लॉकडाउन की मार से त्रस्त हुए किसान
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किसानों ने महामारी के हालात में मेहनतकश आबादी को बचाने के लिए किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री को खुला पत्र भेजकर मांगें रखी हैं। उनका कहना है कि इन मांगों को तत्काल लागू करने से न सिर्फ देशभर के गांवों में मौजूद मेहनतकश आबादी बचेगी, बल्कि देश की तरक्की का रास्ता भी खुलेगा।
तहसील स्तर से भेजे जाने वाले ज्ञापन का प्रारूप
महोदय,
हम भारत के किसान, देश की किसान जनता के सामने उत्पन्न गम्भीर समस्याओं, जो कोरोना महामारी और लगातार चले लॉकडाउन की स्थिति में जो लगातार बढ़ रही है, को संबोधित करने व उनका हल निकालने में आपकी सरकार की लगातार विफलता पर अपना प्रतिवाद दर्ज कराते हुए आपसे आग्रह करते हैं कि निम्न समस्याओं को हल करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं।
यह एक उचित समय था जब किसानों और खेत मजदूरों को, जो देश के कुल श्रम शक्ति का 70 फीसदी हैं, पर्याप्त राहत प्रदान करके सबसे निचले पायदान पर जीवन बसर कर रहे नागरिकों का विकास सुनिश्चित किया जा सकता था।
ये वे लोग हैं जो बाजार की कठिन परिस्थितियों और सरकार की विपरीत नीतियों के बावजूद मेहनत करके पूरे देश में खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
इस बात की हम सराहना करते हैं कि आपने इन मेहनतकश किसानों के योगदान पर भरोसा करके ही एक साहसी घोषणा की थी कि देश के खाद्यान्न भंडार भरे हुए हैं और आपकी सरकार किसी तरह की कमी नहीं आने देगी।
इसी योगदान के आधार पर हम देश के सामने अपनी जरूरतों का दावा प्रस्तुत कर रहे हैं, इस उम्मीद के साथ, कि आप इसे हल करेंगे।
1. किसानों की देखभाल
क) सभी किसानों के, भूमिहीन किसान व खेत मजदूर समेत छोटे- मझोले उधोग के सभी कर्जे माफ करो। सभी पुराने केसीसी कर्ज माफ करो व नए केसीसी कर्ज बिना ब्याज के तुरंत जारी करो।
ख) सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सी2 के अनुसार 50 फीसदी की घोषणा करो, सुनिश्चित करो कि इसी दाम पर सारी फसलें सरकारों द्वारा खरीदी जाएं। इन फसलों में दूध, सब्जी, फल व सभी बर्बाद होने वाली फसलें शामिल हों।
ग) लागत के दाम घटाओ, विशेषकर डीजल के दाम, हवाई जहाज के ईंधन के दाम 22 रुपये प्रति लीटर के बराबर करो।
घ) इस पूरी अवधि के बिजली के घरेलू, व्यवसायिक व ट्यूबवेल के बिल माफ करो। बिजली के निजीकरण और किसानों के लिएमहंगी बिजली करने वाले विधुत संशोधन बिल 2020 को तत्काल वापस लो।
ङ) बीज, खाद, कीटनाशक दवा के दाम इस सत्र में कम से कम 50 फीसदी कम करो।
च) सभी बटाईदार किसानों का पंजीकरण करो और उन्हें एमएसपी, कर्जमाफी, कर्जे, छूट पर मिलने वाली लागत व फसल नुकसान के सरकारी लाभ मिलने की गारंटी करो।
छ) पीएम किसान का भुगतान 18,000 रुपये प्रति वर्ष करो।
ज) गन्ना किसानों का भुगतान तुरंत कराया जाए।
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2. गरीबों की देखभाल
क) केवल कार्ड धारकों को 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रति माह देने की नीति बदलो और उन सबको 15 किलो अनाज और कम से कम 1 किलो दाल, तेल व चीनी प्रति माह उपलब्ध कराओ। यदि सभी 135 करोड़ लोगों को 15 किलो अनाज दिया जाएगा तो इसका बोझ मात्र लगभग 2 करोड़ टन प्रति माह ही पड़ेगा।
ख) सुनिश्चित करो कि हर व्यक्ति जिसे काम चाहिए उसे साल भर मनरेगा के अंतर्गत काम मिले या कानून के अनुसार इस अवधि की मजदूरी मिले। कराए गए काम की मजदूरी का तत्काल भुगतान हो और जॉब कार्ड पर प्रतिदिन हाजिरी लगाई जाए। गांव में काम की योजनाएं बनाने के लिए जनता के विकास की नई योजनाएं लाई जाएं और ऐसे नीतिगत परिवर्तन लाए जाएं जिससे मनरेगा के काम का लाभ किसानों को भी मिल सके।
ग) कोरोना संकट से उबरने के लिए, इस दौरान हुई जीविका के नुकसान की भरपाई के लिए हर व्यक्ति को 10,000 रुपये प्रतिमाह पेमेंट किया जाए ।
घ) सारी सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं तुरंत चालू कराई जाएं और हर गांव में डिस्पेंसरी खोली जाएं।
3. प्रवासी मजदूरों की देखभाल
क) सभी ट्रेन व अंतर्राज्यीय बसें तुरंत शुरु की जाएं ताकि प्रवासी मजदूर मुफ्त घर लौट सकें। इसमें विलंब करने से शहरों की बस्तियों में कोरोना वायरस का प्रसार बढ़ता जाएगा, जैसा कि वर्तमान नीति के अनुभव से स्पष्ट है। जितना जल्दी वहां से निकलने की छूट मजदूरों को मिलेगी, उतना कम इसका प्रकोप गांवों में फैलेगा।
ख) हर गांव में सभी प्रवासियों के कोरंटाइन की सरकारी व्यवस्था ठीक की जाएं। सामुदायिक कोरंटाइन में बेहतर खाने व लगातार जांच की व्यवस्था की जाए।
ग) सभी छोटे व्यवसायियों के उत्पादन व स्थानीय परिवहन को तुरंत चालू किया जाए।
4. सरकार की आर्थिक राहत योजना
आपकी सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु कानून व मंडी कानून समाप्त करने, ई-नाम, खेत की दहलीज से बड़े व्यापारियों व व्यवसायिक एजेंटों द्वारा फसलें खरीदने, ठेका खेती शुरु कराने, निजी भंडारण, शीत भंडारण, खाद्यान्न प्रसंस्करण और सप्लाई चेन, आदि में करापोरेट को बढ़ावा देने से किसानों की बची-खुची स्वतंत्रता भी समाप्त हो जाएगी।
अत: हम आपसे आग्रह करते हैं कि इस बात को गंभीरता से समझने की जरूरत है कि किसानों की अर्थव्यवस्था ने ही विश्व वित्तीय व आर्थिक संकट के दौरान भारत को कुछ हद तक बचाए रखा है।
कोविड से लडऩे का सबसे बेहतरीन तरीका यही है कि देश के खेतों की अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता को सुधारा जाए। इसलिए सहकारी खेती को बढ़ावा दिया जाए और कृषि आधारित उद्योग लगाए जाएं। किसानों को मुफ्त कृषि उपकरण दिए जाएं।
5) इस समय पेराई 2019-20 का भुगतान मिलों ने नहीं किया है जो आपके 2017 के चुनाव के वायदेनुसार 14 दिनों में होना चाहिए था । ये बकाए की राशि 20 हजार करोड़ है। आपसे आग्रह है कि ये रकम भारत सरकार तत्काल किसानों को दे।
6. वनाधिकार कानून के तहत वन भूमि पर बसे सभी आदिवासियों व वनाश्रितों को पट्टे दिए जाएं।
7. प्राकृतिक आपदा यथा चक्रवाती तूफान, ओलावृष्टि, सूखे में किसानों को बर्बाद हुई फसल के बाजार मूल्य के अनुरूप मुआवजा दिया जाए।
अत: हमारा आग्रह है कि उपरोक्त सभी बिंदुओं को कार्यान्वित करें और तत्काल राहत दिलाएं जिससे देश का किसान, नौजवान ओर मजदूर मजबूत होगा । किसान मजबूत होगा तो ही देश मजबूत होगा ।
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