ग्रीस में सप्ताह में 6 दिन के काम का क़ानून, यूरोप में दक्षिणपंथी सरकार ने बहाई उलटी बयार

ग्रीस में सप्ताह में 6 दिन के काम का क़ानून, यूरोप में दक्षिणपंथी सरकार ने बहाई उलटी बयार

By  रविंद्र गोयल 

जबकि यूरोपीय देशों सप्ताह में चार दिन के काम की मांग लगातार तेज़ हो रही है,  ग्रीस, जिसे यूनान भी कहते हैं, ने एक विवादित श्रम क़ानून लागू करने का ऐलान किया है।

गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे ग्रीस में कर्मचारियों से सप्ताह में छह दिन काम लेने का एक विवादित नियम बनाया है।

दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री किरियाकोज मित्सोताकिस ने इस क़ानून को वर्कर फ़्रेंडली बताया है, जैसा कि दुनिया भर श्रमिक विरोधी राजनेता ऐसा कदम उठाते हुए दावा करते हैं।

प्रधानमंत्री मित्सोताकिस का तर्क है कि इससे देश के बूढ़ी होती आबादी पर काम का बोझ कम होगा और साथ ही देश की आर्थिक दशा के साथ-साथ कामगार भी अपनी आर्थिक कमी पूरी कर पाएंगे।

मालूम हो ग्रीस पिछले 15 साल से आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है। इसके चलते वहां की सरकार लगातार कई प्रकार की आर्थिक बदलाव समय -समय पर करती रही है, उनका मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी।

एक जुलाई से लागू होगा क़ानून

ग्रीस सरकार ने इस फैसले के साथ ही तीन बचाव पैकेज जारी किए थे। जिसके अनुसार, कर्मचारियों से सप्ताह में छह दिन काम लेने का सिस्टम 1 जुलाई से लागू हो गया।

ग्रीस को 15 साल से मंदी का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते यहां की सरकार की कोशिश खर्च में कटौती करने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की है।

ख़बरों की मानें तो सरकार द्वारा लागू यह नए नियम रिटेल, औद्योगिक, कृषि और निर्माण क्षेत्र में काम कर रहे श्रमिकों पर लागू होंगे।

इसके साथ ही यह नियम उन सभी लोगों पर भी लागू होगा जो सप्ताह में 7 दिन और 24 घंटे के शिफ्ट में काम करते हैं।

हालांकि सरकार ने इस नियम में यह भी जोड़ा है कि ‘ कोई भी कंपनी सिर्फ विशेष स्थिति में ही 6 दिन कार्य प्रणाली वाले तरीके का इस्तेमाल कर सकती है’।

इसके साथ ही ऐसी स्थिति में काम करने वाले मज़दूरों को इसके लिए अतिरिक्त भुगतान भी मिलेगा। नियम के मुताबिक मज़दूर को 6ठवें दिन काम करने के लिए 40 फीसदी का अतिरिक्त भुगतान मिलेगा।

ग्रीस के लेबर मिनिस्टर निकी केरामेस ने कहा ” ये नए नियम प्रशासनिक काम को आसान बना देंगे, प्रोबेशन पीरियड घटकर छह महीने का हो जाएगा और लोग ज्यादा काम करने पर ध्यान देंगे। इस नए कानून से कुशल कर्मचारियों की कमी को भी पूरा करने में मदद मिलेगी। नई व्यवस्था में कर्मचारियों को मुफ्त में ट्रेनिंग मिलेगी, ताकि वे अपना कौशल विकसित कर सकें और बाजार की बदलती हुई जरूरतों के हिसाब से खुद को ढाल सकें”।

वही दूसरी तरफ सरकार के इस फैसले को लेकर ग्रीस के ट्रेड यूनियनों के बीच भारी विरोध हो रहा है। देश के मज़दूर संघ सरकार के इस फैसले से काफी नाराज़ हैं।

निजी क्षेत्र के ट्रेड यूनियनों के अनुसार, लगभग 5 में से 1 ग्रीस का नागरिक ग़रीबी के जोख़िम में है।

यूनियन महासचिव निकोस फोटोपोलोस ने बताया “इतनी गरीबी के बाद कौन सा मज़दूर उन नियोक्ताओं को मना करेगा ,जिन्हें अपने मज़दूरों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करने की अनुमति मिल गई है. सरकार ने निजी क्षेत्र के कारगुजारियों के कारण आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे देश कि हालत सुधारने दायित्व अकेले मज़दूरों के कंधो पर डाल दिया है।”

हालांकि कई विशेषज्ञों का कहना है कि ‘यह समाधान सिर्फ कुछ समय के लिए कारगर साबित हो सकता है। छह दिन काम वाले मॉडल से ग्रीस की व्यापक आर्थिक समस्याओं का हल नहीं निकाला जा सकता। लंबे समय तक काम के घंटे बढ़ाने से कर्मचारियों की कमी पूरी नहीं होगी।’

ट्रेड यूनियनों का तीखा विरोध

ग्रीस के कुछ ट्रेड यूनियन का कहना है ‘ ग्रीस में खासकर छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों में काम के घंटों को लेकर होने वाले कई फैसलों में ट्रेड यूनियन शामिल नहीं होते हैं । ऐसे में नौकरी बचाए रखना, नियोक्ता की मांग पर ज्यादा घंटे काम करने से इनकार करने का विकल्प मज़दूरों के पास नहीं बचता। इसका मतलब है कि ज्यादा घंटे काम करने से इनकार करने पर नौकरी जाने का खतरा ज्यादा है, इसलिए लोग इनकार नहीं कर पाएंगे”।

यूनानी ट्रेड यूनियनें इस नए क़ानून का तीखा विरोध कर रही हैं। उन्होंने इसे श्रमिकों के अधिकारों पर एक तीखा हमला और पुरानी श्रम प्रथाओं को फिर से लाने की कोशिश कहा है।

श्रम कानून विशेषज्ञ एरिस कज़ाकोस ने चेतावनी दी है कि नया कानून पांच दिन के काम के अधिकार को पूरी तरह ख़त्म कर देगा और मालिकों को ज़्यादा घंटे तक काम कराने की खुली छूट मिल जाएगी।

सरकार के इस कदम की आलोचना करने वाले इसके विरोधभास की ओर इशारा करते हैं।

एक यूनियन नेता, अकीस सोतीरोपोलोस ने आलोचना करते हुए इसे निरर्थक बताया और कहा कि खासकर खुद को “सभ्य” कहलाने वाले कई देश अधिक काम कराने के नियम लागू कर रहे हैं।

सोतिरोपोलोस कहते हैं कि श्रमिक उत्पादकता काम और जीवन में संतुलन और काम के घंटों पर निर्भर करती है न कि अधिक से अधिक काम कराए जाने पर।

भले ही छठे दिन के काम के लिए 40 प्रतिशत अधिक भत्ता मिलेगा, लेकिन श्रमिकों पर जो नाकारात्मक असर पड़ेगा, उसके लिए यह मुआवज़ा बहुत छोटा है।

हालाँकि ग्रीस की अर्थव्यवस्था लंबे संकट के बाद उबर रही है, बेरोजगारी अभी भी 10% से ऊपर बनी हुई है।

यहां औसत मासिक वेतन 15 साल पहले की तुलना में काफी कम है।

यह संदर्भ इस बहस को और हवा देता है, आलोचकों का सवाल है कि क्या विस्तारित कार्य सप्ताह ग्रीस की आर्थिक चुनौतियों का सही समाधान है या क्या यह श्रमिकों के शोषण और आय असमानता के मौजूदा मुद्दों को और बढ़ाएगा।

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Abhinav Kumar

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