गांधी जयंती पर दिल्ली में गोष्ठी, भक्त चरण दास ने कहा- आज लोकतंत्र बचाना सबसे बड़ी चुनौती
दिल्ली में गांधी जयंती के मौके पर हुए एक गोष्ठी में महात्मा गांधी के विचारों को फिर से एक नज़रिए के साथ लोगों के बीच ले जाने पर चर्चा हुई जिसमें राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं और समाज के मानिंद लोगों ने हिस्सा लिया।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के संयोजक डॉ. राकेश रफ़ीक ने कहा कि महात्मा गांधी अपने अंतिम दिनों में जिस विचार प्रक्रिया से होकर गुजर रहे थे और जिन अनुत्तरित सवालों से जूझ रहे थे, आज भी वो सवाल बने हुए हैं और नौजवानों की नई पीढ़ी के कंधों पर यह चुनौती है।
अस्सी के दशक में पश्चिमी यूपी के किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. राकेश रफ़ीक ने कहा कि इस चुनौती को स्वीकार कर एक राष्ट्रीय आंदोलन को शुरू करना होगा, जो व्यवस्था में बदलाव की ओर ले जाए।
परिचर्चा में समाजवादी आंदोलन के सक्रिय नेता रहे और कांग्रेस नेता भक्त चरण दास ने कहा कि इस समय लोकतंत्र का संकट आसन्न हो गया है और उसे बचाने के लिए जो कुछ भी किया जा सकता है उसे किया जाना चाहिए।
2000 के दशक में चली देशव्यापी संवाद प्रक्रिया की कोर टीम में रहीं महाराष्ट्र की डॉ. मीनाक्षी ने कहा कि साम्राज्यवाद के दौर में गांधी की ग्राम स्वराज की अवधारणा को फिर से देखना ज़रूरी है।
डॉ. मीनाक्षी की बात से सहमत कई वक्ताओं ने कहा कि ग्राम स्वराज्य की गांधी की अवधारणा 21वीं सदी में भी उतनी ही प्रासंगिक है और जिस पर्यावरण नुकसान, गैरबराबरी की खाई, सामाजिक ताने बाने की टूटन के बारे में गांधी ने 20 सदी की शुरूआत में एक रास्ता दिखाया था, वे संकट आज दरवाजे पर आ खड़े हुए हैं।
देश के वर्तमान हालात पर चिंता
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन 3 के बैनर तले 2 अक्टूबर को दिल्ली के एनडी तिवारी भवन में 154वी महात्मा गांधी जी की जयंती और 119वी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जयंती के उपलक्ष में महात्मा गांधी के अंतिम चरण के विचारों पर और महात्मा गांधी के विचारों पर एकमात्र चलने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के विचारों पर चर्चा हुई।
गोष्ठी के प्रथम सत्र में खचाखच भरे एनडी तिवारी के सभागार में सामाजिक आंदोलन से जुड़े लोगों ने शिरकत की और महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी।
गोष्ठी में शिरकत करने वाले तमाम वक्ताओं ने देश में मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त की और यूपी सरकार द्वारा बनारस में सर्वसेवा संघ के कार्यलय पर बुलडोज़र चलाने की निंदा की।
वक्ताओं ने गांधी के चम्पारण आंदोलन, लंदन की यात्रा और अपने विचारों पर दृढ़ता की चर्चा करते हुए कहा कि गांधी के विचार आज भी भारत ही नहीं दुनिया के लोगों को राह दिखाते हैं.
और वर्तमान में भी ऐसी ही चीजों की हमें जरूरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता रिटायर्ड कर्नल आरएम मलिक ने की।
गोष्ठी में देश भर से शिरकत
समाजवाद के विचारक श्याम गंभीर ने कहा कि महात्मा गांधी हमें भय मुक्त होना सिखाते हैं और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का साहस देते हैं।
आईआईटी के प्रोफेसर विजेंदर उपाध्याय ने वर्तमान में महात्मा गांधी जी के महत्व पर प्रकाश डाला। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन-3 सह-संयोजक तरूण राठी ने कहा कि भारत के इतिहास में दो महापुरुष ऐसे हैं जो पार्टियों की विचारधाराओं से ऊपर रहे हैं।
महात्मा गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री जी जो जन मानस की नस पड़कर मुद्दों पर निरंतर बात करते रहे हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल और गुजरात आदि राज्य से लोग उपस्थित हुए।
कौशल क्रांतिकारी, नोमान जमाल, विकास कुमार, जितेंद्र दक्ष, राहुल चांदना, संदीप राव, शशि कुमार, रणजीत सिंह आदि सभी उपस्थित रहे।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी की किसान यूनियन से भी आए लोगों ने गोष्ठी में शिरकत की और किसान आंदोलन के दौरान किसानों की एकजुटता पर अपनी बात रखी।
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