नदी डूबने वाली है!

नदी डूबने वाली है!

By पृथ्वी परिहार

 

नदी डूबने वाली है!

सोचो गर गांव अपने घर चला गया

तो शहर का क्या होगा।

गारे से लड़ पड़ी करंडी

तो तुम्हारी उजली सहर का क्या होगा।

क्या होगा साफ्टवेयर राउटर से बनी

तुम्हारी इस रंगीली दुनिया का

हार्डवेयर बनाने वाला कारीगर

गर भूख से मर गया होगा।

यूं ही नंगे पांव तपती सडक़ पर नहीं निकला

मजदूर अपनी छोटी सी बेटी को लेकर

तुम्हारे ही कुछ लछणों से

जरूर वह डर गया होगा।

मंदी, भुखमरी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार

इस संकट का सबक है

रात को ये बात समझाने निकला था दिन

तुमने सोचा वो मिलने दोपहर के घर गया होगा?

उलटबांसियों के शौकीन तुम और तुम्हारी महफिल के लोग

सुनो, ये नदी डूबेगी

नाव में छेद हुआ है, बस पानी भर गया होगा।

 

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