मुंडका अग्निकांडः दो सप्ताह बाद भी नहीं दिए शव, परिजनों का प्रदर्शन, यूनियनों ने 50 लाख रु. मुआवज़े की मांग की
मुंडका अग्निकांड में मारे गए मज़दूरों को इंसाफ़ देने की मांग को लेकर ट्रेड यूनियनें और पीड़ितों के परिजनों ने दिल्ली में प्रदर्शन किया।
ट्रेड यूनियनों के फ़ोरम ने अग्निकांड के ज़िम्मेदार मालिकों, अधिकारियों और राजनेताओं को सज़ा देने के साथ मृतक के परिवारों को 50-50 लाख रुपये और घायलों को पांच पांच लाख रुपए मुआवज़ा देने की मांग की।
दो सप्ताह पहले दिल्ली के मुंडका की तीन मंजिली इमारत में भीषण आग लगने के कारण 27 वर्करों की जल कर मौत हो गई, लेकिन अभी तक उनके शव परिजनों को नहीं मिले हैं।
प्रदर्शन में शामिल हुए पीड़ित परिवारों ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की और अवशेषों को तुरंत परिजनों को सौंपने की मांग की।
द वायर ने लिखा है, हादसे में मारी गई आशा के भाई ने पूछा, ‘हमें क्यों सजा दी जा रही है?’ उन्होंने अधिकारियों पर निष्क्रियता का आरोप लगाया।
पुलिस के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान पुरुषों और महिलाओं समेत करीब 25-30 लोग जमा हुए थे।
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डीएनए टेस्ट में इतना समय क्यों लग रहा
मृतकों के परिवार के इन सदस्यों ने कहा कि घटना को हुए दो सप्ताह से अधिक समय हो गया है लेकिन कई पीड़ितों के अवशेष उनके परिवारों को नहीं सौंपे गए हैं।
परिवार के सदस्यों के हाथ में तख्ती थी जिस पर लिखा था- ‘श्रमिकों की जिंदगी से खेलना बंद करो’ और ‘यह एक दुर्घटना नहीं, त्रासदी थी।’
दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था कि उसने डीएनए परीक्षण के लिए 26 लोगों के जैविक नमूने एकत्र किए हैं, जिनके परिवार के सदस्यों के बारे में माना जाता है कि अग्निकांड में उनकी मौत हो गई।
बरामद किए गए 27 शवों में से केवल आठ शवों की पहचान हो पाई है।
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि घटना में मारे गए उनके प्रियजनों के अवशेष तुरंत उन्हें सौंपे जाएं। परिवार के सदस्यों ने पूछा कि डीएनए परीक्षण में इतना समय क्यों लग रहा है।
पुलिस के अनुसार, पुलिस अधिकारियों ने पीड़ितों के परिवारों के सदस्यों की बातों को सुना, लेकिन वे मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे और उन लोगों ने फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल), डीएनए रिपोर्ट में देरी का मुद्दा भी उठाया।
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परिजनों के इंतज़ार की इंतहा
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन सभी लोगों की बातों को धैर्य से सुना गया और उन्हें शांत करने का प्रयास किया गया।
उन्होंने कहा कि उनकी उपस्थिति में ही एफएसएल के अधिकारी से संपर्क किया गया जिन्होंने आश्वासन दिया कि नतीजे जल्दी आएंगे।
हादसे में जान गंवाने वाली आशा के भाई ने कहा, ‘हम अधिकारियों के पास जाते-जाते थक चुके हैं। हमारे अपने अब भी मुर्दाघर में पड़े हैं और कोई कुछ नहीं कर रहा है। दो सप्ताह से अधिक समय हो गया है, उन्हें और कितना समय चाहिए?’
इस बीच, एक अन्य पीड़ित 22 वर्षीय मोनिका के परिवार ने कहा कि वे सभी उम्मीदें खो रहे हैं।
मोनिका के पिता ने कहा, ‘हम थक गए हैं। उसके अवशेषों की पहचान नहीं हो पाई है। इतने दिनों में जांच पर कोई अपडेट क्यों नहीं मिला है। हर किसी ने घटना के बारे में बात करना बंद कर दिया है जैसे कि यह कोई छोटी सी घटना थी।’
(द वायर से साभार)
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