उत्तराखंड: आशा कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालयों में दिया धरना, सरकार को हड़ताल की दी चेतावनी
सीटू से संबद्ध उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन ने 12 सूत्री मांगों को लेकर पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया।
इस मौके पर आशा कार्यकर्ताओं ने सरकारी सेवक का दर्जा देकर उन्हें न्यूनतम 21 हजार मानदेय देने, मानदेय मिलने तक आशाओं का मासिक वेतन निर्धारित करने, सेवानिवृत्ति पर आशाओं के लिए पेंशन का प्रावधान करने, कोविड कार्यों में लगी सभी आशा वर्करों को 10 हजार रुपये मासिक कोरोना भत्ता देने सहित 12 सूत्री मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।
वर्ष 2006 से कार्यरत आशाओं का वेतन अभी तक फिक्स नहीं किया है, जिससे उन्हें आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। आशा कार्यकर्ताओं ने मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर 2 अगस्त से कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी।
आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि आशाएं स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ हैं, इसके बावजूद प्रदेश सरकार लगातार उनकी उपेक्षा कर रही है।
वहीं मोदी सरकार पर बारे में वक्ताओं ने कहा कि आशाओं समेत सभी महिला कामगारों का खुला शोषण कर रही है। इस सरकार ने कामगारों के अधिकारों को खत्म करने के लिए श्रम कानूनों को खत्म कर दिया है। यह सरकार मुफ्त में जमकर काम कराने के फार्मूले पर चल रही है और आशाओं इसने बंधुवा मजदूर बना कर रख दिया है।
गौरतलब है कि 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा कोरोना काल में अपनी बेहतरीन सेवा देने के लिए आशाओं को दस हजार रुपए प्रोत्साहन देने की घोषणा की गई थी लेकिन अभी तक यह पैसा आशाओं के खाते में नहीं आया है। उसके बाद तीरथ सिंह रावत फिर पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने लेकिन किसी ने वायदा पूरा नहीं किया।
ऐक्टू व सीटू से जुड़ी आशा यूनियनें पूरे प्रदेश में 23 जुलाई से चरणबद्ध तरीके से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया है। 23 जुलाई को ब्लॉक मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजे गए। उसी क्रम में 30 जुलाई को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन हुआ।
आशा कार्यकर्ताओं का साफ कहना है कि अगर समाधान न हुआ तो राजधानी देहरादून में राज्य स्तरीय प्रदर्शन होगा। सरकार नहीं मानी तो हड़ताल ही आखिरी रास्ता होगा।
बता दें कि आशा कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन देहरादून से लेकर, रुद्रपुर, अल्मोड़ा, रानीखेत, उत्तरकाशी, पौढ़ी, टिहरी, चंपावत, पिथौरागढ़, कोटद्वार में देखने को मिले।
(साभार- अमर उजाला)
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