आखिर क्यों यूरोप के किसान सड़कों पर उतरने को हुए मज़बूर

आखिर क्यों यूरोप के किसान सड़कों पर उतरने को हुए मज़बूर

बीते कई हफ्तों से पूरे यूरोप में हजारों किसानों ने अपनी खेती-किसानी को छोड़ ट्रैक्टरों पर सवार हो अपने देश की सड़कों को घेर रखा है.

पहले से ही कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे किसानों को यूरोपीय संघ की अस्थिर नीतियों और यूक्रेन में युद्ध के प्रभावों ने उन्होंने सड़क पर उतरने के लिए मज़बूर कर दिया है.

फ्रांस में किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्गों के बड़े हिस्से को अवरुद्ध कर दिया है. जिससे नए प्रधान मंत्री गेब्रियल अटाल के लिए संकट पैदा हो गया है, जो किसानों की हताशा को शांत करने के लिए उपायों की एक श्रृंखला की पेशकश करने के लिए दक्षिण-पश्चिम में किसानों के एक समूह से भेंट की.

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वही किसानों संगठनों का कहना है कि ‘ हमारे पास समस्याओं कि एक लम्बी फेहरिस्त है. जैसे बढ़ती नौकरशाही का राष्ट्रीय चरित्र, कृषि डीजल की बढ़ती लागत, यूरोपीय संघ की सब्सिडी का देर से भुगतान, आयात से प्रतिस्पर्धा इत्यादि.’

किसान :यह अस्तित्व की लड़ाई है और अब हम नहीं रुकेंगे

इस सप्ताह की शुरुआत में टूलूज़ के दक्षिण में किसानों की सड़क पर एक कार के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से एक युवा किसान एलेक्जेंड्रा सोनाक और उसकी 12 वर्षीय बेटी की मौत हो गई. एक दिन पहले ही सोनाक ने फ्रांसीसी रेडियो को बताया था कि ‘वो अपने पेशे की रक्षा और अपनी बेटियों की देखभाल के लिए विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रही हैं’.

जर्मनी के अधिकांश हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं, हालांकि उनका चरित्र मुख्य रूप से राष्ट्रीय है. किसान कृषि डीजल पर कर छूट को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से नाराज हैं, उनका कहना है कि यह उन्हें दिवालियापन की ओर ले जाएगा.

यूरोपीय संघ की नीतियों की वजह से भड़का असंतोष

पूरे यूरोप में अक्सर यूरोपीय संघ की नीतियों के प्रति गुस्से के कारण असंतोष भड़कता है.

कृषि सेक्टर यूरोपीय संघ द्वारा लाये गए सुधार उपायों को संदेह की नज़र से देख रहा है. हाल ही में सामान्य कृषि नीति (CAP) के तहत €55bn (£47bn) की मदद जिसका 70% से अधिक सीधे किसानों पर खर्च किया जाना था के पुनर्गठन को भी किसान शक की निगाह से देख रहे हैं.

यूरोपीय संघ द्वारा लाये गए सुधार उपाय के तहत कम से कम 4% कृषि योग्य भूमि को गैर-उत्पादक सुविधाओं के लिए समर्पित करने की बाध्यता, साथ ही फसल चक्र को पूरा करने और उर्वरक के उपयोग को कम से कम 20% तक कम करने की आवश्यकता शामिल है.

इसको लेकर कई किसानों ने लंबे समय से तर्क दिया है कि ये उपाय यूरोपीय कृषि क्षेत्र को आयात के मुकाबले कम प्रतिस्पर्धी बना देंगे.

वे इस बात से भी चिंतित हैं कि मुद्रास्फीति ने यूरोपीय यूनियन द्वारा उन्हें भुगतान किये जा रहे प्रत्यक्ष भुगतान के मूल्य में भी नाटकीय रूप से कमी कर दी है.

ब्रुसेल्स स्थित थिंक टैंक फ़ार्म यूरोप के ल्यूक वर्नेट ने बीबीसी को बताया ” किसानों को बेहद कम सरकारी मदद में बहुत कुछ करना पड़ रहा है .आगे बेहद मुश्किल आने वाले हैं और ऐसे में वो इनका कैसे सामना करेंगे ये देखना होगा.”

कुछ देशों में विरोध प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है

नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए पशुधन उत्पादन को आधा करने की सरकारी मांग को लेकर 2019 में नीदरलैंड में पहली बार प्रदर्शन शुरू हुआ.

और ब्रुसेल्स के निवासी लंबे समय से यूरोपीय संघ के कृषि नियमों के विरोध में किसानों द्वारा शहर में प्रवेश करके इमारतों पर दूध छिड़कने या सड़कों को मवेशियों से भरने के आदी रहे हैं.

हालाँकि अब यूक्रेन में युद्ध के प्रभाव ने यूरोप के लगभग हर कोने में विरोध प्रदर्शन ला दिया है.

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण ने काला सागर में व्यापार मार्गों को लगभग अवरुद्ध कर दिया.
जिसके बाद यूरोपीय संघ ने यूक्रेन से आयात पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध हटा दिया. जिससे उसके कृषि उत्पादों की यूरोपीय बाजारों में बाढ़ आ गई.

जबकि एक औसत यूक्रेनी जैविक फार्म लगभग 1,000 हेक्टेयर (2,471 एकड़) का होता है; इसके यूरोपीय समकक्षों का माप औसतन केवल 41 हेक्टेयर है.

हंगरी, पोलैंड और रोमानिया जैसे पड़ोसी देशों में कीमतें अचानक नीचे गिर गईं और स्थानीय किसान अपनी फसल बेचने में असमर्थ हो गए.

एक साल पहले तक पोलैंड के जिन सड़कों पर यूक्रेनियन शरणार्थियों का स्वागत किया जा रहा था. फरवरी-मार्च 2023 में किसानों ने उन सड़कों को अपने ट्रैक्टर से जाम कर दिया.

हालांकि यूरोपीय संघ ने जल्द ही अपने पड़ोसियों को यूक्रेन के निर्यात पर व्यापार प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन केवल सीमित अवधि के लिए. EU द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध की समय सीमा समाप्त हो गई तो कई देशों ने यूक्रेन के सामानों पर खुद के प्रतिबन्ध की घोषणा कर दी. जिसके बाद यूक्रेन ने तुरंत इस मुद्दे को लेकर मुकदमा दायर किया.

अब पूर्वी यूरोपीय देश यूरोपीय संघ से यूक्रेन के साथ अपने व्यापार उदारीकरण उपायों को संशोधित करने की मांग कर रहे हैं

रोमानिया में जहां किसान और माल ढोने वाले डीजल की ऊंची कीमत, बीमा दरों और यूरोपीय संघ के उपायों के साथ-साथ यूक्रेन से प्रतिस्पर्धा का विरोध कर रहे हैं. समाचार आउटलेट क्रोनिका ने इस महीने कहा था कि यूरोपीय संघ द्वारा सस्ते यूक्रेनी सामानों को अनुमति देना बिल्कुल ऐसा है जैसे तैराक एक डूबते हुए व्यक्ति को बचाने की कोशिश कर रहा है और जिसमे दोनों के डूब जाने की संभावना है.

पोलैंड में किसानों ने यूक्रेनी कृषि आयात के खिलाफ 24 जनवरी को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया.

पोलिश किसानों के व्यापार संघ के प्रवक्ता एड्रियन वावरज़िनियाक ने पोलिश मीडिया को बताया ” यूक्रेनी अनाज को वहीं जाना चाहिए जहां वह है, एशियाई या अफ्रीकी बाजारों में, यूरोप में नहीं.” स्लोवाकिया और हंगरी में भी ऐसी ही भावनाएँ व्यक्त की जा रही हैं.

दक्षिणी यूरोप अब तक विरोध प्रदर्शनों की मार से बचा हुआ है, लेकिन चीजें जल्द ही बदल सकती हैं. यूरोप के प्रमुख किसान संघ, व्यावसायिक कृषि संगठनों की समिति (सीओपीए) के अध्यक्ष क्रिस्टियन लैम्बर्ट ने भविष्यवाणी की है कि इतालवी और स्पेनिश किसान जल्द ही अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे.

वे यूक्रेन में युद्ध से अप्रभावित हैं. लेकिन जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील हैं, क्योंकि स्पेनिश और पुर्तगाली सरकारें तीव्र सूखे के कारण कुछ क्षेत्रों में पानी के उपयोग पर आपातकालीन प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही हैं.

इस सप्ताह सिसिली में किसानों ने क्षेत्रीय सरकार के विरोध में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया. किसानों का कहना है कि उनकी सरकार पिछली गर्मियों की लंबी, तीव्र गर्मी और सूखे के लिए उन्हें मुआवजा देने में विफल रही है.

किसान ग्यूसेप गुल्ली ने राय न्यूज़ को बताया कि “हम घुटनों पर हैं, सूखे के कारण हमारी फसल आधी हो गई है. लेकिन यूरोपीय संघ सिर्फ बड़े निगमों की मदद कर रही है. ”

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फ्रांस नेशनल रैली के जॉर्डन बार्डेला को प्रदर्शनकारियों के बीच देखा गया. धुर दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने भी किसानों के हित की वकालत करने की कोशिश की है.

लेकिन किसान नेताओं ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा ‘ किसान चरमपंथी नहीं हैं. वास्तव में यूरोप के किसान पहले यूरोपीय हैं. क्योंकि वे ही हैं जो सबसे अच्छी तरह जानते हैं कि यूरोप उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है.”

जर्मनी में मंत्रियों ने कृषि डीजल पर किसानों की कर छूट को समाप्त करने के प्रस्तावों को खारिज करने के लिए हाथापाई की जिसके कारण हंगामा हुआ था.

यूरोपीय संघ द्वारा लाये गए परिवर्तन को अब समय के साथ चरणबद्ध किया जाना तय है. लेकिन किसान चाहते हैं कि सब्सिडी में कटौती पूरी तरह खत्म कर दी जाए.

जर्मन किसान संघ के अध्यक्ष जोआचिम रुकवीड ने कहा “अब तक जो भी घोषणा की गई है, उससे किसानों का गुस्सा शांत होने के बजाय और बढ़ गया है.”

पोलैंड के प्रधान मंत्री डोनाल्ड टस्क ने उत्पादों के पारगमन और निर्यात को विनियमित करने के लिए एक समझौते पर पहुंचने के लिए मार्च की शुरुआत में यूक्रेनी प्रतिनिधियों से मिलने का वादा किया है.

उधर यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने स्वीकार किया है कि “विभाजन और ध्रुवीकरण बढ़ रहा है. जिसे देखते हुए हमने कृषि समूहों और यूरोपीय संघ के निर्णय निर्माताओं के बीच एक रणनीतिक वार्ता शुरू की है.”

( बीबीसी की खबर से साभार)

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Abhinav Kumar

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