कतर में प्रवासी मज़दूरों को नहीं मिल रही सैलरी : ILO
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कतर एक ऐसा मुल्क है, जहां बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी मज़दूर काम करते हैं। मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन(ILO) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में सामने आयी है जिसमें क़तर में प्रवासी मज़दूरों को समय पर वेतन नहीं दिया जाने का दावा किया गया है।
कतर में प्रवासी मजदूरों की स्थिति दयनीय है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कतर में प्रवासी मजदूरों की सबसे बड़ी शिकायत यह है कि उन्हें बिना वेतन के काम करना पड़ रहा है।
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यूएन लेबर एजेंसी यानी संयुक्त राष्ट्र श्रम एजेंसी ने कहा कि कतर में प्रवासी मज़दूरों की शिकायतों में सबसे अधिक अवैतनिक मजदूरी का मुद्दा है। ज्ञात हीकि इस बार नवंबर में कतर में ही फुटबॉल विश्व कप होने वाला है।
सेवा समाप्ति अधिकारों से भी हैं वंचित
नेटवर्क 18 से मिली जानकारी के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रवासी श्रमिकों की शिकायतों की संख्या एक साल में दोगुनी से अधिक 34,425 हो गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कतर में रहने वाले प्रवासी मजदूरों की सबसे अधिक शिकायत यह है कि उन्हें न तो मजदूरी करने के पैसे मिल रहे हैं और न ही सेवा समाप्त होने के बाद मिलने वाले लाभ दिए जा रहे हैं।
साथ ही सालाना छुट्टी भी उन्हें नहीं दी जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 10,500 मामले लेबर ट्रिब्यूनल में गए, जहां लगभग सभी जजों ने वर्कर्स के पक्ष में फैसला सुनाया।
प्रवासी मज़दूरों कि संख्या में आयी गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में नए प्रतिबंधों की शुरुआत के बाद कतर में भयंकर गर्मी और तापमान से संबंधित समस्याओं से ग्रसित मज़दूरों की संख्या में भी गिरावट आई है। जारी रिपोर्ट के अनुसार चार कतर रेड क्रिसेंट क्लीनिकों ने इस गर्मी में 351 मज़दूरन का इलाज किया है। जबकि 2021, 2020 और 2019 में यह संख्या क्रमश: 620, 1,320 और 1,520 थी।
परिजनों के मांगे जा रहे हैं 5 लाख रुपए
गौरतलब है कि इससे पहले भी क़तर से हैरान करने वाली खबरें सामने आयी है। मिली जानकारी के मुताबिक नवंबर में होने वाले कतर फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए दोहा में तैयारियां जारी हैं, लेकिन इस आयोजन ने कई भारतीय मजदूरों की जान ले ली।
निर्माण एजेंसियों न तो परिवार को मुआवजा दिया और न ही मौत की सही वजह बताई गयी है। उलटा मजदूरों की भर्ती करने वाली कंपनी ने मारे गए मज़दूरों की बॉडी वापस करने के लिए परिवारवालों से 5 लाख रुपये की मांग तक कर डाली है।
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2010 में क़तर को फुटबाल के विश्व कप आयोजित करने का ऐलान हुआ था। तब से भारत के 2711 मज़दूरों ने अपनी जान गंवा चुके हैं। इसमें पाकिस्तान के 824, बांग्लादेश के 1018, नेपाल के 1641 और श्रीलंका के 557 से गए कुल 6750 मज़दूर अपने जान गंवा चुके हैं।
इन 5 देशों के औसतन 12 मज़दूरों ने वहां 50 डिग्री तक तापमान में ज़मीन के अन्दर या सैकड़ों फूट ऊपर काम करते समय अपनी जानें गंवाई है। इनके आलावा, अफ़्रीकी और अन्य देशों से गए मज़दूरों को जोड़ा जाए तो 10,000 से भी अधिक मज़दूरों की लाशें वहां से उठी हैं।
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