियनों को पूरी तरह से बेकनाब कर दिया है।
उनके अनुसार, आज पेंशन विहीन सरकारी कर्मचारी यूनियनों/ संगठनों के दबाव से मुक्त होकर स्वयं के विवेक से क्रांतिकारी पहलकदमी लेते हुए फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे/एनएमओपीएस द्वारा जारी पुरानी पेंशन बहाली के संघर्ष में हजारों- लाखों की संख्या में जगह जगह भागीदारी कर रहा है।
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‘ओडिशा दुर्घटना रेलवे के निजीकरण का नतीजा’
डॉ कमल उसरी ने कहा कि उड़ीसा के बालासोर में हुए रेल दुर्घटना का मुख्य कारण रेलवे का अंधाधुंध तरीके से हो रहा निजीकरण और रेलवे में लाखों कुशल और प्रशिक्षित रेलवे कर्मचारियों कमी है।
उन्होंने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार अमीरों का लाभ और गरीबों का विनाश करते हुए पैंसेंजर ट्रेन का किराया एक्सप्रेस के बराबर कर दिया है, वहीं वंदे भारत समेत सभी ट्रेनों के एसी चेयर कार और एग्जीक्यूटिव श्रेणी के किराए में 25% तक कटौती कर रही है।
उन्होंने कहा कि आम आवाम की भागीदारी व सहयोग से रेलवे के निजीकरण और रेलवे यात्रियों की सुविधाओ में हो कटौती के रोका जायेगा।
एनई रेलवे मेंस कांग्रेस- ज़ोनल अध्यक्ष अखिलेश पाण्डेय ने कहा कि आज सरकारी कर्मचारियों का सबसे बड़ा मुद्दा पुरानी पेंशन बहाली है। 2024 लोक सभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन बहाली कराना हमारा लक्ष्य है।
अटेवा प्रदेश उपाध्यक्ष सतेंद्र राय ने कहा कि सभी राजनीतिक दल के चुने हुए माननीय संसदों के आवास की 1 अगस्त से 9 अगस्त तक घँटी बजाकर पुरानी पेंशन बहाली के लिए ज्ञापन सौंपा जाएगा।
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कैंट रेलवे स्टेशन पर मशाल जुलूस
मशाल जुलूस का संयोजन मुख्य रूप से “फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे”- पूर्वोत्तर रेलवे- ज़ोनल सयोजक- राकेश कुमार एवं वाराणसी मंडल- संयोजक- संतोष सिंह और नार्दन रेलवे, वाराणसी कैंट से शशि शंकर द्विवेदी एवं बुल्लू पाल ने किया।
मशाल जुलूस में मुख्य रूप से मनोज कुमार, दुर्गेश कुमार पांडेय, एलरसा मंडल अध्यक्ष कॉम लाल जी यादव, कमलेश भारतीय, निरंजन कुमार, सुदीप कुमार, वीरेंद्र कुमार, कलामुद्दीन, बंट्टी कुमार, गोपाल जी, मनोज कुमार, अरुण कुमार, पप्पू सिंह, प्रदीप यादव, संजय कुशवाहा, सर्वेश मौर्या, राजीव सिंह, पुत्तू लाल, विवेकानंद पाण्डेय एवं अन्य साथी सैकड़ों लोगों ने भागीदारी किया।
मशाल जुलूस जब वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर पहुँच औऱ जुलूस निकाल रहे रेलवे कर्मचारियों ने जब नारे बुलंद किए कि जनता की सवारी भारतीय रेल बेचना बंद करो- देश बेचना बंद करो।
इसके जवाब में वहाँ मौजूद हजारों यात्री पूरे ऊर्जा और उत्साह के साथ स्वतः रेलवे कर्मचारियों के साथ नारे दुहराते हुए जुलूस में शामिल होकर वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन का पूरा एक चक्कर लगाया।
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