दिल्ली की फैक्ट्री में भीषण अग्निकांड, 27 मज़दूरों की मौत, और बढ़ सकती है संख्या
दिल्ली में एक और भीषण अग्निकांड ने 27 मज़दूरों की ज़िंदगी छीन ली। मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास स्थित तीन मंजिला एक ऑफ़िस कम फ़ैक्ट्री में शुक्रवार की शाम 4.40 बजे आग लग गई और कुछ ही देर में आग ने विकराल रूप धारण कर लिया, जिससे लोग निकल नहीं पाए।
बताया जाता है कि इस फैक्ट्री में 100 के करीब स्टाफ़ था। कंपनी वाईफाई राउटर और सीसीटीवी बनाती है और यहां गोदाम था। जिस समय आग लगी उस समय दूसरे फ्लोर पर सभी कर्मचारियों की मीटिंग चल रही थी।
दिल्ली के आउटर डिस्ट्रिक्ट के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) समीर शर्मा हादसे में 27 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। बीबीसी के अनुसार, हेल्प डेस्क को 19 मज़दूरों के लापता होने की सूचना मिली है। स्थानीय मीडिया के अनुसार इस हादसे में 12 लोग अभी तक घायल बताए जा रहे हैं।
शुरुआती पड़ताल में सुरक्षा के उपायों में चूक का मामला सामने आया है।
- बवाना इंडस्ट्रीयल क्षेत्र फैक्टरी में आग लगने से मजदूरों की जलकर हुई मौत पर प्राथमिक जांच रिपोर्ट
- ग़ाज़ियाबाद की अवैध पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फ़ोट, आग में 8 मज़दूरों की दर्दनाक मौत
Delhi Mundka Fire | We've recovered 27 bodies & rescued 12 injured. There was only one staircase and because of that people could not go out. I think the building did not have proper NOC (from the fire department): Satpal Bhardwaj, Divisional Officer, Fire Department pic.twitter.com/A4ZTVOqhdU
— ANI (@ANI) May 13, 2022
इंडियन एक्सप्रेस को घटना के चश्मदीदों ने बताया कि जब आग लगी तो लोग बाहर निकलने की कोशिश करने लगे लेकिन सिर्फ एक संकरा रास्ता ही बाहर जाने के लिए था जिससे लोग नहीं निकल पाए।
स्थानीय लोगों का दावा है कि इस हादसे में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। प्रशासन का भी कहना है कि आठ घंटे की मशक्कत के बाद आग को बुझा लिया गया है लेकिन अभी तक तीसरे माले पर नहीं पहुंचा जा सका है, जहां और शव बरामद होने की आशंका है।
प्रशासन का भी कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। घायलों का इलाज संजय गांधी और दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में किया जा रहा है।
देश में हर दिन होते हैं 38 जानलेवा एक्सिडेंट
I happened to pass by the fire that took place near Mundka metro station, Delhi. Was heartbroken to see this. Can only imagine the people who suffered because of it. Sending prayers 🙏 #delhifire #Mundka pic.twitter.com/8O8apeHKOy
— Varsha Nambiyaaaaar (@VarNambiar) May 13, 2022
आग बुझाने में देर क्यों हुई?
शाम को जब लोगों ने फैक्ट्री से भारी धुंआ उठते देखा तो प्रशासन को अलर्ट किया और अंदर फंसे लोगों को बचाने दौड़ पड़े। शुरू में प्रशासन ने दमकल की 10 गाड़ियां भेजीं।
दिल्ली अग्निशमन सेवा के मुखिया अतुल गर्ग का कहना है कि आग लगने के बारे में पहला फोन आया तो उसमें ये स्पष्ट नहीं था कि इमारत के अंदर कितने लोग हैं?
इंडियन एक्सप्रेस को उन्होंने बताया कि “हम लोग मानकर चल रहे थे कि ये फैक्ट्री एरिया है और इसमें बहुत लोग नहीं होंगे। इसलिए सिर्फ 10 दमकल गाड़ियां भेजी गईं।”
आग लगने के छह घंटे बाद नेशनल फायर सर्विस के कर्मचारी पहुंचे। आधी रात तक आग को बुझाया नहीं जा सका था।
The fire accident near Delhi's #Mundka metro station is very painful, a lot oflives have been lost! Iexpress my sorrow for this very painful incident.I pray toGod to give strength to the bereaved family members to bear this deep sorrow and to give speedy recovery to the injured. pic.twitter.com/DDFPvM3sB3
— 🇮🇳Md Rashid Hussain (@MdrashidHussa18) May 14, 2022
दिल्ली में हादसे
बीते पांच साल में यह पांचवां ऐसा भीषण हादसा है। इससे पहले जनवरी 2018 में पटाखा बनाने वाली फैक्ट्री में आग लगने से 18 मज़दूर मारे गए थे।
इसके एक साल बाद फरवरी 2019 में करोल बाग के अर्पित होटल में आग लगने से 17 लोगों की मौत हो गई।
दिसम्बर 2019 में पुरानी दिल्ली के अनाज मंडी में पांच माले की एक गारमेंट फैक्ट्री में आग लगने से 43 मज़दूर मारे गए।
जून 2021 में पश्चिमी दिल्ली के उद्योग नगर में एक जूते की फैक्ट्री में लगी आग में छह मज़दूरों की मौत हो गई।
साला कोई फायर रूल फॉलो करने के लिए तैयार ही नहीं है।
में आर्किटेक्ट हूं, indivisual क्लाइंट कभी भी फायर रूल के हिसाब से बिल्डिंग बनाते ही नहीं है, और अधिकारियों से मिलकर फायर एनओसी ले लेते हैं।
दिल्ली में ही हजारों बिल्डिंग हैं ऐसी— Bhanu Pratap Singh (@brijwasi1993) May 14, 2022
खामियां और नियम कायदे
आम तौर पर जब भी ऐसी भीषण आगजनी की घटना होती है तो जांच पड़ताल में सुरक्षा उपायों में कमी, फैक्ट्री मालिक की लापरवाही, स्थानीय प्रशासन की मिली भगत की बात सामने आती है।
लेकिन दिल्ली में औद्योगिक सुरक्षा को इतना ढीला कर दिया गया है कि फैक्ट्रियों की जांच पड़ताल बस कागजी खानापूरी बनकर रह गई है। बवाना की आग की घटना में राजनीतिक गठजोड़ का भी खुलासा हुआ जब बीजेपी के स्थानीय नेता पर फैक्ट्री को गैरकानूनी तरीके से लाइसेंस देने का आरोप लगा। उस दौरान आम आदमी पार्टी और भाजपा में आरोप प्रत्यारोप भी खूब लगे।
लेकिन मोदी सरकार ने जबसे श्रम कानूनों में बड़े पैमाने पर ढील देकर 44 कानूनों को चार लेबर कोड में समेटने का शुरू किया है, औद्योगिक इलाकों में पहले से ही लचर सुरक्षा मनदंड, अब कागज़ी भर रह गए हैं।
अभी इस घटना में पीएम मोदी और राष्ट्रपति तक ने शोक संवेदना व्यक्त किया है। मोदी ने मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने की घोषणा की है, जबकि दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने तो सिर्फ भगवान से प्रार्थना भर की है।
क्या इतने बड़े पैमाने पर हुई मज़दूरों की मौतों का किसी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा? क्या दोषियों को कानून के सामने लाया जाएगा, ये ऐसा सवाल है जिसका जवाब ओपन सीक्रेट की तरह है।
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