11 दिसंबर के अल्टीमेटम के साथ किसानों ने किया धरना समाप्त, कहा मांगे नहीं मानी गई तो बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहे सरकार
पिछले तीन दिनों से चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर और पंचकूला में चल रहे किसानों का धरना समाप्त हो चूका है. किसान संगठनों ने राज्यपाल से मिलने के बाद ये फैसला लिया है.
मालूम हो कि एमएसपी की गारंटी सहित अपनी कई मांगों को लेकर किसान बीते तीन दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे. किसानों का कहना था की “केंद्र की मोदी सरकार सहित प्रदेश की भगवंत मान की सरकार भी उनसे किये अपने वायदों से पीछे हट रही हैं. 2020 -21 के किसान आंदोलन के समय किसानों को आश्वासन दिया गया था कि उनकी सभी मांगों को जल्द ही पूरा किया जायेगा, लेकिन आज 2 साल बीतने के बाद भी हमारी कोई सुध नहीं ली जा रही है. मज़बूरन हमें धरना का रास्ता अख्तियार करना पड़ा”.
मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM ) का एक प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मिला और अपनी मांगो को उनके समक्ष रखा. राज्यपाल से मिलने के बाद किसान संगठनों ने 11 दिसंबर तक अपनी मांगों को पूरा करने का अल्टीमेटम देते हुए धरना को फिलहाल समाप्त करने कि घोषणा की.
इस घोषणा के बाद किसान नेताओं ने पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़िया से मुलाकात कि और उनके सामने अपनी मांगो को रखा. जिसके बाद कृषि मंत्री ने भी किसानों को इस बात का भरोसा दिया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान किसान नेताओं के साथ 19 दिसंबर को मीटिंग के लिए तैयार हैं.
बताते चलें कि बीते रविवार से पंजाब-हरियाणा के किसान एमएसपी, गन्ने कि कीमत बढ़ाने, किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को हटाने,आंदोलन के दौरान जान गवांने वाले किसान के परिवार को मुआवजा और किसी एक सदस्य के लिए नौकरी,कर्ज माफ़ी सहित तमाम मुद्दों को लेकर चंडीगढ़-मोहाली और पंचकूला में अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ घेराबंदी करते हुए धरने पर बैठ गए थे.
प्रदर्शन के दौरान किसान नेता राजिंदर सिंह ने बताया की ” हमारी कर्ज माफ़ी,एमएसपी,इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल-2020 और कृषि बिल को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग से सरकार पीछे हट रही है, इसलिए हमे ये फैसला लेना पड़ा”.
उन्होंने आगे बताया की ” मौजूदा सरकार किसान और मज़दूरों के साथ खड़ी नहीं है. इनके पास जो थोड़े बहुत अधिकार हैं,उसको भी सरकार छीन कर कॉर्पोरटे घरानों को दिए जा रही हैं. केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले 9 सालों में बड़े पूंजीपतियों के 13 .86 लाख करोड़ का कर्ज माफ़ किया हैं.लेकिन इस बड़े कर्ज का मात्र 10 प्रतिशत जो पंजाब के किसानों पर कर्ज हैं,उसको माफ़ नहीं कर रही हैं ,जो उसकी मंशा को बताने के लिए काफी हैं”.
वही किसान नेता हरमीत कादियान ने बताया की ” हमारी मांगे पंजाब सरकार से भी है की इस साल जुलाई -अगस्त में आये बाढ़ से हुई फसलों के नुकसान का हमे मुआवजा मिले साथ ही गन्ना, मक्का और मुंग जैसी फसलों का हमे उचित मूल्य मिले. गन्ना का जो भी बकाया है उसे जल्द किसानों को दिया जाये साथ ही पराली जलाने के कारण किसानों के खिलाफ जो मुक़दमे हुए हैं वो भी वापस लिए जाये”.
उधर पंचकूला में जमा हरियाणा से आये किसानों का प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मिल कर अपने मांगो का ज्ञापन सौंपा.
राज्यपाल से मिल कर लौटे किसान नेता रमन मान ने बताया कि ” आने वाले 11 दिसंबर तक हम सरकार के फैसले का इंतज़ार करेंगे,अगर हमारी मांगे नहीं मानी गई तो आगे कि रणनीति तैयार की जाएगी. हमने अपनी सारी मांगे राज्यपाल को सौंप दी है. उन्होंने हम से वादा किया है कि वो हमारी मांगों को राष्ट्रपति के साथ-साथ केंद्र सरकार तक पहुंचाएंगे”.
वही किसान नेता सुरेश कोथ ने कहा कि ” केंद्र की मोदी सरकार के साथ-साथ हम सभी राज्य सरकारों को ये आखिरी चेतावनी देते है कि किसानों को बरगलाना बंद करें. पिछले 2 साल में किसान संगठनों ने 15 ज्ञापन सरकार को सौपें हैं ,लेकिन हमारी बात नहीं सुनी जा रही है. यदि सरकार हमारी मांग नहीं मानती है,तो आगे बड़ा आंदोलन किया जायेगा.”
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