गाजा को खुली जेल क्यों कहते हैं? फलस्तीन और इजरायल की लड़ाई का वो सच जिसे सबको जानना चाहिए

गाजा को खुली जेल क्यों कहते हैं? फलस्तीन और इजरायल की लड़ाई का वो सच जिसे सबको जानना चाहिए

(यह लेख कबीर ईआर ने जनसत्ता समाचार वेबसाइट के लिए लिखा था जिसे वहां 12 आक्टूबर को प्रकाशित किया गया। हम इस लेख को यहां साभार प्रकाशित कर रहे हैं।)

सात अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया। पिछले 75 साल में इजरायल पर इतना बड़ा हमला नहीं हुआ था। हमास के हमले के बाद इजरायल के रक्षा मंत्री योव गेलेंट ने गाजा पट्टी की ‘पूर्ण घेराबंदी का आदेश दिया। इजरायल ने गाजा के बिजली, पानी, ईंधन और फूड की सप्लाई बंद कर दिया है।

इजरायल यह करने में सक्षम भी है क्योंकि फिलिस्तीन के इस इलाके का हवाई, जमीन और समुद्री रास्ते पर पहले से ही उसका पहरा और कब्जा है। इजरायल ने 2007 से गाजा की नाकाबंदी कर रखी है।

गाजा पट्टी के पश्चिम में भूमध्य सागर है। उत्तर और पूर्व में इजरायल की धरती है। दक्षिण का इलाका मिस्र से लगता है। गाजा करीब 41 किलोमीटर लंबी और 12 किलोमीटर चौड़ी पट्टी है जिसमें 20 लाख से अधिक फिलिस्तीनी लोग रहते हैं। यह 1967 से इजरायली सैन्य कब्जे में है।

भले ही इजरायल का यह कहना हो कि उसने 2005 में ही कब्जा हटा लिया था। लेकिन संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन अभी भी गाजा को कब्जे वाला क्षेत्र मानते हैं।

गाजा की नाकाबंदी की शुरुआत

1967 के छह दिवसीय युद्ध में इजरायल ने मिश्र को हराया और गाजा पर कब्जा कर लिया। तब क्षेत्र पर सैन्य कब्जे की शुरुआत हुई। 1967 और 2005 के बीच इजरायल ने गाजा में 21 बस्तियां बनाईं। साथ ही फिलिस्तीनी निवासियों को गाजा से बाहर करने की भी कोशिश की।

गाजा से फिलिस्तीनियों को निकालने के लिए इजरायल ने बल और धन दोनों का प्रयोग किया। कई अन्य प्रोत्साहन भी देकर क्षेत्र छोड़ने का आग्रह किया। हालांकि, उस अवधि में इजरायली कब्जे के खिलाफ हिंसक और अहिंसक दोनों तरह से फिलिस्तीनी प्रतिरोध में वृद्धि देखी गई।

2005 में इजरायल ने गाजा से अपनी बस्तियां हटा लीं। तब से 2007 के बीच इसने कई मौकों पर गाजा के अंदर और बाहर लोगों और सामानों की आवाजाही पर अस्थायी नाकाबंदी लगाई।

1993 के ओस्लो समझौते के तहत, इजरायल के हटने के बाद फिलिस्तीनी प्राधिकरण को गाजा पर प्रशासनिक नियंत्रण मिल गया और 2006 में चुनाव हुआ। मतदान ऐसे समय में हुआ जब इजरायली नाकाबंदी लागू थी।

चुनाव में हमास ने बहुमत हासिल किया। चुनाव के बाद, हमास और एक अन्य फिलिस्तीनी राजनीतिक गुट फतह के बीच घातक हिंसा भड़क उठी, जिससे सौकड़ों फिलिस्तीनियों की मौत हो गई।

2007 में गाजा में हमास के सत्ता संभालने के बाद इजरायल ने नाकाबंदी को स्थायी कर दिया, इसमें मिस्र भी शामिल हुआ। इसका प्रभावी रूप से मतलब यह था कि अधिकांश लोग गाजा के अंदर या बाहर नहीं जा सकते थे। सामान और सहायता की आवाजाही अत्यधिक प्रतिबंधित कर दी गई। इजरायल नाकाबंदी को अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक बताता है।

साभार बीबीसी हिंदी

किस तरह घिरा है गाजा?

गाजा के एक तरफ समुद्र था ही तीन तरफ से दीवार उठा दी गई है तब से गाजा चारों तरफ से घिरा हुआ है। 1994 में इजरायल ने गाजा के साथ अपनी सीमा पर 60 किलोमीटर लंबी बाड़ 9 बनाई। तब से इसे कई बार उन्नत किया गया है।

जहां सीमा इजरायली बस्तियों के पास से गुजरती है, वहां हाईटेक बॉर्डर सिक्योरिटी सिस्टम लागू है, जिसमें सेंसर और रिमोट कंट्रोल मशीन गन के साथ 7 मीटर ऊंची दीवारें भी शामिल है। सुरंगों के माध्यम से किसी भी गतिविधि को रोकने के लिए भूमिगत दीवारे भी है।

इजरायल ने दीवार बनाकर उत्तर और पूर्व से गाजा को घेरा तो दक्षिणी सीमा मिस्र ने दीवार बना दी मिस्र ने अमेरिका की मदद से 14 किलोमीटर लंबा स्टील बॉर्डर बेरियर बनाया है। कोई छिपकर सुरंग के रास्तों से न घुसे, उसके लिए भूमिगत अवरोध भी बनाए।

गाजा के पश्चिम में स्थित समुद्री मार्ग को इजरायल कंट्रोल करता है। इजरायल समुद्री मार्ग से लोगों या वस्तुओं की आवाजाही की अनुमति नहीं देता है।

वर्तमान में गाजा और बाहरी दुनिया के बीच तीन बॉर्डर क्रॉसिंग है करीम अबू सलेम क्रॉसिंग ओर इरेज क्रॉसिंग को इजरायल कंट्रोल करता है और राफा क्रॉसिंग मिस्र द्वारा नियंत्रित ।

इजरायल पर शनिवार के हमले के बाद से सभी तीन क्रॉसिंगों को सील कर दिया गया है।

साभार बीबीसी हिंदी

नाकाबंदी से गाजा की बर्बादी

गाजा पट्टी 41 किलोमीटर लंबा और 12 किलोमीटर चौड़ा है। लगभग 365 वर्ग किमी के कुल क्षेत्रफल में 20 लाख से अधिक लोग रहते हैं। ये आंकड़े गाजा पट्टी को दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक बनाते हैं।

पिछले साल यूनाइटेड नेशन ऑफिस द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, नाकाबंदी ने गाजा की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया है, जिससे वहां बेरोजगारी, खाद्य असुरक्षा और सहायता पर निर्भरता बढ़ गई है।

नाकाबंदी के कारण गाजा की 80 प्रतिशत आबादी भोजन के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की मदद पर निर्भर है।

31 प्रतिशत परिवारों को वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण शिक्षा के लिए जरूरी टयूशन फीस और किताबों जैसी चीजों का बंदोबस्त करने के लिए भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। बेरोजगारी दर 46% से अधिक है। गाजा में बिजली तक की ठीक से आपूर्ति नहीं है।

रिपोर्ट में इस नाकाबंदी को न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन माना गया है, बल्कि इसे सामूहिक दंड के रूप में भी रेखांकित किया गया है।

नाकाबंदी से गाजा के लोगों के लिए वेस्ट बैंक के बड़े फिलिस्तीनी क्षेत्र में जाना भी बहुत मुश्किल हो गया है, जहाँ कई लोगों के पारिवारिक और व्यावसायिक संबंध है। गाजा में कई लोग इलाज के लिए वेस्ट बैंक के अस्पतालों पर ही भरोसा करते हैं।

लेकिन नाकाबंदी के कारण वहाँ जाना इजरायल द्वारा की जाने वाली वेरिफिकेशन की लंबी प्रक्रिया के बाद ही संभव है। इजरायल इस वेरिफिकेशन प्रोसेस में फिलिस्तीनियों की ज्यादातर अर्जिया खारिज कर देता है।

गाजाः खुली हवा वाली जेल

कब्जे वाले क्षेत्रों को लेकर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने इस साल जुलाई में कहा था, “इजराइल ने फिलिस्तीनियों पर जो शासन लागू किया है वह नस्लभेद है। गाजा को परिभाषित करने के लिए खुली हवा वाला जेल कहने के अलावा कोई अन्य तरीका नहीं है।”

अल्बानीज़ ने ओपन एयर जेल’ शब्द का इस्तेमाल किया। इस शब्द का इस्तेमाल नाकाबंदी के तहत गांजा की स्थितियों का वर्णन करने के लिए पहले भी शिक्षाविद एक्टिविस्ट और पत्रकार करते रहे हैं।

प्रसिद्ध भाषाविद् और बुद्धिजीवी नोम चॉम्स्की ने 2012 में लिखा था, “दुनिया की सबसे बड़ी खुली हवा वाले जेल में जीवित रहने की कोशिश करना कैसा होगा, गाजा में यह समझने में एक दिन से अधिक समय नहीं लगता है।”

यहाँ तक कि इजरायल से संबद्ध सरकार के प्रमुखों ने भी अतीत में इस शब्द का इस्तेमाल किया है। 2010 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने संसद में गाजा को एक विशाल खुली जेल” कहा था।

https://i0.wp.com/www.workersunity.com/wp-content/uploads/2023/04/Line.jpg?resize=735%2C5&ssl=1

Do read also:-

https://i0.wp.com/www.workersunity.com/wp-content/uploads/2023/04/Line.jpg?resize=735%2C5&ssl=1

Subscribe to support Workers Unity – Click Here

(Workers can follow Unity’s FacebookTwitter and YouTube. Click here to subscribe to the Telegram channel. Download the app for easy and direct reading on mobile.)

Workers Unity Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.