मुंडका अग्निकांड: मजदूर संगठनों ने सौंपा श्रम मंत्री को ज्ञापन, दोषियों के खिलाफ 307 के तहत कार्यवाही की मांग
मुंडका अग्निकांड के सिलसिले में सरकार का लचर रवैय्या देखते हुए 17 मई को मजदूर संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से केन्द्रीय सचिवालय पर विरोध प्रदर्शन किया और पीड़ितों के लिए मुआवजे व मजदूरों के अधिकारों के सुरक्षा इंतेज़ामों और अधिकारों के संबंध में दिल्ली श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया को संबोधित कर ज्ञापन सौंपा।
चूंकि सिसोदिया हिमाचल प्रदेश के दौरे पे हैं, ज्ञापन श्रम मंत्री के OSD एम. के. निखिल ने प्राप्त किया।
उनकी मुख्य मांगें हैं कि सभी दोषियों — प्रशासन के जितने भी अधिकारी इसमे लिप्त थे — उनके खिलाफ आईपीसी धारा 307 के तहत कार्यवाही हो, मृतकों के आश्रितों को रु. 50 लाख मुआवजा और घायलों को रु. 5 लाख सहायता राशि दी जाए, लापता मजदूरों — जिनकी संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा बताई जा रही हैं — के विषय में स्पष्टता, और मजदूरों को अप्रैल माह का बकाया वेतन दिया जाए।
प्रदर्शन में आए प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि कम्पनी में मजदूरों का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता था। उन्हें ईएसआई व पीएफ आदि की सुविधा भी नहीं मिलती थी।
उक्त कंपनी में सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जाता था। मजदूरों को 12-12 घंटा काम के बदले बतौर मासिक वेतन ₹ 6000 से ₹ 9500 के बीच मिलता था।
विरोध प्रदर्शन संगठित करने की पहल एफ्टू(न्यू),मजदूर एकता कमेटी, इफ्टू, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, मजदूर एकता केन्द्र, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, आइएमएस,डीपीएफ,लोकपक्ष, इफ्टू(सर्वहारा) एवं मजदूर सहयोग केन्द्र आदि संगठनों ने किया था ।
पत्र निम्नलिखित है:
ज्ञापन!
प्रति,
माननीय श्रममंत्री,
दिल्ली राज्य सरकार
विषय – मुंडका फैक्ट्री अग्निकांड में श्रमिकों को न्यायोचित इंसाफ एवं उचित मुआवजे के संबंध में।
मान्यवर,
हम बहुत दुख एवं क्षोभ के साथ कहना चाहते हैं कि 43 मई को दिल्ली के मुंडका में सीसीटीवी कैमरे एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली फैक्ट्री में लगी भयंकर आग में जलकर 27 से अधिक मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई तथा अनेकों मजदूर गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
बहुत से मजदूर लापता हैं, उनका पता नहीं चल रहा है। खबरों के अनुसार कारखानों को, अग्नि सुरक्षा मानकों सहित सभी फैक्ट्री कानूनों एवं श्रम कानूनों की पूर्णतया अवहेलना कर मालिकों द्वारा चलाया जा रहा था।
फैक्ट्री में लगभग 250 मजदूर काम करते थे, जिनमें ज्यादातर महिला मजदूर थीं। कुछ घायलों से पता चला है कि कम्पनी में मजदूरों का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता था। उन्हें ईएसआई व पीएफ आदि की सुविधा भी नहीं मिलती थी। उक्त कंपनी में सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन नहीं दिया जाता था।
मजदूरों को 42 घंटा काम के बदले बतौर मासिक वेतन 6000 से 9500 रुपये के बीच मिलता था।
दिल्ली में इस अग्निकांड से पहले पीरागढ़ी उद्योग नगर, नागलोई, मंगोलपुरी, फिल्मिस्तान, बवाना, नरेला इत्यादि इंडस्ट्रियल एरिया में भी भयंकर अग्निकांड में अनेकों मजदूरों ने तड़प तड़प कर जान गंवाई है।
किन्तु दिल्ली सरकार की अनदेखी के कारण फैक्टरी मालिकों एवं सम्बंधित अधिकारियों ने निरन्तर हो रहे अग्निकांडों को रोकने के लिए किसी भी तरह का कोई गम्भीर प्रयास नहीं किया है।
यह सब मजदूरों के प्रति असंवेदनशील होकर उनकी बेशकीमती जान से खेलने जैसा घृणित कृत्य है।
आग जैसी दुर्घटनाओं को रोकने वाले सुरक्षा मानकों की अवहेलना तथा मजदूरों का निर्मम शोषण के लिए फैक्ट्री मालिकों के अलावा फैक्ट्री व श्रम कानूनों से संबंधित सभी अधिकारी जिम्मेदार हैं।
हमारा आग्रह है कि फैक्ट्री मालिकों के साथ संबंधित अधिकारियों पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाए एवं मृतकों के आश्रितों एवं घायलों को उचित मुआवजा के साथ सभी श्रमिकों के बकाया वेतन का भुगतान कराया जाए।
हमारी मांगे –
1. मुंडका फैक्टरी अग्निकांड एवं इस फैक्टरी में सभी कानूनों के उल्लंघन के दोषी फैक्ट्री मालिकों के साथ सभी संबंधित अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाए।
2. उक्त भीषण अग्निकांड में ड्यूटी के समय मजदूरों की मौत हुई है । मजदूर देश के सिपाही से किसी भी तरह कम नहीं है। दिल्ली सरकार मृतक मजदूरों के आश्रितों को कम से कम 50 लाख रुपये एवं घायलों को मुफ्त इलाज के साथ 5 लाख रुपये का मुआवजा तत्काल भुगतान करे।
3. बहुत से मजदूर लापता हैं। सरकार स्पष्ट बताए कि उनका इलाज चल रहा है या मौत हो चुकी है। सरकार बताए,लापता मजदूर कहाँ है?
4. उक्त फैक्टरी मालिकों ने कम्पनी में कार्यरत लगभग 250 मजदूरों का अप्रैल माह का वेतन नहीं दिया है। दिल्ली सरकार अस्थाई ऑफिस बनाकर सभी मजदूरों का रिकार्ड बनाए एवं उनका सभी बकाया वेतन व अन्य राशि का भुगतान करे।
5.उक्त भीषण अग्निकांड की निष्पक्ष जांच के लिए श्रमिक प्रतिनिधियों को मिलाकर एक जाँच कमेटी बनाई जाये।
6. दिल्ली की सभी कंपनियों में भयानक आग्निकांड रोकने वाले सभी सुरक्षा मानकों सहित फैक्ट्री एवं श्रम कानूनों का पालन कराने के लिए सरकार सख्त कदम उठाए।
7. न्यूनतम मजदूरी दर को बढ़ाया जाये और दिल्ली के सभी कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को सरकार द्वारा कम से कम तय न्यूनतम मजदूरी देने की गारंटी की जाये।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)