स्पार्क मिंडाः 75 दिन से धरनारत वर्कर आमरण अनशन पर, मैनेजमेंट पैसे लेकर रफ़ा दफ़ा करना चाह रहा
उत्तराखंड के रुद्रपुर में स्थित स्पार्क मिंडा के श्रमिकों के आमरण अनशन के तीसरे दिन गुजर जाने के बाद भी मैनेजमेंट और प्रशासन की तरफ से कोई पहल सामने नहीं आई है।
क़रीब 150 लड़के लड़कियों को तीन महीने पहले कंपनी ने बिना नोटिस के निकाल दिया था।
तबसे ये कर्मचारी रुद्रपुर के डीएलसी कार्यालय पर धरना दे रहे हैं। यहां तक दीपावली जैसे त्योहार में भी इन्होंने धरना जारी रखा था।
बिल्डिंग मैटीरियल बनाने वाली कंपनी इंटरार्क के मज़दूर भी डीएलसी कार्यालय पर अपनी मांगों को धरना दे रहे थे।
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आमरण अनशन का तीसरा दिन
उस समय उन्होंने जब स्थानीय विधायक के निवास का घेराव करने की योजना बनाई तो विधायक राजकुमार ठुकराल धरना स्थल पर आए थे।
वर्कर्स यूनिटी के एक खास इंटर्व्यू में उन्होंने आश्वासन दिया था कि इन मज़दूरों की दीवाली काली नहीं होगी।
ताज़ा प्रदर्शन के ताज़ा अभियान में स्पार्क मिंडा के कर्मचारी डीएलसी कार्यालय पर बहाली की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे हैं और बुधवार को तीसरा दिन था।
वर्करों की तबियत खराब होती जा रही है लेकिन मेडिकल टेस्ट करने के लिए प्रशासन की ओर से अभी तक कोई नहीं पहुंचा।
मज़दूर प्रतिनिधियों ने बयान जारी कर कहा है कि उनकी जायज मांग होने के बावजूद भी विधायक, जिला प्रशासन, शासन प्रशासन, सरकार कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
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‘बलिदान देने’ को तैयार वर्कर
अनशन पर बैठे आशा, तारा, हेम, हेम नैनवाल का कहना है कि जब तक मांगें पूरी नही हो जातीं तब तक आमरण अनशन जारी रहेगा।
मज़दूर प्रतिनिधि तारा ने कहा कि ‘इसके लिए हमें जो भी बलिदान देना पड़े हम देंगे।’
उन्होंने कहा, “74 दिनों से लगातार डीएलसी कार्यालय में धरनारत हैं और मंगलवार को डीएलसी में मैनेजमेंट के साथ वार्ता की और वार्ता में मैनेजर डीएलसी के सामने सभी श्रमिकों को पैसे देकर खरीदने की बात कर रहा है लेकिन अन्दर लेने के लिए साफ साफ मना कर रहा है।”
मज़दूर प्रतिनिधियों का आरोप है कि मैनेजर द्वारा गैरकानूनी तरीके से गेटबंदी कर श्रमिकों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया और यहां श्रमिकों को उनका अधिकार देने के बजाय श्रमिकों को खरीदने की बात कर रहा है।
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डीएलसी पर मैनेजमेंट का साथ देने का आरोप
मज़दूरों ने उप श्रमायुक्त भी आरोप लगाया कि वो मैनेजर का इस मामले में साथ दे रहे हैं।
असल में मैनेजमेंट चाहता है कि मज़दूरों को कुछ पैसे देकर उनसे छुटकारा ले लिया जाए। वार्ता में शामिल मज़दूर प्रतिनिधियों ने कहा, “डीएलसी भी कह रहे हैं यहां से पैसे लेकर दूसरी जगह नौकरी ढूंढ लेना चाहिए।
मज़दूरों का कहना है कि “एएलसी उम्मेद सिंह चौहान ये झूठा आरोप लगा रहे हैं कि यहां पर अनशनकारी खाना खा रहे हैं।”
उनके अनुसार, “एएलसी द्वारा यहा पर श्रमिकों के साथ न्याय करने के बजाय इस प्रकार के झूठे आरोप लगा रहे हैं, ऐसे में सभी श्रमिकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।”
मज़दूरों ने चेतावनी दी है कि वर्करों की समस्या का समाधान करने की बजाय इस प्रकार के झूठे आरोप लगाना बन्द नहीं किया गया तो सभी श्रमिक उत्तराखंड राज्य में एक नई क्रान्ति लाने के लिए विवश हो जाएंगे।
अनशन में किरन, जमुना, रितिका, गरिमा, रश्मि, पूनम, मुन्नी, राधा, हिमानी, सपना, भावना, पूनम शर्मा, चरण सिंह, दीपक कुमार, प्रेम बोरा, राकेश, राजेन्द्र, भूपाल और योगेश समेत सैकड़ों कर्मचारी शामिल हैं।
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