ऐतिहासिक किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे,अन्नदाताओं के संघर्ष ने हिलाईं अहंकारी सरकार की जड़ें
केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर दिल्ली में किसानों के आंदोलन को 26 अगस्त को 9 महीने पूरे हो गए हैं। किसान सड़क मोर्चे पर डटे हुए हैं और आंदोलन को तेज करने की बात कह रहे हैं। इस मौके पर किसान संगठन दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर दो दिन का राष्ट्रीय सम्मेलन कर रहे हैं।
किसानों के राष्ट्रीय अधिवेशन में देश के 20 राज्यों से 1500 किसान प्रतिनिधि पहुंचे। इस सम्मेलन में संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले महीने 25 सितंबर को देशव्यापी भारत बंद का ऐलान किया है।
वहीं किसान नेताओं का कहना है कि आंदोलन जब तक जारी रहेगा, जब तक केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर देती और एमएसपी को लेकर गारंटी नहीं दे देती।
भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि काफी दुखद है कि नौ महीने हो गए हैं और सरकार बातचीत को अब भी तैयार नहीं है। लेकिन हमें हताश नहीं होना चाहिए। इस सम्मेलन के दौरान हम दिखाएंगे कि नौ महीने में हमने क्या खोया है और क्या पाया है।
वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने मिलों द्वारा गन्ना किसानों को दिए जाने वाले न्यूनतम मूल्य में वृद्धि को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के मद्देनजर अपर्याप्त बताया। मिलों को, गन्ना किसानों को प्रति क्विंटल पांच रुपये अधिक देना होगा।
भारतीय किसान यूनियन के परगट सिंह का कहना है कि वो भाजपा का खुलकर विरोध करेंगे और आने वाले विधानसभा चुनाव में देश के 5 राज्यों में जाकर भाजपा को हराने का काम करेंगे। जिस तरीके से किसानों ने मिशन बंगाल को सफल बनाया, उसी तरह अब किसान मिशन यूपी में भी शुरू करने जा रहे हैं और जल्द ही राज्य में रैली का आयोजन भी किया जाएगा। ये रैली आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति की दिशा निर्धारित करेगी।
साथ ही किसान नेताओं का यह भी कहना है कि वे भाजपा का विरोध तो करेंगे। साथ ही अन्य पार्टी के राजनेताओं से सवाल भी करेंगे, क्योंकि जब टीम के कानून लागू हुए तो अन्य पार्टियां भी इसे लागू करवाने में शामिल थीं और जब आंदोलन चल रहा है तो अलग-अलग पार्टियों की किसानों के समर्थन में क्या भूमिका रही है। इस बारे में राजनेताओं से सवाल किए ही जाएंगे।
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बता दें कि सिंघु बॉर्डर पर दो दिवसीय राष्ट्रीय किसान अधिवेशन में किसान नेता मिलकर आंदोलन को तेज करने के लिए अपने विचार रखेंगे और जो फैसले सिंघु बॉर्डर पर लिए जाएंगे, वे ज्यों के त्यों टिकरी बॉर्डर पर भी लागू होंगे।
गौरतलब है कि 11 दौर की बातचीत के बाद अब 7 महीने से सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है।
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