नियॉम प्रोजेक्ट में 8 साल में 21,000 मज़दूरों की मौत: सऊदी अरब की विकास की कड़वी सच्चाई

नियॉम प्रोजेक्ट में 8 साल में 21,000 मज़दूरों की मौत: सऊदी अरब की विकास की कड़वी सच्चाई

सऊदी अरब की महत्वाकांक्षी परियोजना “नियॉम सिटी” के अंतर्गत प्रवासी मज़दूरों के शोषण और अमानवीय कामकाजी हालातों की खबरें सामने आई हैं।

विजन 2030 के तहत क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इस प्रोजेक्ट को 2017 में शुरू किया था, जिसका उद्देश्य अत्याधुनिक तकनीक और नवाचारों से सऊदी अरब के उत्तरी तट पर एक नया, हरित और स्मार्ट शहर बसाना है।

हालाँकि, इस परियोजना में काम कर रहे हजारों मज़दूर बेहद कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।

इस प्रमुख परियोजना की सच्चाई ये है कि इसको को पूरा करने के लिए मज़दूरों से क़ानूनी सीमा से कहीं अधिक लंबे घंटों तक काम करवाया जा रहा है, कई महीनों से मज़दूरों को भुगतान नहीं किया गया है और उनका शोषण किया जा रहा है।

आईटीवी की डॉक्यूमेंट्री “द किंगडम नेकेड: इनसाइड सऊदी अरेबिया” जो इस परियोजना की गहरी पड़ताल करते हुए बताती है कि 2016 से अब तक 21,000 प्रवासी मज़दूरों की मौत हो चुकी है।

21 हजार से अधिक मज़दूरों की मौत

डॉक्यूमेंट्री टीम ने सऊदी विजन 2030 की कार्यान्वयन प्रक्रिया के दौरान हुई त्रासदियों को उजागर किया, जिसमें यह सामने आया कि केवल आठ वर्षों में 21,000 से अधिक मज़दूरों की मौत हो चुकी है।

यह आँकड़ा देश में खतरनाक कार्य परिस्थितियों और मज़दूरों के अधिकारों के उल्लंघनों को रेखांकित करता है। कई मज़दूरों का कहना है कि वे खुद के लिए फंसे हुए गुलाम जैसा महसूस करते हैं, इसके साथ ही उनके परिवार भी उनकी स्थिति को लेकर चिंता में रहते हैं।

श्रम कानूनों का उल्लंघन और अत्यधिक कार्यभार

डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि मज़दूरों का शोषण कठोर कार्य परिस्थितियों में किया जा रहा है।

एक मज़दूर ने कहा कि वह ‘द लाइन’ नामक गगनचुंबी इमारत परियोजना में 16 घंटे प्रतिदिन और सप्ताह में 84 घंटे से अधिक काम करता है।

सऊदी कानून सप्ताह में 60 घंटे तक काम करने की सीमा तय करता है, लेकिन यह कानून सख्ती से लागू नहीं होता दिखता।

मज़दूरों का कहना है कि उनके पास आराम के लिए बहुत कम समय होता है और वे लगातार चिंता में रहते हैं।

लंबे समय से मज़दूरों के संपर्क में रहे एक गुप्त रिपोर्टर को मज़दूरों ने बताया कि उन्हें रेगिस्तान स्थित साइट पर जाने और वापस आने के लिए बिना वेतन के तीन घंटे की बस यात्रा करनी पड़ती है, जिससे उन्हें सोने के लिए केवल चार घंटे का समय मिलता है।

कई मज़दूरों ने बताया कि महीनों से उन्हें भुगतान नहीं किया गया है और कई को पर्याप्त भोजन तक नहीं मिल पा रहा है।

लापता मज़दूर और मानवाधिकार उल्लंघन

डॉक्यूमेंट्री में यह भी खुलासा हुआ कि निर्माण में लगे प्रवासी मज़दूरों के लापता होने की दर काफी अधिक है।

यह दावा किया गया है कि नियॉम प्रोजेक्ट के तहत सऊदी अरब में अब तक से अधिक 100 प्रवासी मज़दूर लापता हो चुके हैं।

इसके अलावा, भारत, बांग्लादेश और नेपाल के मज़दूरों की मृत्यु के आँकड़े भी ध्यान देने योग्य हैं।

नेपाल के विदेश रोजगार बोर्ड का कहना है कि 650 से अधिक नेपाली मज़दूरों की मौत अब तक स्पष्ट नहीं की गई है।

ये आँकड़े दर्शाते हैं कि मज़दूरों की सुरक्षा और अधिकारों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि कई मज़दूरों को महीनों से भुगतान नहीं किया गया है और उनका शोषण किया जा रहा है।

कुछ का कहना है कि उन्हें 10 महीने से भुगतान नहीं किया गया है और उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है। मज़दूरों ने बताया कि उन्हें अपने परिवार से मिलने के लिए देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

नियॉम सिटी का भविष्य और विवाद

26,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला नियॉम प्रोजेक्ट एक हाई-टेक सिटी बनाने की योजना है, जिसमें उद्योग, वैश्विक व्यापार केंद्र और पर्यटक स्थल शामिल होंगे।

इसमें द लाइन गगनचुंबी इमारत, ओक्सागन (एक औद्योगिक शहर), और ट्रोजेना जैसे पर्यटक स्थल सम्मिलित हैं।

नियॉम के हर पहलू को नवीकरणीय ऊर्जा और स्मार्ट तकनीक से सुसज्जित किया जाएगा। सऊदी अरब ने इस परियोजना को 2039 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है, जिसका अनुमानित खर्च $1.5 ट्रिलियन से अधिक है।

नियॉम परियोजना सऊदी अरब के विजन 2030 की सबसे महत्वाकांक्षी और विवादास्पद परियोजनाओं में से एक है।

हालाँकि, यह परियोजना मज़दूरों की मौतों और मानवाधिकार उल्लंघनों जैसे गंभीर मुद्दों से घिरी हुई है।

आईटीवी की डॉक्यूमेंट्री ने इस परियोजना के पीछे की सारी हक़ीक़त सामने ला दी है।

वास्तविकता यह है कि विजन 2030 के नाम पर सऊदी अरब के पूरे क्षेत्र में मज़दूर अत्यधिक दुरुपयोग और खतरनाक शोषण का सामना कर रहे हैं।

इन परियोजनाओं की असली सच्चाई यही है कि सऊदी अरब के पूरे कार्यबल का तीन-चौथाई हिस्सा ये प्रवासी मज़दूर शोषण के एक भयानक दौर से गुजर रहे हैं।

( मिडिल ईस्ट आईज की खबर से इनपुट के साथ )

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Abhinav Kumar

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