होंडा आंदोलन का 8वां दिनः यूनियनों ने आईएमटी मानेसर ठप करने की चेतावनी दी
होंडा मानेसर में कैजुअल मज़दूरों के आंदोलन को अब बाकी कंपनियों के यूनियनों का समर्थन हासिल हो रहा है। आठ दिन से फ़ैक्ट्री के अंदर क़रीब 1600 मज़दूर लगातार धरने पर बैठे हुए हैं।
सोमवार को हड़ताली मज़दूरों के साथ बातचीत में होंडा कंपनी के सीओ हरभजन सिंह भी मौजूद थे. वार्ता में शामिल मज़दूरों का कहना है कि मैनेजमेंट की ओर से ये आश्वासन दिया गया है कि एक दो दिन में ही कोई सकारात्मक हल निकलेगा।
कंपनी ने प्लांट को अगले आदेश तक बंद करने का नोटिस चस्पा कर दिया है। आंदोलन के तीसरे दिन यानी 7 नवंबर को कंपनी ने दो दिन का शट डाउन का नोटिस चिपकाया लेकिन तीसरे दिन रविवार होने के नाते पहले से ही छुट्टी थी।
रविवार को कंपनी ने एक और नोटिस जारी कर कहा कि अगले आदेश तक कंपनी बंद रहेगी।
पांच नवंबर को धरना तब शुरू हुआ जब क़रीब 300 कैजुअल मज़दूरों का आईकार्ड लेकर कंपनी ने निकाल दिया था।
इसके बाद ये मज़दूर गेट पर ही धरने पर बैठ गए और जब अंदर काम कर रहे बाकी कैजुअल मज़दूरों को पता चला तो वो भी अंदर ही धरने पर बैठ गए।
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इलाक़े के मज़दूर एकजुट
उधर, होंडा के परमानेंट मज़दूरों की यूनियन ने भी कैजुअल मज़दूरों की भरसक मदद की कोशिश करने में जुट गई और कई बार ऐसा मौका आया जब कंपनी ने अंदर के मज़दूरों का खाना पानी बंद किया तो यूनियन की मध्यस्तता के बाद कैंटीन खुली।
यूनियन, कैजुअल मज़दूरों के प्रतिनिधि, लेबर ऑफ़िसर और मैनेजमेंट के बीच वार्ता का कई दौर चल चुका है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
इस बीच मारुति के कंपोनेंट बनाने वाली बेलसोनिका कंपनी के मज़दूर सोमवार को होंडा कंपनी के गेट पर धरने पर बैठे मज़दूरों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए पहुंचे।
उन्होंने धरनारत मज़दूरों के खाने पीने के इंतज़ाम में हाथ बंटाने का वादा किया और कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन को आगे बढ़ाने की बात कही.
होंडा के कैजुअल मज़दूर बलराम ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि बेलसोनिका यूनियन ने मैनेजमेंट को चेतावनी दी है।
उन्होंने कहा है कि अगर कैजुअल मज़दूरों की उचित मांगों का समाधान नहीं होता है तो पूरे आईएमटी मानेसर के औद्योगिक क्षेत्र में मौजूद सभी कंपनियों के मज़दूर इलाक़े का चक्का जाम कर देंगे।
इससे पहले मारुति के तीनों प्लांटों की यूनियनें कैजुअल मज़दूरों को अपना समर्थन देने की घोषणा की है।
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मुंजाल शोवा, बेलसोनिका
बेलसोनिका एम्प्लाईज़ यूनियन के वाइस प्रेसिडेंट अजित ने वर्कर्स यूनिटी से कहा कि जबतक पूरे इलाक़े के सभी कैजुअल मज़दूर, ट्रेड यूनियनें एकजुट नहीं होंगी, कंपनियों की मनमानी चलती रहेगी।
उल्लेखनीय है कि मंदी का कारण बताकर इस बीच मारुति, हीरो, होंडा, बेलसोनिका में हज़ारों मज़दूरों को निकाल दिया गया है।
मुंजाल शोवा के मज़दूर एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए अपनी पूरी शिफ़्ट के साथ आंदोलन के दूसरे दिन ही होंडा कंपनी पहुंच गए थे।
सोमवार को गुड़गांव के विधायक राकेश दौलतबाद मज़दूरों के साथ एकजुटता प्रदर्शन करने आए थे।
इस बीच कंपनी के बाहर धरने पर बैठे मज़दूरों ने वर्कर्स यूनिटी के लाईव के दौरान कई सनसनीखेज बातें बताईं। एक मज़दूर ने बताया कि होंडा के एक कैजुअल मज़दूर को इसी तरह निकाल दिया गया था और रिज्वाइनिंग का आश्वासन दिया गया।
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समझौते का इंतज़ार
कई महीने बीत जाने के बाद भी उसे रिज्वाइन नहीं कराया गया और इससे हताश होकर उसने आत्महत्या कर ली।
मज़दूरों का दावा है कि झज्झर का रहने वाला अनिल कुमार के परिजनों को अभी तक कोई मुआवज़ा तक नहीं दिया गया है।
मौजूदा हड़ताल में मज़दूरों का कहना कि इस कंपनी में उन्होंने दस दस साल तक काम किया है और कंपनी इसी तरह बीच बीच में कैजुअल मज़दूरों को घर पर बिठा देती है।
उनकी मांग है कि उन्हें कंपनी स्थाई नौकरी दे और नहीं तो उन्हें कानूनन जो मुआवजा बनता है वो दिया जाए।
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