उत्तराखंडः दिवाली से ही सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं 40 मज़दूर, सैकड़ों मज़दूरों ने शुरू किया प्रदर्शन
उत्तराखंड में एक निर्माणाधीन सुरंग में दिवाली की सुबह से 40 मज़दूर अंदर फंसे हुए हैं और राहत और बचाव कार्य जारी है।
72 घंटे बीतने के बाद मज़दूरों का सब्र का बांध टूट गया और टनल के बाहर वहां काम करने वाले मज़दूरों और स्थानीय ग्रामीणों ने अंदर फंसे लोगों को जल्द से जल्द बाहर निकालने के लिए प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
प्रदर्शन में शामिल एक मज़दूर का कहना है कि प्रशासन कुछ स्पष्ट नहीं जवाब दे रहा है और आश्वासन दे रहा है कि आज निकालेंगे, कल निकालेंगे लेकिन अभी तक चार पांच दिन हो गया है कोई सूरत नज़र नहीं आ रही है।
एक स्थानीय जन प्रतिनिधि ने कहा कि अंदर 41 जानें फंसी हुई हैं और कोई पता नहीं चल पा रहा है कि कब ये राहत अभियान समाप्त होगा।
प्रदर्शनकारी जीएम समेत उच्च अधिकारियों को मौके पर पहुंच कर स्पष्ट जवाब देने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि दिवाली के दिन से ही बचाव अभियान शुरू किया गया है लेकिन कोई उच्च अधिकारी नहीं पहुंचा है।
फंसे मज़दूरों को पाइप से खाना पीना और ऑक्सीजन भेजा जा रहा है। उनके सकुशल होने की खबर के लिए राहतकर्मी लगातार फंसे मज़दूरों से बात कर रहे हैं।
उत्तरकाशी-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगाँव तक निर्माणाधीन टनल में दीवाली की सुबह क़रीब पांच बजे भूस्खलन के बाद मज़दूरों से संपर्क टूट चुका है।
फँसे हुए मज़दूरों तक पहुँचने के लिए मलबा हटाकर सेटरिंग प्लेट लगा कर उन्हें निकालने की कोशिश हो रही है। हालांकि अब मलबे में ड्रिल करके पाईप डालने की कोशिश हो रही है ताकि मज़दूर इससे रेंग कर बाहर निकल सकें।
निर्माणाधीन क़रीब 4531 मीटर लम्बी सुरंग में सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मीटर और बड़कोट की तरफ से 1600 मीटर निर्माण हो चुका है।
लेकिन सिल्क्यारा की तरफ से 270 मीटर अन्दर, क़रीब 30 मीटर क्षेत्र में भूस्खलन हुआ है।
निर्माण करा रही कंपनी एनएचआईडीसीएल ने बताया है कि फँसे हुए व्यक्तियों में दो उत्तराखंड, एक हिमाचल प्रदेश, चार बिहार, तीन पश्चिम बंगाल, आठ उत्तर प्रदेश, पांच उड़ीसा, दो असम और 15 झारखण्ड के हैं।
मज़दूरों को तलाशने पहुंचे परिजन
आकाश के पिता बीते तीन दिन से टनल में फंसे हुए हैं। उन्होंने बताया, “मैं टनल में गया था और पिता से ऑक्सीजन पाइप के ज़रिए बात हुई। वहां वे अभी तक सुरक्षित हैं।”
आकाश ने कहा कि उनके पिता पूरी तरह ठीक हैं। फंसे लोगों में किसी को कोई चोट नहीं लगी है। मज़दूरों से राहत कर्मियों की बात हो पा रही है।
आकाश के चाचा प्रेम सिंह नेगी भी अपने भाई के बाहर निकलने का इंतज़ार कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि “हम पिछली रात (सोमवार) को यहाँ पहुँचे हैं। मुझे यहाँ हो रहा काम संतोषजनक नहीं लग रहा है। यहाँ बचाव कार्य सुस्त तरीक़े से चल रहा है।”
उन्होंने शिकायत की कि “यहाँ जब पिछली रात पहुँचे थे तो हमें कहा गया था कि रेस्क्यू के लिए मशीन रात को ही 11 बजे आ जाएंगी। मशीन सुबह पांच बजे आयी है। इतनी देर हो जाने के बाद भी अभी काम शुरू नहीं हो सका है।”
उत्तर प्रदेश के सरावस्ती ज़िले के रहने वाले राम सुंदर टनल में मज़दूरी करते हैं। राम सुंदर को भी टनल में फँसे अपने साथियों के बाहर आने का बेसब्री से इंतज़ार है।
राम सुंदर ने बीबीसी को बताया, “सुरंग में हादसे के वक़्त हमारे 17 लोग थे। उनमें से कुछ लोग शौच के लिये बाहर आ गये थे। मैं भी कुछ देर के लिये क़रीब पांच बजे बाहर आया था, जैसे ही दोबारा अंदर जाने लगा तो सुरंग में भूस्खलन हो गया। फिर मैं अंदर नहीं जा पाया।”
राम सुंदर ने बताया, “मेरे चाचा का लड़का भी सुरंग में फँसा है। मैं उसे अपने साथ यहाँ काम कराने लाया था, अब मैं घर में जाकर क्या कहूंगा। हमारी इस साल दीवाली भी ख़राब हो गई।”
बिहार के रहने वाले गुड्डू यादव ने बताया, “सुरंग में हमारे क़रीब 35 से ज़्यादा लोग फँसे हुए हैं। दिवाली के दिन सुबह क़रीब पांच बजे यह हादसा हुआ था, अभी तक कोई बाहर नहीं निकला है।”
(बीबीसी हिंदी से साभार)
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