इजराइली हमलों में 28 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत, लेबनान की स्वास्थ्य प्रणाली चरमराई: WHO
लेबनान में बढ़ते संघर्ष और हिंसा के बीच स्वास्थ्य संकट गहराता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि केवल पिछले 24 घंटों में 28 स्वास्थ्यकर्मियों की जान चली गई है।
WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने जिनेवा में गुरुवार को कहा, ” इजराइल द्वारा की जा रही बमबारी के कारण कई स्वास्थ्यकर्मी अपने कार्यक्षेत्र छोड़कर भाग गए हैं और ड्यूटी पर नहीं लौट रहे। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता और प्रबंधन में भारी बाधा आ रही है।”
स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा संकट
मालूम हो लेबनान में मौजूदा संघर्ष ने पहले से ही कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली को और तबाह कर दिया है।
इजराइल द्वारा अस्पतालों को निशाना बनाए जाने से कई स्वास्थ्य केंद्रों की सेवाएं बंद हो गई हैं।
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री फिरास अबियाद ने बताया कि, ‘अक्टूबर 2023 से शुरू हुए हिज़्बुल्लाह-इजराइल संघर्ष के बाद से अब तक 1,974 लोग मारे गए हैं, जिनमें 127 बच्चे और 261 महिलाएं शामिल हैं’।
चिकित्सा आपूर्ति बाधित
WHO ने भी चेतावनी दी है कि लेबनान में शुक्रवार को नियोजित बड़ी मेडिकल खेप भेजी नहीं जा सकेगी, क्योंकि उड़ानों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
इससे घायलों के इलाज में और देरी होने की संभावना है। इस बीच, यूरोपीय संघ (EU) ने लेबनान को 30 मिलियन यूरो ($33.08 मिलियन) की मानवीय सहायता भेजने की घोषणा की है, जो पहले से दिए गए 10 मिलियन यूरो के अलावा है।
लेकिन हालात को देखते हुए ये सवाल लगातार सामने आ रहे हैं कि क्या ये मानवीय सहायता सिर्फ घोषणा भर है या फिर जरूरतमंदों तक पहुँच भी रही है।
इस हिंसा की जड़ें 8 अक्टूबर 2023 से शुरू हुई जब हिज़्बुल्लाह ने गाजा में हमास के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए इजराइल पर रॉकेट हमले शुरू किए।
इसके बाद इजराइल ने जवाबी हवाई और तोपखाने से हमले किए। इस संघर्ष ने पूरे क्षेत्र को एक बड़े मानवीय संकट में धकेल दिया है।
उधर संयुक्त राष्ट्र और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने लेबनान में बिगड़ते हालात पर चिंता जताई है।
स्वास्थ्यकर्मियों की मौत और अस्पतालों पर हमलों को युद्ध अपराध माना जा रहा है।
WHO के अनुसार, अगर हालात नहीं सुधरे तो देश में बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना पड़ सकता है।
लेबनान पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है, और अब यह स्वास्थ्य संकट उसकी चुनौतियों को और बढ़ा रहा है।
-
मानेसर-गुड़गांव ऑटो सेक्टर में हाथ गंवाते, अपंग होते मज़दूरों की दास्तान- ग्राउंड रिपोर्ट
-
बोइंग हड़ताल: ‘कम तनख्वाह में कैसे कटे जिंदगी,$28 प्रति घंटे की नौकरी से गुजारा असंभव’
-
मानेसर अमेज़न इंडिया के वर्करों का हाल- ’24 साल का हूं लेकिन शादी नहीं कर सकता क्योंकि…’
-
विश्व आदिवासी दिवस: रामराज्य के ‘ठेकेदारों’ को जल जंगल ज़मीन में दिख रही ‘सोने की लंका’
- “फैक्ट्री बेच मोदी सरकार उत्तराखंड में भुतहा गावों की संख्या और बढ़ा देगी “- आईएमपीसीएल विनिवेश
- “किसान आंदोलन में किसानों के साथ खड़े होने का दावा करने वाले भगवंत मान आज क्यों हैं चुप “
- ओडिशा पुलिस द्वारा सालिया साही के आदिवासी झुग्गीवासियों पर दमन के खिलाफ प्रदर्शन पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें