एर्दोगन की चेतावनी: ‘जैसे हिटलर को रोका गया, वैसे ही नेतन्याहू को रोको’

एर्दोगन की चेतावनी: ‘जैसे हिटलर को रोका गया, वैसे ही नेतन्याहू को रोको’

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी सरकार की नीतियों पर तीखा हमला बोला।

एर्दोगन ने गाज़ा में इज़राइली कार्रवाइयों की तुलना हिटलर के अत्याचारों से करते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से नेतन्याहू को रोकने की अपील की, जिस तरह हिटलर को मानवता के गठबंधन द्वारा रोका गया था।

इज़राइल की नीतियों की तीखी आलोचना

एर्दोगन ने अपने भाषण में गाज़ा को एक “कंसन्ट्रेशन कैंप” की तरह बताते हुए कहा कि नेतन्याहू का “हत्या नेटवर्क” फ़िलिस्तीनी लोगों पर अत्याचार कर रहा है।

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “जैसे 70 साल पहले मानवता के रक्षकों ने हिटलर को रोका था, वैसे ही नेतन्याहू और उनके हत्या नेटवर्क को रोका जाना चाहिए।”

एर्दोगन का यह बयान गाज़ा में इज़राइल की हालिया सैन्य कार्रवाइयों और फ़िलिस्तीनी नागरिकों की बड़े पैमाने पर मौतों के संदर्भ में आया है।

संयुक्त राष्ट्र की विफलता पर सवाल

अपने भाषण में एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र गाज़ा में हो रहे जनसंहार को रोकने में नाकाम रहा है और सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।

एर्दोगन का मानना है कि सुरक्षा परिषद केवल पांच स्थायी सदस्यों के हितों पर केंद्रित है, जो अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है।

वैश्विक ताकतों की भागीदारी पर सवाल

तुर्की के राष्ट्रपति ने उन देशों की भी आलोचना की जो इज़राइल को बिना शर्त समर्थन दे रहे हैं, जिनमें विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल है।

एर्दोगन ने इन देशों पर फ़िलिस्तीनी हिंसा में भागीदार होने का आरोप लगाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि गाज़ा में तत्काल और स्थायी युद्धविराम होना चाहिए, बंधकों और कैदियों की अदला-बदली की जानी चाहिए और वहां निरंतर मानवीय सहायता पहुंचाई जानी चाहिए।

मानवाधिकारों की लड़ाई

एर्दोगन ने दक्षिण अफ्रीका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में इज़राइल के खिलाफ दायर मुकदमे का समर्थन दोहराया, जिसमें इज़राइल पर गाज़ा में मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया गया है।

उन्होंने कहा कि तुर्की को इज़राइल के लोगों से कोई दुश्मनी नहीं है, लेकिन उनका विरोध इज़राइली सरकार की नीतियों और उसके अत्याचारों से है।

एर्दोगन ने कहा, “हम यहूदी-विरोधीता के खिलाफ हैं, उसी तरह जैसे हम मुसलमानों को उनके विश्वास के आधार पर निशाना बनाने के खिलाफ हैं।”

उनका यह बयान इज़राइल और तुर्की के बीच के रिश्तों को स्पष्ट करता है, जो सरकारों की नीतियों पर आधारित है, न कि आम लोगों के बीच दुश्मनी पर।

एर्दोगन के इस तीखे भाषण और नेतन्याहू की तुलना हिटलर से करने पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं।

तुर्की के समर्थक और उन देशों ने एर्दोगन के रुख का समर्थन किया, खासकर वे देश जो गाज़ा में इज़राइल की नीतियों के खिलाफ हैं।

उन्होंने इसे एक साहसिक कदम माना और मानवीय मुद्दों को उजागर करने की दिशा में एक सही प्रयास बताया।

वहीं, इज़राइल और उसके समर्थक देशों, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों ने एर्दोगन के बयान की कड़ी निंदा की।

इज़राइली सरकार ने इसे घृणास्पद और इतिहास की गंभीर गलत व्याख्या बताया, क्योंकि हिटलर की नीतियों और होलोकॉस्ट से तुलना को अत्यधिक आक्रामक माना गया।

नेतन्याहू की सरकार ने तुर्की के साथ पहले से तनावपूर्ण रिश्तों को और भी खराब होने का संकेत दिया।

( rt.com की खबर से इनपुट के साथ )

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Abhinav Kumar

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