फ्रांस : पेंशन योजना के विरोध में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल जारी, सड़कों पर जमा हुआ 7 हजार टन से ज्यादा कचरा
फ्रांस में नई पेंशन योजना के विरोध में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल ने बीते मंगलवार 15 मार्च को नौवें दिन में प्रवेश किया। इस हड़ताल के कारण पेरिस समेत कई शहरों में जगह-जगह कचरे के ढेर देखने को मिले।
फ्रांस 24 के मुताबिक, मंगलवार तक 7 हजार टन से ज्यादा कचरा जमा हो चुका था। इसके अलावा अन्य फ्रांसीसी शहरों में भी कूड़े के बड़े बड़े ढेरों को देखा गया।
🗑️🇫🇷 Tonnes of #rubbish have piled up in #Paris after a week of strike action by dustbin collectors against Macron's #pensionreform.
Three incineration plants have been hit by the strikes that have left entire pavements covered in black bags and overflowing bins pic.twitter.com/zjs8z8MbEn
— FRANCE 24 English (@France24_en) March 14, 2023
उल्लेखनीय है कि फ्रांस में नई पेंशन योजना के तहत रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ा दिया गया है। इसके विरोध में पिछले दो महीने से पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। इन विरोध प्रदर्शनों में सफाई कर्मी भी शामिल हैं।
दरअसल, फ्रांस में रिटायरमेंट की उम्र को 62 से बढ़ा कर 64 करने वाला एक बिल 11 मार्च को सीनेट (फ्रांस की संसद का अपर हाउस) में पास किया था। वहीं आज 16 मार्च को एक जॉइंट कमेटी इसे रिव्यू किया और संसद में दोनों सदनों में फाइनल वोटिंग के बाद इस बिल को पारित करने की योजना बनायीं गयी थी। इसी के आधार पर तय होगा की नई पेंशन योजना को लागू करना है या नहीं।
जहां एक तरफ सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से पूरे देश में गंदगी को देखकर हड़ताल सफाईकर्मी खुद हैरान है, वहीं हड़तालों ने परिवहन, ऊर्जा और बंदरगाहों सहित अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है।
सफाई कर्मचारियों का कहना है कि रिटायरमेंट की उम्र में दो साल की वृद्धि करना सरकार का एक गलत फैसला है।
द वॉशिंगटोन पोस्ट के मुताबिक फ्रांस में कचरा उठाने वालों की रिटायरमेंट उम्र 57 साल है। वहीं, सीवर साफ करने वालों की रिटायरमेंट उम्र 52 साल है। भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में एक सफाईकर्मी का हवाला देते हुए लिखा है कि अगर नई पेंशन योजना लागू हो गई, तो इन्हें दो साल और काम करना होगा। इसका असर उनकी लाइफ पर पड़ेगा। क्योंकि वो दिन के चार से पांच घंटे सीवर के अंदर रहते हैं। सफाई के दौरान कई तरह की गैस निकलती हैं। सफाईकर्मी सीधे तौर पर इन गैसों के संपर्क में रहते हैं, जिससे उनके बीमार होने के चांस बढ़ जाते हैं।
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उन्होंने कहा- कई कर्मचारी 40 की उम्र पार करते ही कमजोर होने लगते हैं। कुछ की तो मौत भी हो जाती है। कुछ हेल्थ रिसर्च में कहा गया है कि बाकी आबादी की तुलना में सीवेज कर्मचारियों के 65 साल की उम्र से पहले मरने की आशंका दोगुनी होती है।
फ्रांस की इंटीरियर मिनिस्ट्री के मुताबिक, फ्रांस के 200 शहरों में 11 लाख 20 हजार लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 80 हजार लोग तो सिर्फ पेरिस में ही प्रदर्शन कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 2019 में जब दुनियाभर में कोरोना महामारी का कहर था, उस दौरान मैक्रों के पेंशन नीति की कोशिशें रुक गई थीं।
पूरी दुनिया में पेंशन का मुद्दा कर्मचारियों के लिए बहुत अहम रहा है।
भारत में भी पेंशन को लेकर इस समय बहस तेज हो गई है। कर्मचारी यूनियनें पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग कर रही हैं और चार राज्यों ने अपने यहां पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का आदेश भी पारित कर दिया है।
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