मुंबई में बीजेपी के मंत्री ने 500 घरों पर चलवाए बुलडोजर, न सर्वे न नोटिस भारी बरसात में ढहाए घर
पूरे देश में जहां जहां भाजपा की सरकारें हैं, झुग्गी बस्ती में रहने वाले ग़रीब लोगों के घरों पर मनमाने और गैरक़ानूनी तरीके के बुलडोजर चलाया जा रहा है।
बीते जून के प्रथम सप्ताह में मुंबई के मलाड इलाके के अंबुजवाड़ी बस्ती में 400 से 500 घरों को तोड़ दिया गया और बड़े पैमाने पर लोग बेघर हुए हैं और उनकी संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है।
निवासियों का आरोप है कि महाराष्ट्र में बीजेपी के एक मंत्री मंगल लोढ़ा के आदेश पर इस बस्ती पर बुलडोजर चलाया गया और मांग की है कि इस मंत्री पर एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए।
अंबुजवाड़ी बस्ती में अधिकांश निवासी दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग से आते हैं और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और खून पसीने की कमाई से घर बनाए थे। ये घर 20-20 साल पुराने थे।
इस गैरकानूनी और मनमानी कार्रवाई के ख़िलाफ़ और नुकसान के मुआवजे के लिए अंबुजवाड़ी के निवासियों ने कई बार प्रदर्शन किया लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई।
21 जुलाई को निवासियों ने कलेक्टर ऑफिस पर प्रदर्शन करने का फैसला लिया है और प्रशासन से पुनर्वास की मांग की है।
निवासियों ने एक समिति बनाई है। इनका कहना है कि तोड़फोड़ की कार्रवाई में वे घर भी गिरा दिए गए जो 2000 और 2011 से पहलने बने हैं।
ये सभी घर महाराष्ट्र स्लम क्षेत्र (सुधार, निष्कासन, पुनर्विकास) अधिनियम, 1971 और महाराष्ट्र सरकार के 16 मई 2015 और 16 मई 2018 के GR के और 24 मई 2023 के GR के तहत संरक्षित हैं और पुनर्वसन के पात्र हैं।
निवासियों का कहना है कि इनमें से किसी भी घर का सर्वे नहीं हुआ और उनकी पात्रता तय नहीं की गयी। इस प्रक्रिया का पालन किये बिना तोड़फोड़ क्यों किया गया?
सितम्बर तक तोड़ फोड़ पर थी रोक फिर भी चला बुलडोजर
जब एक जून और 6 जून 2023 को बुलडोजर चलाया गया तो उससे पहले बस्ती में नोटिस नहीं लगाया गया था।
किसी भी तोड़ फोड़ की करवाई में स्थानीय निवासियों को नोटिस देकर सूचित करना अनिवार्य है। नोटिस नहीं देने के वजह से तोड़ने के दौरान लोगों का बहुत नुक्सान भी हुआ है।
निवासियों ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि शहरी विकास विभाग ने GR के तहत 1 जून से लेकर 30 सितंबर तक किसी भी तोड़फोड़ की कार्यवाई करने पर प्रतिबन्ध लगाया था, इसके बावजूद अंबुजवाड़ी में दो बार बुलडोज़र चलाए गए।
टूटे घरों में रहने वाले परिवारों, बच्चों, गर्भवती महिलाएं, बुज़ुर्ग और बीमार लोगों को इस कार्यवाई के कारण बिपरजॉय तूफ़ान और भीषण गर्मी और लू के दौरान खुले में रहने पर मज़बूर किया गया।
मानसून में भी ये सभी खुले में रहने पर मजबूर हैं। निवासियों का सवाल है कि इन परिवारों को प्रतिबंधित समय में क्यों तोड़ा गया?
12 जुलाई 2023 को जिलाधिकारी के कार्यालय से अधिकारियों ने आकर मौजूदा घरों का सर्वे किया और अगले दिन से पुलिस ने आकर घरों पर FIR दर्ज करना शुरू किया।
अभी तक एक भी घर का पात्रता के लिए सर्वे नहीं किया गया है और किसी भी परिवार की पात्रता की जाँच नहीं हुई है ना ही किसी का नाम परिपत्र-2 में जोड़ा गया है।
यही नहीं 19 जुलाई को जिलाधिकारी ने ऑरेंज अलर्ट में भरी बरसात में घरों पर बुलडोजर चलवाया।
यहां एक स्कूल को भी तोडा गया जिसमें लगभग 350 बच्चे पढ़ते थे जो अब बिना स्कूल के हो गये हैं। इस तोड़ फोड़ में भी कोई नोटिस नही दिया गया।
इस तोड़ फोड़ को रात 7:30 बजे तक चलाया गया। इसके बाद तकरीबन 150 घरों के लोग खुले में बारिश में रहने को मजबूर हुए।
निवासियों की मांग
- टूटे हुए घरों का पहले सर्वे किया जाए और सभी के पुरावों की 2011 के कट ऑफ डेट के अनुसार जांच की जाए।
- जब तक यह सर्वे नहीं होता तब तक लोगों को उसी स्थल पर रहने दिया जाए।
- यह सर्वे के आधार पर लोगों का परिपत्र-2 बनाया जाए और लोगों को उनके अधिकार के अनुसार उनका पुनर्वास किया जाए।
- जिन घरों का यह अवैध कार्यवाई से घर टूटा है उनको घर तोड़ने का मुआवज़ा दिया जाए।
- जिन घरों पर पुलिस द्वारा FIR दर्ज किये जा रहे हैं उन सभी को रद्द किया जाए और गरीबों पर इस तरह का ज़ुल्म ज़बरदस्ती पर रोक लगाया जाये।
निवासियों का आरोप है कि महाराष्ट्र की बीजेपी एकनाथ शिंदे सरकार में महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्री मंगल लोढ़ा के आदेश पर इन सभी घरों को तोड़ा गया। जिन घरों को तोड़ा गया उनमें अधिकांश एससी समाज से आते हैं.
निवासियों का कहना है कि मंत्री ने अपने ताकत का गलत इस्तेमाल लोगों को बेघर करने के लिए किया। उनके ऊपर तुरंत FIR की जाये और एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए।
कौन हैं बीजेपी मंत्री मंगल लोढ़ा?
निवासियों का कहना है कि उन्होंने उस मीटिंग के नोट्स देखे हैं जिसमें मंत्री ने खुद आदेश दिए थे।
निवासियों ने कहा, “हमने SRA कार्यालय में जाकर उपजिलाधिकारी मैडम से बातचीत करके निष्कासन से जुड़े पत्र पुरावे निकाले। इसमें हमे मुंबई उपनगर पश्चिम विभाग के पालक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा जी के एक मीटिंग के मिनट्स प्राप्त हुए। इस मीटिंग में मंत्री जी ने निष्कासन करने के लिए अधिकारियों को आदेश दिया था। मिनिट्स ऑफ़ मीटिंग में नए बांधकाम को हटाने का आदेश था। ”
इंटरनेट पर उपलब्ध ख़बरों के अनुसार, मंगल लोढ़ा बीजेपी विधायक हैं और बहुत बड़े रीयल स्टेट बिज़नेसमैन हैं।
दुनिया भर में अमीरों पर नज़र रखने वाली चर्चित वेबसाइट फ़ोर्ब्स के अनुसार मंगल प्रभात लोढ़ा की इस समय कुल दौलत 6.8 अरब डॉलर है और दुनिया के शीर्ष अमीरों में उनका 390वां स्थान है।
मंगल प्रभात लोढ़ा ने 1980 में मुंबई में लोढ़ा ग्रुप की स्थापना की थी जो आज मैक्रोटेक डेवलपर्स के नाम से जानी जाती है।
समंदर के किनारे बसे होने और भारत की आर्थिक नगरी होने के कारण मुंबई में ज़मीन बहुत कम है और बिल्डरों, रियल इस्टेट के बिज़नेसमैन, व्यापारी, राजनेताओं आदि की गिद्ध नज़र उन बस्तियों, झुग्गियों, रिहाइशी इलाकों, बंद पड़ी फैक्ट्रियों पर लगी होती है जहां मज़दूर वर्ग की आबादी रहती है।
सरकारें इन्हीं बिल्डरों, रियल इस्टेट के बिज़नेसमैन, व्यापारी, राजनेताओं की साठ गांठ से ऐसी ज़मीनों को खाली कराने और लोगों को बेघर करने के घिनौने काम को अंजाम देती हैं।
इस समय केंद्र में बीजेपी की सरकार है और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं इसलिए लोगों की ये बर्बादी उन जगहों पर दुगनी रफ़्तार में हो रही है, जहां कथित डबल इंजन की सरकार है।
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Anti BJP news hain ismein, nothing else.
BJP Govt jo kuch kar rahee hai, Desh ke liye hai.
Itni nafrat late kanha se hai, esa aap ke sath bhi ho sakta hai, tab bhi yahi kahenge???
Tumara real name kya hai bhai….
Bro sahi kr rhi hai , yeh log rohangiya hai , jab inke apne Desh Wale nhi apna rhe , toh hum kyu apnaye