ठेका मज़दूरों से गुलामों की तरह काम लिया जाता हैः औद्योगिक ठेका मज़दूर यूनियन
मंगलवार 16 अक्टूबर को फरीदाबाद में सैकड़ों इंडस्ट्रियल ठेका मजदूरों ने श्रम विभाग कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन किया।
श्रमिकों ने उप श्रमायुक्त के माध्यम से श्रम मंत्री को 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा।
नव गठित औद्योगिक ठेका मजदूर यूनियन के अध्यक्ष मनोज कुमार ने आरोप लगाया कि ‘पूंजीपतियों को अकूत लाभ पहुँचाने के लिए ऐसी नीतियां सरकार बना रही है, जिससे ठेकेदारी प्रथा एक महामारी का रूप ले चुकी है।’
उन्होंने कहा कि ‘देश एक नई गुलामी की ओर बढ़ रहा है। आज श्रम अधिकारों को खत्म कर पूंजीपतियों को लूटने की खुली छूट दी जा रही है। ठेकेदारी के मजदूरों का निर्मम शोषण किया जा रहा है।’
मनोज कुमार ने कहा कि ’12-12 घंटे काम के बदले मात्र 7 से 10 हज़ार सैलेरी दी जा रही है। और न्यूनतम मज़दूरी भी नहीं दी जा रही है।’
महिला ठेका मज़दूरों की हालत अधिक ख़राब
यूनियन के महासचिव नितेश कुमार ने कहा कि ‘ठेका मजदूरों को श्रम कानूनों का लाभ नहीं मिलता है। ESI, PF सहित किसी भी तरह का सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं दिया जाता है।’
उन्होंने कई उदाहरण देते हुआ कहा कि ‘ठेकेदार ESI, PF का हिस्सा काट लेते हैं पर विभाग में जमा नहीं करते हैं। कम से कम मजदूरी पर मजदूरों से गुलामों की तरह काम कराया जा रहा है।’
महिला प्रतिनिधि सोनी ने बताया कि महिला मजदूरों के हालात ज़्यादा ख़राब हैं। उन्हें तो 4-5 हज़ार ही वेतन मिलता है। ठेका मजदूर असहाय हो गये हैं।’
उन्होंने कहा कि ‘दिन रात कम्पनी के लिए काम करने वाले मजदूरों का दुर्घटना होने पर मालिक उसे अपना मजदूर मानने से ही इंकार कर देता है। कम मजदूरी मिलने तथा राशन, शिक्षा व इलाज महंगे होने के कारण मजदूरों को अपनी जिन्दगी चलाना मुश्किल हो गया है।’
प्रदर्शन में यूनियन के पदाधिकारी होरीलाल, जलेशर, प्रमोद कुमार, मिथिलेश, सूबेदार आदि मौजूद थे।
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ठेका मजदूरों की प्रमुख मांगें
1-ठेका प्रथा खत्म करो।
2- स्थाई काम पर स्थाई रोजगार।
3- समान काम का समान वेतन।
4- न्यूनतम वेतन 25,000 रुपये हो।
5- ओवर टाइम का डबल भुगतान लागू हो।
6- महिला को पुरुषों के समान वेतन लागू हो।
7- सात से 10 तारीख तक वेतन दिया जाए।
इस प्रदर्शन में इंकलाबी मजदूर केंद्र, वीनस वर्कर्स यूनियन, मजदूर मोर्चा (अखबार), लोक मजदूर संगठन, आइसीटीयू वर्कमेन आर्गनाइजेशन आन लीगल फ्रंट, सीटू, एटक आदि संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
सभी प्रतिनिधियों ने मौजूदा मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार मजदूरों को मिले श्रम अधिकारों को धड़ल्ले से खत्म करती जा रही हैं।
सरकार पूंजीपति और फैक्टरी मालिकों को छंटनी करने व तालाबंदी करने की खुली छूट दे रही है। परमानेन्ट रोजगार को खत्म कर ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। ये गुलामी की निशानी है।
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