ब्रिटेन में हड़तालों का दौर जारी, फरवरी में भी हड़तालों का कैलेंडर तैयार
ब्रिटेन में साल की शुरुआत रेल कर्मचारियों की हड़ताल हुई थी। लेकिन जैसे जैसे मंदी बढ़ रही है, हड़तालें भीं बढ़ गई हैं।
रेल सेवाओं और रॉयल मेल डिलीवरी से लेकर NHS नर्सों, एंबुलेंस चालकों और शिक्षकों तक सब ने हड़ताल पर जाने की योजना बनायी है।
बढ़ती महंगाई के बीच वेतन वृद्धि और काम करने की स्थिति में सुधार की मांग को लेकर पिछले साल दिसम्बर में कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर हड़तालें आयोजित की थीं।
मिरर के लिए एक लेख में, TUC के महासचिव पॉल नोवाक ने बुधवार को देश भर के कार्यकर्ताओं से इसके प्रोटेक्ट द राइट टू स्ट्राइक अभियान दिवस का समर्थन करने का आह्वान किया।
Too true, because it's clear Labour won't support you!
Oh right 🤔 I forgot, Jeremy Corbyn does! Shame Lbour threw the 2019 election.
'Britain must stand together to protect right to strike as Tories attack'https://t.co/u1XwoSDWqU
— Proud Mancunian 🏳️🌈 (@sherbetdip2011) January 30, 2023
फ़रवरी में हड़ताल पर जानेवाले संगठनों ने हड़तालों का एक विवरण जारी किया है। जिसमें रॉयल कॉलेज ऑफ नर्सिंग (आरसीएन) के सदस्य सोमवार 6 और मंगलवार 7 फरवरी को फिर से हड़ताल करेंगे।
रॉयल कॉलेज ऑफ नर्सिंग का कहना है कि कम वेतन का भुगतान होने के कारण कर्मचारियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। जिसकी वजह से अन्य कर्मचारियों के ऊपर काम का दबाव बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि यह रोगियों को जोखिम में डाल रहा है और नर्सिंग स्टाफ को अधिक काम के बदले कम वेतन का भुगतान किया जा रहा है।
यूनियन का कहना है कि रोगी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हड़ताल की जा रही है। हालांकि हड़ताल के दौरान अस्पतालों में आपातकालीन सेवा जारी रहेगी।
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शिक्षकों की हड़ताल
वहीं ब्रिटेन के सबसे बड़े शिक्षा संघ ने भी हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। यह फैसला हड़ताल के पक्ष में मतदान करने के बाद लिया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा संघ (एनईयू) का कहना है कि जब तक सरकार उनकी वेतन में वृद्धि की मांग नहीं मान लेती तब तक हड़ताल को जारी रखा जायेगा। इस दौरान इंग्लैंड और वेल्स में सैकड़ों हजारों शिक्षक पूरे फरवरी और मार्च के महीने में काम नहीं करेंगे।
शिक्षकों की इस हड़ताल के कारण इंग्लैंड और वेल्स में अधिकांश स्कूल कई दिनों तक बंद या आंशिक रूप से बंद हो सकते हैं। संघ ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय वाकआउट का विवरण तैयार किया है।
कब और कहां होगी हड़ताल
1 फरवरी – इंग्लैंड और वेल्स में राष्ट्रीय हड़ताल
14 फरवरी – पूरे वेल्स में राष्ट्रीय हड़ताल
28 फरवरी – उत्तर, उत्तर पश्चिम और यॉर्कशायर और हंबर में क्षेत्रीय हड़ताल
1 मार्च – वेस्ट मिडलैंड्स, ईस्ट मिडलैंड्स और ईस्ट में क्षेत्रीय हड़ताल
2 मार्च – दक्षिण पश्चिम, दक्षिण पूर्व और लंदन में क्षेत्रीय हड़ताल
रेलवे की हड़ताल
हड़तालों के इस दौर में रेल सेवा भी प्रभावित होगी। ड्राइवर्स यूनियन Aslef ने घोषणा की है कि ट्रेन ड्राइवर यूनियन आगामी 1 जनवरी और 3 फरवरी को हड़ताल करेंगे।
इस हड़ताल के कारण अधिकांश रेलवे नेटवर्क ठप होने की संभावना है।
ड्राइवर्स यूनियन का कहना है कि हड़ताल में वे चालक शामिल हो रहे हैं जो रेल, समुद्री और परिवहन संघ के सदस्य हैं।
वहीं रेल ऑपरेटरों ने लोगों को हड़ताल के दिनों में यात्रा न करने की सलाह दी है।
इसके अलावा ब्रिटेन के 150 विश्वविद्यालयों में 70,000 से अधिक कर्मचारी वेतन, शर्तों और पेंशन के मुद्दे को लेकर फरवरी और मार्च के बीच 18 दिनों के लिए हड़ताल करेंगे।
यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज यूनियन (UCU) ने पुष्टि की है कि कर्मचारी बुधवार 1 फरवरी को वॉकआउट करेंगे।
इस हड़ताल में शिक्षाविद, पुस्तकालयाध्यक्ष और विश्वविद्यालय के अन्य कर्मचारी शामिल होंगे।
वेतन और नौकरी की शर्तों पर चल रहे विवाद को हल करने के उद्देश्य से सिविल क्षेत्र के कर्मचारियों ने भी हड़ताल पर जाने की घोषण की है।
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सिविल सेवकों की हड़ताल
सार्वजनिक और वाणिज्यिक सेवा यूनियन (पीसीएस) ने बुधवार 1 फरवरी को लगभग 100,000 सिविल सेवकों की हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है।
इस हड़ताल में कार्य और पेंशन विभाग, स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल विभाग और चालक और वाहन लाइसेंसिंग एजेंसी, साथ ही गृह कार्यालय, समुद्री और तटरक्षक एजेंसी सहित कई यूनियन शामिल होंगी।
पीसीएस का कहना है कि यह वर्षों की सबसे बड़ी सिविल सेवा हड़ताल है।
ज्ञात हो कि पिछले साल नवंबर में भी सिविल सेवकों ने हड़ताल की थी। जिसके बाद सरकार ने सिविल सेवकों को 2 से 3 प्रतिशत वेतन वृद्धि की पेशकश की है, लेकिन पीसीएस मुद्रास्फीति के अनुरूप 10 प्रतिशत की वृद्धि की मांग कर रही है।
गौरतलब है कि पहले कोविड लॉकडाउन और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति कमज़ोर हो गयी है, वहां हालात बहुत कठिन हो गये हैं ऐसे में वहां चुनाव भी हुए और चुनी हुई प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने जब इन संकटों के बीच अपने पद से इस्तीफा दिया तब ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। तब से ब्रिटेन में हड़तालों का यह दौर और तेज हो गया है क्योंकि सरकार की ओर से कर्मचारियों की समस्याओं का कोई निदान नहीं हो रहा।
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