बोइंग की हड़ताल से एविएशन उद्योग में हड़कंप, वेतन विवाद में नया मोड़
बोइंग और उसकी हड़ताली कर्मचारियों के बीच तनातनी तेज हो गई है। हाल ही में, कंपनी ने अपने कर्मचारियों को चार सालों में 30% वेतन वृद्धि का प्रस्ताव दिया था, लेकिन यूनियन की 40% की मांग के आगे यह प्रस्ताव भी ठुकरा दिया गया।
अब, बोइंग ने यह प्रस्ताव भी वापस ले लिया है, जिससे हड़ताल का भविष्य और अनिश्चित हो गया है।
क्यों ठुकराया गया प्रस्ताव?
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ मशीनिस्ट्स एंड एयरोस्पेस वर्कर्स (IAM) के अनुसार, बोइंग का प्रस्ताव कर्मचारी हितों के विपरीत था।
यूनियन का कहना है कि कंपनी असहमति पर अड़ी हुई है और अपने पक्ष को लेकर लचीला रुख नहीं अपना रही।
बोइंग, अपने बचाव में कहता है कि यूनियन ने ऐसे अस्वीकार्य मांगें रखीं, जिन्हें मानने पर कंपनी की प्रतिस्पर्धा में कमी आएगी।
बोइंग के कमर्शियल एयरप्लेन की अध्यक्ष स्टेफ़नी पोप ने कर्मचारियों को भेजे एक पत्र में कहा, “हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। मौजूदा परिस्थिति में बातचीत का कोई फायदा नहीं है। इसलिए हमने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया है।”
हड़ताल की गंभीरता
अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में 30,000 से अधिक बोइंग कर्मचारी पिछले महीने से हड़ताल पर हैं।
इन्होंने पहले से प्रस्तावित 25% वेतन वृद्धि के सौदे को भारी संख्या में नकार दिया था। इस हड़ताल का असर कंपनी के उत्पादन पर साफ देखा जा रहा है।
बोइंग के कुछ प्रमुख विमानों का उत्पादन ठप हो गया है, और कंपनी ने हजारों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है।
बोइंग की प्रतिक्रिया
हड़ताल के चलते बोइंग अपने अधिकारियों, प्रबंधकों और कर्मचारियों को हर चार हफ्ते में एक सप्ताह अवैतनिक अवकाश पर भेजने की योजना बना रहा है।
कंपनी का कहना है कि हड़ताल की अवधि उसके वित्तीय भविष्य पर गहरा असर डाल सकती है।
विश्लेषकों के अनुसार, अगर यह हड़ताल लंबी खिंचती है, तो बोइंग और उसके सप्लायर्स को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है।
नेतृत्व के सामने चुनौती
इस संकट के समय बोइंग के नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी, केली ऑर्टबर्ग, के सामने कंपनी को पटरी पर लाने की चुनौती है।
अगस्त में पदभार संभालने के बाद से ही, ऑर्टबर्ग को कंपनी के घाटों और धीमे उत्पादन से जूझना पड़ रहा था। अब, यह हड़ताल उनके नेतृत्व के लिए एक और परीक्षा साबित हो रही है।
यह संघर्ष फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। बोइंग और उसके कर्मचारियों के बीच जो तनातनी चल रही है, उससे साफ है कि अगर दोनों पक्षों में जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।
हड़ताल का अंत कब होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इसका असर न सिर्फ बोइंग बल्कि पूरी एविएशन इंडस्ट्री पर दिखने लगा है।
( बीबीसी की खबर से साभार )
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