गाजा के अस्पताल में 500 बीमार लोग मरे, इजरायल पर युद्ध अपराध के आरोप, दुनिया भर में फूटा गुस्सा

गाजा के अस्पताल में 500 बीमार लोग मरे, इजरायल पर युद्ध अपराध के आरोप, दुनिया भर में फूटा गुस्सा

गाजा शहर के एक अस्पताल में हुए भीषण धमाके के लिए इजरायली सरकार पर आरोप लग रहे हैं। इस धमाके में कम से कम 500 लोगों की मौत हो गई है और 1000 लोग घायल हुए हैं।

अस्पताल के एक डॉक्टर ने इस घटना को “नरसंहार” कहा है जबकि पूरी दुनिया भर के नेताओं ने इसराइल पर युद्ध अपराध किए जाने के आरोप लगाए हैं और इस भयानक जनसंहार को तुरंत रोकने की मांग की है।

इजरायल के पक्ष में शुरू से खड़े अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की इजरायल के अलावा कई अरब मुल्कों की यात्रा होने वाली थी लेकिन जॉर्डन, मिस्र के नेताओं और फिलिस्तीन अथॉरिटी के अध्यक्ष महमूद अब्बास ने अब उनसे मिलने से मना कर दिया है।

जॉर्डन के अम्मान में बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह, फ़लस्तीनी और मिस्र के नेताओं की अहम बैठक होनी थी। ये बैठक अब रद्द कर दी गई है।

गाजा और इजरायल के बीच संघर्ष की सबसे सही जानकारी देने वाला मीडिया संस्थान अलजजीरा ने कहा है कि अमेरिका का इजरायल के पक्ष में खड़ा होने से अरब देश नाराज हो गए हैं और अमेरिका अकेला पड़ता दिखाई दे रहा है। 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुटरेस ने कहा है कि हमास के हमले की सज़ा सामूहिक रूप से गाजा से सभी फिलिस्तिनियों को नहीं दी जा सकती और इजरायल की यह करतूत ग़लत है।

कुछ दिन पहले तक इजरायल के साथ संबंध बहाल करने के चक्कर में रहने और हमास के हमले के बाद बहुत सधे अंदाज़ में बयान देने वाले सउदी अरब ने भी अस्पताल पर इसरायल की बमबारी को ‘घिनौना अपराध’ कहा है।

प्रत्यक्षदर्शी डॉक्टर ने बताया लड़ाकू विमान ने गिराए थे दो बम

बीबीसी के अनुसार, ब्रितानी मूल के फ़लस्तीनी ज़ाहिर कुहैल पेशे से सिविल इंजिनियर कंस्लटेन्ट हैं, वो यूनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर भी हैं। जिस वक्त धमाका हुआ वो अस्पताल के नज़दीक थे। उन्होंने बीबीसी को बताया कि उन्होंने जो देखा वो “कल्पना से परे था।”

उन्होंने कहा, “मैंने देखा कि एक विमान से दो रॉकेट नीचे गिर रहे हैं। ये एफ़-16 या एफ़35 फ़ाइटर विमान था। उन्होंने बेगुनाहों पर हमला किया, उन्होंने कोई दया नहीं दिखाई और बर्बर तरीके से लोगों को मारा है।”

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी ने कहा है कि अमेरिका और यूरोप की ओर इजरायल को दिया गया बिना शर्त समर्थन ही अस्पताल में हुए इस विभत्स नरसंहार का सबसे बड़ा कारण है।

फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने कहा है कि अस्पताल पर हमले को किसी भी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता और गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए बिना देरी किए नाकाबंदी हटाई जाए।

उधर दुनिया भर में इजरायल के खिलाफ गुस्सा भड़क गया है और व्हाइट हाउस समेत कई जगहों पर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुसार, ये युद्ध अपराध है

अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (IHL) अस्पतालों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के बारे में स्पष्ट तौर पर कहता है कि अस्पतालों, बीमारों, नागरिकों, स्वास्थ्य कर्मियों, डाक्टरों को किसी भी हालत में कोई सेना निशाना नहीं बना सकती।

अगर ऐसा होता है तो ये युद्ध अपराध है। इसके अलावा, घायल सैन्य कर्मियों या लड़ाकों, जिनका अस्पताल और चिकित्सा सुविधाओं में इलाज किया जा रहा है, की भी सुरक्षा की जाती है, साथ ही चिकित्सा कर्मियों की भी सुरक्षा की जाती है, जो अपने और अपने मरीजों के जीवन की रक्षा के लिए हैं।

जेनेवा कन्वेंशन संख्या IV के अनुच्छेद 18 में कहा गया है:

“घायलों और बीमारों, अशक्तों और प्रसूति मामलों की देखभाल के लिए आयोजित नागरिक अस्पताल किसी भी परिस्थिति में हमले का निशाना नहीं हो सकते हैं, और लड़ाई में शामिल दोनों पक्षों द्वारा हर समय उनके साथ मानवीयता बरती जाएगी और उनकी रक्षा की जाएगी।”

अनुच्छेद 19 आगे कहता है:

“जिस सुरक्षा के नागरिक अस्पताल हकदार हैं, वह तब तक बंद नहीं होगी जब तक कि उनका उपयोग अपने मानवीय कर्तव्यों के बाहर, दुश्मन के लिए हानिकारक कार्य करने के लिए नहीं किया जाता है। हालाँकि, सुरक्षा तभी समाप्त हो सकती है जब उचित चेतावनी दी गई हो, सभी उचित मामलों में, एक उचित समय सीमा निर्धारित की गई हो, और ऐसी चेतावनी को अनसुना कर दिया गया हो।

सात अक्तूबर को हुए हमास के अभूतपूर्व हमले में इजरायल के 1,300 नागरिकों की मौत हुई थी। इधर गाजा पर हो रहे इजरायली हमलों में अब तक 3,000 से अधिक लोगों के मारे जाने की ख़बर है, जिनमें एक तिहाई यानी 1,000 बच्चे हैं। जबकि 10 लाख लोग उत्तरी गाजा से अपने घर छोड़कर दक्षिणी गाजा में पनाह ली है जहां न तो बिजली है, न पानी ना ही उनके रुकने की कोई और व्यवस्था।

तबाही की मंजर

मंगलवार रात को अल-अहली अरब बैप्टिस्ट अस्पताल से मिल रही तस्वीरों में तबाही और चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल साफ़ देखा जा सकता है।

अंधेरे में डूबे अस्पताल से राहतकर्मी घायलों को स्ट्रेचर पर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इंसानों के शव और हमले में तबाह हुई चीज़ें सड़कों पर बिखरी दिख रही हैं।

इससे जुड़ा एक वीडियो भी शेयर किया जा रहा है। इसमें धमाके के तुरंत बाद कोई बम या मिसाइल इस इलाक़े में गिरती दिख रही है।

मेडिसां साँ फ्रंतिए से जुड़े प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर ग़स्सन अबू-सित्ता युद्ध के कारण घायल हुए लोगों का इलाज कर रहे हैं। उनका कहना है, “हम अस्पताल में थे और एक ऑपरेशन कर रहे थे। एक भीषण तेज़ धमाके की आवाज़ सुनाई दी। ऑपरेटिंग रूम की छत गिर गई। जो हो रहा है वो जनसंहार है।”

एक और डॉक्टर ने बीबीसी को बताया कि अस्पतात के 80 फीसदी हिस्से में कामकाज ठप पड़ गया है और एक आकलन के अनुसार इस धमाके में 1000 लोग हताहत हैं।

अल-अहली अरब बैप्टिस्ट अस्पताल, एंजेलिकन चर्च का अस्पताल है और इसका पूरा आर्थिक खर्च वही चर्च उठाता है। चर्च का कहना है कि इस अस्पताल की मान्यता गाजा के किसी भी राजनीतिक गुट से नहीं है।

बीमारों से भरा था अस्पताल

इस अस्पताल में केवल घायल और बीमार ही नहीं थे बल्कि ऐसे सैकड़ों लोग भी थे जिन्होंने इजरायल की बमबारी से बचने के लिए अस्पताल में पनाह ली थी।

बीबीसी के अनुसार, येरुशलम के सेंट जॉर्ज कॉलेज के डीन रेवरेन्ड रिचर्ड सेवेल ने कहा कि अस्पताल के परिसर में कम से कम 6,000 ऐसे लोग थे जिन्होंने युद्ध के कारण अस्पताल में पनाह ली थी।

उन्होंने कहा कि शनिवार को ये अस्पताल इजरायली हवाई हमले का शिकार हुआ था। उस वक्त इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को नुक़सान पहुंचा था और चार लोग घायल हुए थे। इस हमले के बाद क़रीब 5,000 लोग यहां से चले गए और अस्पताल परिसर में पनाह लेने वाले 1,000 लोग रह गए थे। इनमें अधिकतर अपाहिज, घायल और बड़े बूढ़े थे जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए साधन की ज़रूरत थी।

सेवेल के अनुसार, जिस वक्त धमाका हुआ उस वक्त अस्पताल के भीतर 600 मरीज़ के अलावा उनके इलाज में लगे स्वास्थ्य कर्मचारी थे। उनका कहना है कि धमाके में मारे जाने वाले लोग हैं जो अस्पताल परिसर में पनाह लिए हुए थे।

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Workers Unity Team

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