10 जुलाई से आशा वर्कर्स हैं हड़ताल पर, वेतन 4000 से बढ़कार 12,000 हज़ार करने की कर रही हैं मांग
वेतन बढ़ोत्तरी को लेकर आशा वर्कर्स शुक्रवार से हड़ताल पर हैं। आशा वर्कर्स की मांग है कि सरकार उनका वेतन 4,000 हज़ार से बढ़ाकर 12,000 हज़ार करे।
साथ ही 22 राज्यों में करीब तीन लाख आशा वर्कर्स वेतन बढ़ोतरी, कोरोना से सुरक्षा, जीवन बीमा आदि मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं।
इससे पहले आशा वर्कर्स 3 जनवरी को हड़ताल पर गई थी। बाद में कर्नाटक सरकार ने इनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया, जिसके बाद इन्होंने अपनी हड़ताल को खत्म कर दिया था।
इस प्रदर्शन को “ललकार दिवस” नाम दिया गया है। इस आंदोलन में वर्कर्स मोदी सरकार की पुलिस को चुनौतियां देकर प्रदर्शन कर रही है।
आशा वर्कर कार्यकर्ता नागलक्ष्मी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, “सरकार ने हम से जो भी वादा जनवरी में किया था उसे अभी तक नहीं पूरा किया है। हम लोग वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।”
उन्होंने ने आगे कहा, “वेतन बढ़ोत्तरी आंदोलन के बीच हमारी कई वर्कर्स को गाड़ी से कुचल दिया गया। कईयों पर हमला कराया गया। लेकिन फिर भी हम लोग अपने हक के लिए लड़ रहे हैं।”
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तीन आशा वर्कर्स की हो चुकी है मृत्यु
जनवरी के आंदोलन को लेकर नागलक्ष्मी कहती हैं, “पिछली बार हम लोग फ्रीडम पार्क में इकट्ठा हुए थे। पर इस बार कोरोना के कारण भीड़ इकट्ठा नहीं कर सकते हैं इसलिए हम लोग अपने-अपने तालुका से विरोध प्रदर्शन करेंगे।”
वहीं इस पूरे मसले पर नोडल ऑफिसर प्रभु गौड़ा का कहना है कि, “इनकी समस्याओं का हल निकाला जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री बी. श्रीरामुलु गुरूवार को आशा वर्कर्स से बात करने के लिए तैयार भी हो गए हैं। और उन्होंने आशा वर्कर्स को हड़ताल पर जाने से मना किया है।”
स्वास्थ्य मंत्री के इस बयान पर नागलक्षी का कहना है कि, “हम लोग तीन-चार बार मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं। उन्हें अपनी मांगों के बारे में भी बताया है पर कोई नतीजा नहीं निकला, और इस बीच हमारी 3 आशा वर्कर्स की मृत्यु भी हो गई।”
उन्होंने ने आगे कहा, “आशा वर्कर्स की मृत्यु कोरोना से नहीं हुई बल्कि उनके ऊपर कई हमले कराए गए थे
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