Ordnance Factory Corporatization: 8 जुलाई को केन्द्र के ‘क्रूर’ अध्यादेश के खिलाफ काला दिवस मनाएंगे फेडरेशन्स
रक्षा कर्मचारियों के पांच संघों ने 1 जुलाई को पारित एक संयुक्त प्रस्ताव में उचित कानूनी कार्रवाई करने और केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) में शिकायत दर्ज करने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि रक्षा प्रतिष्ठानों के निगमीकरण को लेकर कर्मचारियों के बेमियादी हड़ताल की घोषणा करने के बाद सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए हड़ताल पर अंकुश लगा दिया है।
हड़ताल करने व उसमें शामिल रहने वाले कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए यह अध्यादेश जारी किया है कि ऐसे कर्मचारियों को एक वर्ष की कैद और 10 हजार जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
उन्होंने विरोध में देश भर के सभी रक्षा प्रतिष्ठानों में 8 जुलाई को अखिल भारतीय काला दिवस के रूप में मनाने का भी फैसला किया है।
फेडरेशन्स का कहना है कि ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 और औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के प्रावधानों के तहत रक्षा कर्मचारियों के कानूनी अधिकार को छीनकर भारत सरकार जिस तरह से अपने प्रतिबद्ध और समर्पित कार्यबल के साथ व्यवहार कर रही है वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।
अध्यादेश की वजह से हड़ताल को लेकर नोटिस तक नहीं दे सकते है। सरकार ने इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है।
इस अध्यादेश में रक्षा उत्पादन से जुड़े संस्थानों को आवश्यक रक्षा सेवा की श्रेणी में लाया गया है। इसके मुताबिक अगर ऐसे संस्थानों में हड़ताल करने की कोशिश की जाती है तो उसे गैर कानूनी माना जाएगा।
ऐसा करने वाले व्यक्ति के लिए अध्यादेश में एक साल की सजा और दस हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। यही नहीं , अगर कोई व्यक्ति किसी और व्यक्ति को हड़ताल करने के लिए उकसाता है तो उसके लिए दो साल की सजा और पंद्रह हजार रुपये के ज़ुर्माने का प्रावधान होगा।
इससे पहले 27 जून को ऑर्डेनेन्स फैक्ट्री बोर्ड के कर्मचारियों से जुड़े फेडरेशन्स ने ऐलान किया कि वे ऑर्डेनेन्स फैक्ट्री बोर्ड के निगमीकरण के फैसले के खिलाफ 26 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगेष
सेना के लिए हथियार गोलाबारुद से लेकर टैंक बनाने वाले 80 हजार कर्मचारियों कहना है कि निगमीकरण के बहाने सरकार इन कारखानों का निजीकरण कर रही है।
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