हरियाणा रोडवेज़ः 16 अक्टूबर से चली आ रही रोडवेज़ हड़ताल अब 2 नवम्बर तक बढ़ी
खट्टर सरकार हरियाणा रोडवेज़ के निजीकरण पर अड़ी है, दूसरी तरफ़ रोडवेज़ कर्मचारियों के समर्थन में लगातार जनसमर्थन बढ़ता जा रहा है।
सोमवार को हरियाणा सरकार की हठधर्मिता को देखते हुए तालमेल कमेटी ने हड़ताल की मियाद को दो नवम्बर तक बढ़ा दिया है।
720 प्राइवेट बसों को रोडवेज के बेड़े में शामिल करने के ख़िलाफ़ रोडवेज़कर्मियों की हड़ताल 16 अक्टूबर से जारी है।
25 सालों में रोडवेज़ की दूसरी सबसे अधिक दिनों तक चलने वाली हड़ताल है।
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बढ़ रहा है राज्य कर्मचारियों का समर्थन
खट्टर सरकार एस्मा क़ानून लगा दिया है, कुछ नेताओं की गिरफ्तारी हुई है और अन्य के घरों पर दबिश दी जा रही है, बावजूद कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
यही नहीं प्रशासन ने बस अड्डे और आसपास धारा-144 लागू कर दिया है।
चंद बसें एसपीओ और गैर रोडवेज़ चालकों द्वारा चलाई भी जा रही हैं, लेकिन लंबे रूट पर बसों का संचालन पूरी तरह ठप है।
दूसरी ओर हरियाणा रोडवेजकर्मियों ने खट्टर सरकार के रोडवेज़ के निजीकरण के कारनामे को जनता के बीच ले जाना शुरू कर दिया है।
डिपो की 100 से अधिक बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। शहर में चलने वाली बसों को तो प्रशासन किसी प्रकार चलवा पा रहा है, जबकि अन्य राज्यों और जिलों में जाने वाली बसें पूरी तरह थम गई हैं।
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अधिकारी की कमीशनखोरी से रोडवेज़ का बुरा हाल
रोडवेज़ कर्मचारियों का आरोप है कि वरिष्ठ अधिकारी बसों के पार्ट-पुर्जे अपने मोटी कमीशनखोरी के लिए निर्धारित दाम से दोगुना-तीन गुना पर खरीदते हैं और करोड़ों रुपए का घपला करते हैं।
कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि रोडवेज़ किसी भी प्रकार से घाटे में नहीं है, जबकि सरकार इसे घाटा दिखाकर निजी हाथों में सौंपना चाहती है।
35 सालों से नहीं हुई मेंटिनेंस स्टाफ की भर्ती
सरकार नए परिवहन नीति के अनुसार, 720 निजी बसों को ठेका के आधार पर लेना चाहती है, जबकि इससे 5 हजार युवकों का रोजगार खत्म होगा।
गौरतलब है कि 1993 के बाद से मेंटिंनेस स्टाफ की भर्ती नहीं की गई, जिसके कारण प्रशिक्षुओं के भरोसे बसों का रखरखाव किया जा रहा है।
1993 में सरकार ने 1,000 निजी बसों को परमिट दिया था।
दूसरे राज्य कर्मचारियों के समर्थन में आने से सरकार के हाथ पांव फूले
हड़ताल के पहले दिन से ही बस अड्डा पुलिस छावनी में तब्दील है।
जहां भारी संख्या में पुलिस बल, दमकल की गाडिय़ां आदि लगातार खड़ी हैं।
गुडग़ांव प्रशासन ने पहले दिन गुड़गांव के सेक्टर 29 और पुलिस लाइंस से बसों का संचालन कराया था।
लेकिन हड़ताल के दूसरे दिन अन्य राज्य कर्मचारियों के समर्थन में आने से प्रशासन की योजना पर पानी फिर गया।
14 यूनियन नेताओ को अबतक किया गया गिरफ्तार, 138 निलंबित। (फोटो साभारः तालमेल कमेटी)
कब क्या हुआ?
- 15-16 अक्तूबर की रात 12 से हड़ताल शुरू
- 16 अक्तूबर सुबह से ही सभी बसों का पहिया थमा
- 17 अक्तूबर को 71 कर्मचारी हुए गिरफ्तार, हड़ताल तीन दिन बढ़ी
- 18 अक्तूबर से कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री का पुतला फूंका
- 19 अक्तूबर फिर से बढ़ी तीन दिन हड़ताल
- 22 अक्तूबर को फिर बढ़ी हड़ताल
- 29 अक्तूबर को हड़ताल 2 नवम्बर तक करने की घोषणा
वॉल्वो सेवा पूरी तरह ठप
हड़ताल के चलते गुडग़ांव से चंडीगढ़ जाने वाली वॉल्वो सेवा पूरी तरह ठप हो गई है।
गौरतलब है कि गुडग़ांव डिपो में कुल 18 वॉल्वों बसों का संचालन किया जाता है जो गुडग़ांव, दिल्ली, अंबाला होते हुए चंडीगढ़ के लिए जाती हैं।
शहर में चलने वाली बसें तो किसी प्रकार प्रशासन चला पा रहा है, जबकि अन्य राज्यों और जिलों में जानी वाली बसें पूरी तरह थम गई हैं। रोडवेज़ डिपो से बाहर जाने के लिए बसें नहीं हैं।
रोज़ाना 3, 332 बसें और 13 लाख यात्री
करीब 13 लाख यात्री हरियाणा रोडवेज़ से रोज़ाना यात्रा करते हैं।
प्रदेशभर में रोज़ाना 3, 332 बसें सडक़ों पर चलती हैं, जो हड़ताल के कारण थम गर्इ हैं।
यात्रियों की परेशानी का फायदा प्राइवेट चालक खूब उठा रहे हैं। प्राइवेट बस चालक आजकल जमकर चांदी कूट रहे हैं।
मनमाना किराया वसूली के साथ ही बसों के अंदर और छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं।
दूसरी ओर पुलिस की मदद से गैर रोडवेज की बसों का संचालन प्रशासन करा रहा है, जो कि यात्रियों के आवागमन के लिए गैर व्यावसायिक लोग हैं।
क्या हैं कर्मचारियों की मांगें?
हड़तालियों की प्रमुख मांग निजी बसों के संचालन का विरोध है।
जिन 720 निजी बसों को सरकार परमिट देने जा रही है कर्मचारी उसका विरोध कर रहे हैं।
कर्मचारियों का तर्क है कि इससे रोजगार पर संकट खड़ा हो जाएगा।
दूसरी तरफ कर्मचारी चाहते हैं कि मेंटिनेंस स्टाफ सहित नई भर्तियां की जाएं और बसों का बेड़ा सरकार शामिल करे। इसके अलावा बकाया बोनस आदि का भुगतान शीघ्र किया जाए।
रोडवेज़ कर्मियों के हड़ताल में राज्य कर्मचारियों का समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है। आज 12वें दिन की हड़ताल में मिड डे मील वर्कर, सीटू, आशा वर्कर भी समर्थन में आ गए हैं।
जबकि प्राथमिक शिक्षक, एनएचएम कर्मी पहले ही रोडवेज कर्मचारियों को अपना समर्थन दे चुके हैं।
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